शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। बॉलीवुड के दर्जनों सुपरहिट गीतों के प्रोड्यूसर और ‘महादेव’ जैसे अनूठे भजनों के गायक मेघदीप बोस ‘ए बैंड ऑफ ब्वॉयज़’ (ABOB) के नये सफ़र से जुड़ गये हैं। इस इंडी पॉप बैंड का नया अलबम ‘रिइगनाइट’ जारी हो चुका है। इस अलबम में पाँच नये गाने हैं। ये सुरीले नग़मे कल्पना की नई उड़ान पर ले जाते हैं, प्यार के मीठे सपने जगाते हैं। अलबम में बैंड के जाने-पहचाने सिंगर्स के साथ मेघदीप बोस ने आवाज़ भी दी है और संगीत भी। उन्होंने इस उपलब्धि को ‘महादेव’ का आर्शीवाद कहा। हमने उनसे इस नई उपलब्धि को लेकर ख़ास बातचीत की। जो सोचा मिला उससे कहीं ज़्यादा: मेघदीप बोस ने बड़ी विनम्रता से कहा – ‘मेरा मानना है कि आप ज़िदंगी में जितनी अपेक्षा रखते हैं, महादेव जी उससे कहीं ज़्यादा आपको आर्शीवाद स्वरूप दे देते हैं। ‘बैंड ऑफ ब्वॉयज़’ के नये अलबम के बारे में मैं यही कहूँगा। इस बैंड से जुड़ना मेरे लिये एक उपलब्धि के साथ सम्मान और गौरव की बात है। दो हज़ार के दशक का यह सबसे लोकप्रिय बैंड रहा है। 2002 में इस बैंड का पहला अलबम ‘ये भी वो भी’ आया था। उस अलबम का संगीत लेसली लुईस जैसे महान् संगीतकार ने दिया था। इस नज़रिये से भी मेरे लिये यह कृतज्ञता की बात है’। 20 साल बात ‘गोरी अगेन’ क्यों: ‘गोरी अगेन’ अलबम का पहला गीत है, जो बैंड के पहले अलबम के गीत ‘गोरी’ की याद दिलाता है। सवाल है कि 20 साल बाद ‘गोरी अगेन’ गीत क्यों ? जवाब में मेघदीप बोस ने कहा -‘ हमने तय किया था कि हम बीस साल बाद की गोरी वाला गाना बनायेंगे। मतलब 2002 में आये पहले अलबम की गोरी की कल्पना वाले गीत से अलग, 20 साल बाद वाली गोरी। हमने कल्पना की, कि वो गोरी अब मिल गई है, तो उससे जुड़ी फीलिंग्स और फेंटेसीज़ को लेकर यह गीत बनाया गया है। गीत को पिंकी पूनावाला ने लिखा है। चूँकि बैंड का ग्रुप अब मैच्योर हो चुका है। तो हमने इसमें रोमांस को भी मैच्योर ही रखा है। कह सकते हैं कि गीत में ