आज कविता एक है और चुटकुले हज़ार-प्रो.सरोज कुमार

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कीर्ति राणा, इंदौर स्टूडियो। ‘आज कविता एक है और चुटकुले हज़ार। अब मंच पर जोकर बनना पड़ता है’। प्रख्यात कवि और आलोचक प्रो.(डॉ) सरोज कुमार ने यह बात कही। वे ‘काव्य कुँअर एवं काव्य दीप सम्मान समारोह’ को सम्बोधित कर रहे थे। इस समारोह में उन्हें ‘स्वर्णाक्षर सम्मान’ से नवाज़ा गया। उन्हें यह सम्मान हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे, विशिष्ट अतिथि शशिकान्त यादव और प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने प्रदान किया। डॉ. कुँअर बेचैन की जन्म जयंती के निमित्त यह आयोजन श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में संपन्न हुआ। मातृभाषा उन्नयन संस्थान और डॉ. कुँअर बेचैन स्मृति न्यास, ऑस्ट्रेलिया ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। कवि सम्मेलनों में पहले जैसी बात नहीं: प्रो. सरोज कुमार ने कहा- ‘साठ साल पहले कवि सम्मेलनों जो स्वरूप था अब का वह नहीं रहा। उसके बाद से कवि सम्मेलनों का स्तर भी गिरा और कविता भी समाप्त होती गई। कवि सम्मेलनों में आज कवि जमना चाहता है, उसे कविता के नहीं जमने के पैसे मिलने लग गए। आज कविता एक है और चुटकुले हजार हैं। अब मंच पर जोकर बनना पड़ता है, नाम भी हास्यास्पद रखना पड़ता है। अब यह सब रोज़ी-रोटी का मामला है’। चुटकुलेबाज़ी का ऊँचा पारिश्रामिक: सरोज जी ने कहा, ‘आज बीस लाख तक का पारिश्रमिक लेने वाले कवि हैं। इतना पैसा कवि को साकेत, कामायनी, पंत जी के लिए नहीं चुटकुले और घटिया कविता, महिलाओं का मज़ाक उड़ाने के लिए मिल रहा है। कवि महिलाओं का मजाक उड़ाते हैं, स्त्री सशक्तिकरण का नहीं सोचते। ये लोग कविता को मार रहे हैं। एक ज़माना था जब हजारों लोग कविता सुनने आते थे। अब विघटन हो गया है, अब कविता के लिए नहीं फूहड़ चुटकुलों के लिए पैसा दिया जा रहा है। जनता को कविता-कवि से नहीं हंसने-हंसाने से मतलब है। युवा कवियों को समझना होगा कि चुटकुलेबाज़ी कविता नहीं है। तालियां आप की सफलता का प्रमाण नहीं है, आप को सम्मान कविता दिलाएगी’।कवि सम्मेलन अब साहित्यिक अनुष्ठान नहीं: कवि शशिकांत यादव (देवास) ने कहा- ‘ कवि सम्मेलन पहले साहित्यिक अनुष्ठान हुआ करते थे, जो अब व्यावसायिक हो गए हैं। हिंदुस्तान में माणिक वर्मा, प्रदीप चौबे को या शरद जोशी केपी सक्सेना को एक मंच पर लाने का चमत्कार सरोज कुमार ही कर सकते हैं। कुंवर बैचेन समग्रता में केवल गीतकार थे। मैंने उनके साथ मंच पर तीन सौ रातें काटी हैं। वो हर कवि सम्मेलन का इतिहास हाथों-हाथ मंच पर ही लिख देते थे’।रात भर चलने वाला दौर मुझे याद है: मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे ने कहा – ‘कवि सम्मेलन का रात भर चलने वाला दौर मुझे याद है। अब कवि सम्मेलन के मंचों से राजनेताओं की टांग खींचने, एक-दूसरे पर फब्तियां कसने का फैशन हो गया है। साहित्यकार बनने की पहली शर्त बैचेन होना है। साहित्यकार वही सफल है जिसका लिखा हुआ पढ़कर पाठक को लगे कि अरे ये तो मेरी बात, मेरी पीड़ा व्यक्त की है। शिक्षा का माध्यम जब से अंग्रेजी हुआ, बच्चे अपनी मातृभाषा से दूर हो गए हैं। सिनेमा ने भाषा को जीवित तो रखा है लेकिन बोली को बिगाड़ा भी है। उन्होंने युवा कवियों को सोशल प्लेटफार्म पर सक्रिय रहने का सुझाव भी दिया’।‘पिन्स वेरी मैनी’ पुस्तक का विमोचन: समारोह मे कुँअर बेचैन की पुस्तक ‘पिन्स वेरी मैनी’ का विमोचन भी हुआ। अतिथि स्वागत डॉ. पद्मा सिंह, अरविंद जवलेकर, डॉ. नीना जोशी, नितेश उपाध्याय, गोपाल गर्वित व अवनीश पाठक ने किया। स्वागत उद्बोधन डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ ने दिया। कार्यक्रम का काव्यातम संचालन किया डॉ अखिलेश राव ने, आभार माना पंकज प्रजापत ने।युवा कवियों को काव्यदीप सम्मान: कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अतिथियों ने युवा कवियों को ‘काव्य दीप सम्मान’ से सम्मानित किया गया। युवा कवियों बड़वानी से नितेश कुशवाह, मनावर से प्रद्युम्न शर्मा भानु, उज्जैन से श्रीकांत सरल, सीधी से शशांक मिश्रा अंकुर, भीकनगाँव से कृष्णपाल राजपूत, शाजापुर से अमन जादौन, इन्दौर से लव यादव, ब्रजेश मस्ताना, आकाश यादव, रिया मोरे, सचिन राव विराट, शिवम सिंह, रायसेन से नितेश व्यास, देवास से सक्षम राहुल, ओंकारेश्वर से शारदा ठाकुर, बड़ूद से पारस बिरला, देपालपुर से पृथ्वीराज वंशलेखक, गौतमपुरा से रुद्रांश राव और सुसनेर से हरिओम शर्मा ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अखिलेश राव ने और आभार पंकज प्रजापति ने माना।  आगे पढ़िये – हमें नहीं पता था मालती दीदी इतनी बड़ी कथाकार हैं – https://indorestudio.com/nahi-laga-malti-didi-kathakar-hain/

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