शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। नेपाल और श्रीलंका के साथ ही देश के 13 शहरों में भारत रंग महोत्सव (भारंगम) जारी है। 1999 में शुरू हुए ‘भारंगम’ के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। पूरे आयोजन इस बार 200 से अधिक प्रदर्शनों के साथ ही रंगमंच से जुड़े विभिन्न समानांतर कार्यक्रम चल रहे हैं। नेपाल और श्रीलंका में आयोजन का उद्देश्य महोत्सव को वैश्विक विस्तार देना है। इस बार महोत्सव की थीम है – ‘एक रंग, श्रेष्ठ रंग’।देश के रंग–प्रयोगों के साथ विदेशी नाटक: इस बार हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, बांग्ला, पंजाबी, असमिया, तमिल, तेलुगू, मणिपुरी, उड़िया,कन्नड जैसी भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, रूसी, इटैलियन, नेपाली और स्पेनिश जैसी भाषाओं के नाटक खेले जा रहे हैं। जानकारी दी गई है कि महोत्सव में जर्मनी, इटली, स्पेन, रूस, नॉर्वे, ताइवान और चेक गणराज्य के नाटकों के मंचन भी शामिल हैं। जबकि एनएसडी और दूसरे नाट्य संस्थानों के प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी हैं। मिसाल के लिये ‘ख्वाब ए हस्ती’ (एनएसडी), कंजूस (एमआईटी,पुणे) और मोंगली (भारतेंदु नाट्य एकेडमी,लखनऊ) के साथ ही ‘मुर्दा घर’ के सराहनीय छात्र प्रॉडक्शन हो चुके हैं।
आधे-अधूरे और आगरा बाज़ार की प्रस्तुति: मोहन राकेश के जन्म का यह शताब्दी वर्ष है, इसीलिये महोत्सव में उनके लिखे और त्रिपुरारी शर्मा निर्देशित नाटक ‘आधे अधूरे’ का मंचन भी होगा। हम जानते ही हैं कि इस नाटक का देश-विदेश में मंचन हुआ है और तकरीबन सभी जाने-पहचाने नाट्य समूहों ने इसका मंचन किया है। इसी तरह हबीब तनवीर के नाटक ‘आगरा बाजार’का मंचन देखना भी नाट्य प्रेमियों के लिये एक अनुभव होगा।
नादिरा बब्बर और सुष्मिता के नाटक: नादिरा बब्बर का ‘फरीदा’, जावेद सिद्दीक़ी का ‘हमसफ़र’, सुष्मिता मुखर्जी का ‘नारीबाई’, केके रैना निर्देशित इब्सन का ‘अजात शत्रु’, रवींद्र नाथ टैगोर का इति मृणालिनी और मौलियर, शेक्सपियर के भी नाटक दर्शकों के लिये ख़ास होंगे। महाकवि भवभूति का ‘उत्तर रामचरित’, चंद्रशेखर कंबार का ‘शिवरात्रि’, सआदत हसन मंटो का ‘तमाशा’ नाटकों का मंचन भी बड़ा आकर्षण होगा।
दिल्ली में नाट्य महोत्सव का मंज़र: दिल्ली में प्रतिष्ठित थियेटर ग्रुप्स के प्रतिदिन विचारोत्तेजक मंचनों का देश भर से आये दर्शक आनंद ले रहे हैं। एनएसडी परिसर के सभागारों के साथ ही, एलटीजी, संगीत नाटक अकादमी और श्रीराम सेंटर में भी नाटक प्रदर्शित किये जा रहे हैं। परिसर में कलात्मक वस्तुओं के मेले ‘रंग हाट’ और ज़ायकेदार व्यंजनों के लिये फूड स्टॉल्स का भी आयोजन किया गया है।
रंगमंडल के साठ साल पर प्रदर्शनी: पूरे परिसर में एनएस़डी रंगमंडल के साठ साल पूरे होने पर ‘रंग षष्ठी’ के तहत विशिष्ठ पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई है। एनएसडी का पूरा परिसर यहां तैयार और प्रदर्शित यादगार नाटकों के पोस्टरों और चित्रों से पटे पड़े हैं। इन नाट्य चित्रों में एनएसडी के निर्देशकों और विभिन्न दिग्गजों से लेकर यहां प्रशिक्षित हुए रंगमंच के सितारों के चित्र हैं। बता दें कि एनएसडी अपना 65 वां और इसका रंगमंडल अपनी स्थापना का 60 वां वर्ष मना रहा है।
काठमांडू से कोलम्बो तक रंगोत्सव: दिल्ली के अलावा अगरतला, अहमदाबाद, बठिंडा, भोपाल, बेंगलुरु, दिल्ली, गोवा, गोरखपुर, जयपुर, खैरागढ़ और रांची के साथ-साथ नेपाल के काठमांडू और श्रीलंका के कोलंबो में पारंपरिक, लोक, आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुतियां जारी हैं। दिल्ली में स्ट्रीट प्ले, लोक बैंड, ओपन स्टेज, वार्ता और कई अन्य कार्यक्रम आयोजित चल रहे हैं। भारंगम 2025 के साथ छात्रों का ‘अद्वितीय 2025’ भी युवा जोश भरने लगा है।
16 फरवरी तक जारी रहेगा महोत्सव: 20 दिन के इस वैश्विक उत्सव का 28 जनवरी को शुभारंभ हुआ। शुभारंभ केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने किया। समारोह एनएसडी के परिसर में ही हुआ। इसमें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव (अकादमी), सुश्री उमा नंदूरी, एनएसडी निदेशक चितरंजन त्रिपाठी, एनएसडी सोसाइटी के उपाध्यक्ष प्रो. भरत गुप्त, अभिनेता और सांसद रवि किशन और फेस्टिवल एम्बेसडर और एनएसडी के पूर्व छात्र एक्टर राजपाल यादव भी समारोह में शामिल हुए। इस दौरान एनएसडी के रजिस्ट्रार पीके मोहंती के साथ ही सभी प्रमुख अधिकारी मौजूद थे।
