10 सितंबर,2018 इंदौर स्टुडियो डॉट कॉम । मॉरीशस के विश्व हिदी सम्मेलन में कई लेखकों,रचनाकारों के साथ इस बार महाराष्ट्र की छह लेखिकाएं भी शामिल हुईं। सम्मेलन में मुंबई से लता तेजेश्वर रेणुका, लक्ष्मी यादव, प्रभा शर्मा,आभा दवे, ज्योति गजभिए और नाशिक से पूर्णिमा ढिल्लन ने भाग लिया। सभी लेखिकाएं मॉरीशस से लौट तो आईं हैं लेकिन सम्मेलन से जुड़ी स्मृतियां और अनुभव की जीवंत तस्वीरें अब भी उनके मन-मस्तिष्क में घूम रही हैं। वे अपने अनुभव इंदौर स्टुडियो के पाठकों के साथ साझा कर रही हैं। बता रही हैं, कैसा रहा हिंदी सम्मेलन में उनका अनुभव? क्या कुछ उन्होंने वहां देखा ? प्रस्तुत है उनकी अनुभवों पर आधारित यह विशेष रिपोर्ट।
कम समय में बहुत कुछ सीखा : मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में हाल ही में ग्याहरवां विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में हम लेखिकाएं पहली बार शामिल हुईं। अपनी भाषा के इस महाकुंभ में शामिल होकर हमें बड़े गर्व का अनुभव हुआ। इसमें हमें बहुत कुछ जानने,सीखने,विभिन्न देशों के लेखकों से जुड़ने,कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का शानदार अवसर प्राप्त हुआ। मॉरीशस के भारत के अंतर्सम्बधों को और भी करीब से अनुभूत करने का समय मिला। तीन दिन कैसे गुज़रे हमें पता नहीं चला। 18 से 20 अगस्त 2018 के मध्य तीन दिन तक यह आयोजन हुआ। कम समय में जितना कुछ देख और सुन सकते थे, वो सब करने की कोशिश रही।
हिन्दी को बढ़ावा देने की अपील: सम्मेलन के औपचारिक समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विश्व समुदाय से हिंदी को बढ़ावा देने की अपील की। साथ ही भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा, अटलजी हिंदी के प्रतिनिधि थे, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में पहली बार हिंदी में भाषण देकर इस भाषा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। सम्मेलन के आरंभ में अटल जी श्रद्धांजलि स्वरूप 2 मिनट का मौन रखा गया। समारोह में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ ने कहा, भारत के महान सपूत और मॉरीशस के परम मित्र वाजपेयी जी के निधन से गहरी क्षति पहुंची है। सम्मेलन की पारंपरिक तरीके से शुरूआत हुई। मॉरीशस भारत की राष्ट्रीय गान से पूरा समारोह भी गूंजा।
हिंदी को बचाएगा भारत का मोर ! : सम्मेलन के शुरुआत में एक एनिमेशन फिल्म दिखाई गई जिसमें दिखाया गया कि समुद्र में डूबते हुए मारीशस का राष्ट्रीय पक्षी डोडो जो अब विलुप्त हो चुका है, उसे भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर बचाकर किनारे ले आता है फिर दोनों मिलकर नृत्य करते हैं। श्रीमती सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में इस बात को अपने अनूठे अंदाज में कहा भी- “मारीशस में आज हिंदी भी डोडो पक्षी की तरह डूब रही है लेकिन अब भारत का मोर उसे बचाएगा। इस अवसर पर कुछ पुस्तकों और पत्रिकाओं के लोकार्पण और UNO Hindi नामक एक चैनल का उद्घाटन किया गया। यह चैनल विश्व स्तरीय और साप्ताहिक है, लेकिन जितने अधिक संख्या में भारतीय दर्शक इस चैनल को देखेंगे, उस आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी प्रदान करेगा। आयोजन में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और वीके सिंह, मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के अलावा गोवा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी शामिल हुए। उन्होंने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।
