अमृता की कहानी सुनकर, नम हुईं दर्शकों की आँखें

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शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। ‘ये बात दिसंबर 1941 की है। उस वक्त अमृता शेरगिल लाहौर में अपने चित्रों की एकल प्रदर्शनी की तैयारी में जुटी थीं। मगर अचानक उन्हें गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल पर्फोरेशन की बीमारी ने आ घेरा। इस बीमारी के पीड़ित की आँतों में छेद हो जाते हैं। इसी गंभीर बीमारी की वजह महज़ 28 साल की उम्र में ही असाधारण प्रतिभा की धनी चित्रकार अमृता शेरगिल की मौत हो गई। सकारात्मक ऊर्जा से भरी इस विद्रोही चित्रकार के दु:खद निधन के साथ ही भारतीय चित्रकला जगत का एक अध्याय का भी अंत हो गया’। किसी फ़िल्म की तरह दिखने लगी कहानी: मंच से जब क़िस्सागो भारती दीक्षित ने यह हक़ीक़त बयान की, उन्हें सुनने वाले दर्शकों की आँखें भी नम हो गईं। दर्शकों के दिलो दिमाग़ में अमृता के दो दशकों की ‘रंग यात्रा; किसी फिल्म की तरह घूमने लगी। भारती ख़ुद एक सिद्धहस्त चित्रकार भी हैं, इसलिये इस अनूठी चित्रकार की जीवन यात्रा से जुड़े प्रसंगों को सुनाते हुए वे ख़ुद वो भी बार-बार भावुक हुईं। उन्होंने दिल्ली के बहुरंगी ‘स्पीकिंग आर्ट फेस्ट’ में कहानी सुनाई। शीर्षक था-‘अमृत सी अमृता’। भारती के शब्दों चित्रों ने एक अर्थ में अमृता शेरगिल के कला जीवन को इस फेस्ट में श्रद्धाजंलि अर्पित की। उनकी इस प्रभावशाली क़िस्सागोई पर आयोजक नीरज शर्मा ने कहा भी – ‘सिर्फ 15 दिनों में भारती ने यह मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी है, ये बड़ी बात है’। हंगरी और फिर भारत आने की कहानी: भारती दीक्षित ने अमृता शेरगिल के जीवन को दो हिस्सों में सामने रखा। पहला भाग में उनका बचपन था, जो बुडापेस्ट, हंगरी में बीता। इटली में उनकी कला शिक्षा हुई। दूसरा, वह हिस्सा-जब वे भारत लौटीं और पंजाब के पैतृक गाँव मजीठिया से लेकर शिमला और लाहौर में अंतिम निवास तक का सफर तय किया। इस पूरी कहानी में अमृता एक ऐसी विद्रोही कलाकार के रूप में भी सामने आईं जिसने समझौता नहीं किया, अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीया। उनके बारे में कुछ ऐसी बातों से भी परदा हटा जो आम लोगों को कम ही पता है। (1938 में लाहौर में खींची गई अमृता शेरगिल की यादगार तस्वीर। सौजन्य: गूगल पिक्स। गिल आर्काइव्स) ख़याल नहीं मिले तो तोड़ दी सगाई: भारती ने बताया – ‘ मिसाल के लिये उन्होंने नवाब अली ख़ान के पेरिस में रहने वाले बेटे युसूफ़ अली ख़ान से अपनी सगाई तोड़ दी। इस बात से उनके माता-पिता बेहद नाराज़ हुए। मगर अमृता ने अपना इरादा नहीं बदला। असल में सगाई के बाद अमृता ने महसूस किया कि युसूफ़ का स्वभाव और उनके व्यक्तित्व में ज़मीन आसमान का अंतर है। दोनों के खयाल बिल्कुल नहीं मिलते। उन्हें लगा कि ऐसे इंसान के साथ शादी करना एक बुरा स्वपन साबित होगा। बाद में उन्होंने अपने हंगेरियन मौसेरे भाई विक्टर एगन से शादी कर ली। विक्टर के साथ उनका बचपन गुज़रा था। विक्टर उन्हें दिलो-जान से चाहते थे। उन्हें शादी के लिये अमृता की हर शर्त मंज़ूर थी। इसी डॉक्टर पति के साथ उनका बाद का जीवन गुज़रा। (अमृता शेरगिल की पेटिंग ‘हंगेरियन गर्ल’। चित्र:विकीपीडिया कॉमन्स) लौटा दिया था शिमला में मिला पुरस्कार: अमृता के विद्रोही स्वभाव का भारती