सांस्कृतिक विविधत का समागम: शुभारंभ समारोह में केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा, ‘इस बार महोत्सव का विस्तार और इसमें निहित सांस्कृतिक विविधता आयोजन की विशेषता है। ऐसे आयोजन के माध्यम से हम अंतरराष्ट्रीय सम्बधों को और भी मज़बूती प्रदान कर सकते हैं। वैसे भी भारत की कला और संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ में विश्वास करती है’।
दुनिया का सबसे बड़ा रंग महोत्सव: एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा, ‘दुनिया का यह अब तक का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल है। इस साल, सभी सात महाद्वीपों के लोग पांचवें वेद यानी नाट्य शास्त्र की प्रासंगिकता के बारे में नाटक करेंगे’। एनएसडी सोसाइटी के उपाध्यक्ष प्रो. भारत गुप्त ने अपने सम्बोधन में कहा, ‘यहां पर विविध शैक्षणिक पद्धतियां और अनुभवी शिक्षकों की विशेषज्ञता एक साथ नज़र आती हैं। यह एक अनूठी बात है’।
रंग दूत ने साझा की दिल की बात: फेस्टिवल एंबेसडर, राजपाल यादव ने एक कलाकार के रूप में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने दिल की बात साझा की। उन्होंने कहा, यहां रहते हुए उनमें रंगमंच और उसके सिद्धांतों को न सिर्फ समझने का अवसर मिला, बल्कि यहां मिले अनुभवों ने उनका हमेशा मार्गदर्शन किया। अभिनेता और सांसद रवि किशन ने नाट्य समुदाय के हितों और कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया।
प्रस्तुत किया गया है दिग्गजों का रंग संगीत: समारोह की शुरुआत संगीत समारोह ‘रंग संगीत’ से हुई, जो नाट्य संगीत के दिग्गजों (जैसे वनराज भाटिया और बी.वी. कारंत आदि) द्वारा पिछले साठ वर्षों में संकलित महान रचनाओं का संग्रह है, जिसे एनएसडी रिपर्टरी कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया गया। रंगमंच की इन अद्वितीय रचनाओं का संग्रह एनएसडी रिपर्टरी कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
‘विश्व जन रंग’ नाम की नई पहल : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने ‘विश्व जन रंग’ नाम से एक नई पहल की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत, दुनिया भर में रहने वाले भारतीय और भारत के युवा कलाकार लघु नाटकों का ऑन लाइन प्रदर्शन करेंगे। यह पहल 2024 में ‘जन भारत रंग’ परियोजना की सफलता से प्रेरित है, जिसने ‘एक समान विषय पर कलात्मक प्रदर्शनों की सबसे बड़ी संख्या’ के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन का प्रमाण पत्र हासिल किया था।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में फिर दर्ज होगा नाम: एनएसडी के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी के अनुसार, उन्हें विश्वास है कि एनएसडी कि ‘विश्व जन रंग’ और महोत्सव के व्यापक स्वरूप के कारण, इस वर्ष फिर भारत रंग महोत्सव ‘सबसे बड़े रंगमंच महोत्सव (नाटकों)’ के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा पाएगा।
‘भारंगम’ में शामिल एमआईटी के छात्र कलाकार: महोत्सव में पुणे एमआईटी ( डिपार्टमेंट ऑफ थियेटर, एडीटी यूनिवर्सिटी) के स्टूडेंट्स ने भी मौलियर लिखित हास्य नाटक ‘कंजूस’ की प्रस्तुति दी। इस नाटक को एमआईटी नाट्य संस्थान के पहले साल के छात्रों ने प्रस्तुत किया। इसका निर्देशन अमोल देशमुख ने किया है। खास बात ये भी है कि इस नाट्य प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार प्रहसन ‘भगवदज्जुकम्’ के नाट्य गीत इस रिपोर्ट के लेखक (शकील अख़्तर) ने ही लिखे हैं। संगीत आमोद भट्ट ने तैयार किया है। नाटक के मंचन के बाद एमआईटी के छात्र कलाकारों से इस लेखक का मिलना हुआ, इस दौरान खींच ली गई ऊपर दी गई तस्वीर। आगे पढ़िये – ‘भारंगम्’ में इस बार शामिल एक और नाटक ‘मुर्दाघर’ की रिपोर्ट- https://indorestudio.com/murdaghar-nsd-students-ki-gambhir-prastuti/