मॉरीशस भारत का पुत्र : शुभारंभ के बाद 8 विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए गए। विविध विषयों पर विचार मंथन हुआ। वहां के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने अपना भाषण हिंदी में दिया और मॉरीशस को भारत का पुत्र बताया। भारत को माँ का दर्जा दिया। इस बात पर हम लेखिकाओं को स्वाभाविक रूप से बड़ा गर्व महसूस हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन और उनकी स्मृति को समारोह में विशिष्ट स्थान दिया गया। भारत और मॉरीशस के ध्वज झुके रहे। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि स्व.अटल जी की यात्रा के दौरान मॉरीशस से भारत के संबंध और भी मजबूत बन गए थे। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में मॉरीशस को छोटा भारत कहा। हम सब हिंदी के चाहने वालों के लिए यह भी गौरवपूर्ण बात रही। उन्होंने अपने भाषण में हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को बहुत महत्व दिया । साथ ही युवाओं को प्रेरित किया कि वह हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम करें ।
साइबर टॉवर का नाम अटल टॉवर : इस दौरान मारीशस के साइबर टॉवर का नाम अटल बिहारी वाजपेई साइबर टॉवर रखने की घोषणा की गई। मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परम शिवम पिल्लई जी अपना भाषण मेरा प्यार भरा नमस्कार कहकर प्रारंभ किया । वहां के लोगों में हिंदी के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव देखा। इस बात ने भी हमें आनंदित किया। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की वजह से यहां पर कुछ कार्यक्रमों में कुछ परिवर्तन किए गए थे। कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया। सम्पूर्ण सम्मेलन में इसकी छाया रही। यहाँ तक कवि सम्मेलन को काव्यांजलि के रूप में पेश किया गया। कई कवि अपनी रचनाएं पढ़ने से वंचित रह गये ।
हिंदी फिल्मों की स्क्रिप्ट रोमन में क्यों ? :19 अगस्त को फिल्म और हिन्दी को लेकर एक विशेष सत्र हुआ। विषय था- ‘फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण।‘ इस कार्यक्रम के सह अध्यक्ष प्रसून जोशी थे। प्रसून की कुछ प्रतिभागियों ने अच्छी खासी खिंचाई कर दी। प्रतिभागी हिंदी फिल्मों में अश्लीलता परोसे जाने का जमकर विरोध कर रहे थे। कुछ लेखकों न यहाँ तक कह दिया कि फिल्मों का निमार्ण बंद कर दियाजाना चाहिए । इस लेखिका (लता तेजेश्वर) ने भी फिल्मों में हिंदी या देवनागरी लिपि को न स्वीकारने और रोमन लिपि में लिखित स्क्रिप्ट को मान्यता देने पर सवाल उठाया। पूछा कि ऐसा करने की वजह क्या है ? परंतु प्रसून जोशी इस विषय में भी अपना जवाब नहीं दे सके। उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिये और कहा इसका हम इस विषय में कुछ नहीं कर सकते। अंतिम सत्र में हिंदी फिल्मों में देवनागरी लिपि को मान्यता देने और हिंदी में टंकित स्क्रिप्ट को भविष्य में स्वीकार करने की अपील की गयी। बीस अगस्त को समापन समारोह हुआ। मॉरीशस के राष्ट्रपति महामहिम परमशिवम पिल्लै वैयापुरी आए थे। उन्होंने हिन्दी के शब्दों के साथ अंग्रेजी में अपना भाषण दिया।
एक सफल और यादगार आयोजन : कुल मिलाकर 3 दिन का सत्र बहुत ही अच्छा रहा। हम सभी को बहुत कुछ जानने और सीखने का अवसर मिला। अलग-अलग देशों से आए साहित्यकारों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। विश्व हिंदी सचिवालय की लाइब्रेरी में तरह-तरह की पुस्तकें देखने को मिली। मारीशस के लोगों में हिंदी प्रेम भी स्पष्ट दिखाई दिया। हिंदी सम्मेलन उनके लिए भी एक अच्छी यादें छोड़ गया। कार्यक्रम के आखिरी चरण, अंतर्जाल में हिंदी की प्रगति के लिए कई कदम उठाए जाने पर विचार विमर्श हुआ। तकनीकी लेखन में सुविधा के लिए कई नए गैजेट बनाने के लिए प्रस्ताव रखे गए। सम्मेलन की पूर्व संध्या 17 अगस्त की शाम भारत से आए हुए अतिथियों गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी,विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और अतिथियों ने मॉरीशस के प्रसिद्ध शिव मंदिर में शाम को पूजा अर्चना की । गंगा तालाब पर बने मंदिर में गंगा आरती की गई। तालाब को गंगा तालाब नाम से नामित किया गया है। इसमें भारत से लाई गयी गंगा का पानी डाला गया है।