ने एक और क़िस्सा सुनाया। उन्होंने बताया, शिमला में एक बार उनके एक चित्र को पुरस्कार दिया गया। मगर अमृता को लगा कि पुरस्कार ग़लत चित्र के लिये दिया गया है। उस चित्र को चुना ही नहीं गया, जो उनकी नज़र में पुरस्कार के योग्य था। उन्होंने अपना पुरस्कार लौटा दिया। उन्होंने निर्णायक मंडल के फैसले को कटघरे में खड़ा कर दिया। इसकी बाद में बहुत आलोचना भी हुई। परंतु अमृता पुरस्कार लौटाने के अपने फैसले पर अडिग रहीं। दो हिस्सो में सुनाई भारती ने अमृता की कहानी: अमृता की कला शिक्षा इटली में हुई थी। वो छह साल की उम्र से ही पेटिंग्स बनाना शुरू कर चुकी थीं। उनपर पाश्चात्य चित्रकला शैली का प्रभाव था। यह उनकी शुरूआती पेंटिंग्स में भी नज़र आता है। मगर 1913 में हंगरी में जन्मी अमृता, जब 1934 में भारत लौटी, उन्होंने भारतीय कला परंपरा को समझने और उसकी नये सिरे से खोज का सिलसिला शुरू किया। (अमृता शेरगिल की पेटिंग ‘विलेज सीन’। चित्र:विकीपीडिया कॉमन्स)भारतीय कला परंपरा दिये नये आयाम:  अमृता  शेरगिल की इस शोध पूर्ण यात्रा से उनके अंदर भारतीय कला परंपरा को नये रंग और आयाम देने वाली एक महान् चित्रकार का जन्म हुआ। उनके चित्रों में मुगल चित्र कला, पहाड़ चित्र शैली और अंजता-एलोरा के विश्व विख्यात गुफ़ा चित्रों के साथ ही और दक्षिण की कला परंपरा का प्रभाव नज़र आने लगा। उन्होंने पाश्चात्य और पारंपरिक भारतीय कला को एक नया स्वरूप दिया। इसका प्रभाव समकालीन चित्रकारों, लेखकों पर पड़ा। वे महिला चित्रकार होकर भी बहुत ही कम उम्र में चित्रकला को नई बुलंदिया दे रही थीं। करोड़ों में बिकीं अमृता की पेटिंग्स: आपको बता दें कि भारत सरकार ने उनके चित्रों को राष्ट्रीय कला घोषित किया है। 1978 में उनके एक चित्र ‘हिल वूमेन’ पर एक डाक टिकट जारी हुआ था। उनके एक चित्र ‘विलेज सीन’ को 2006 में नीलामी में 6.9 करोड़ रूपये में ख़रीदा गया था। इसी तरह 2018 में मुंबई में उनकी एक पेटिंग  दि लिटिल गर्ल इन ब्लू को 18.69 करोड़ की राशि में ख़रीदा गया, जो अपने आप में एक रेकॉर्ड है। ध्यान देने की बात ये है कि उन्होंने यह चित्र 1934 में शिमला में बनाया था। इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन काल में सजीव मॉडल और आत्म चित्र बनाकर यूरोपीय कला में अपना विशिष्ट स्थान 1930 से पहले ही बना लिया था।  एक घंटे की सम्मोहक क़िस्सागोई: ‘स्पीकिंग आर्ट फेस्ट’ में भारती ने अमृता शेरगिल के जीवन से जुड़ी कई और महत्वपूर्ण बातें बताईं। उनकी क़िस्सागोई का सिलसिला इतना सम्मोहक था कि एक घंटे की अवधि का पता ही नहीं चला। प्रारंभ में कार्यक्रम समन्वयक रितु सक्सेना ने भारती दीक्षित का परिचय दिया। आयोजक नीरज शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इससे पहले इंदौर की इस कथाकार और चित्रकार का सम्मान भी किया गया। ‘स्पीकिंग आर्ट फेस्ट’ मंडी हाऊस स्थित रवींद्र भवन में ललित कला अकादमी के सहयोग से जारी है। 27 नवंबर तक चलने वाले इस फेस्ट में एक चित्रकला प्रदर्शनी भी लगाई गई है। साथ ही विभिन्न विषयों पर विचारोत्तजक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी है। फेस्ट का यह दूसरा संस्करण है। आगे पढ़िये – इंदौर  के फाइन आर्ट कॉलेज की अब सुध लीजिये सरकार https://indorestudio.com/fine-art-collage-indore/

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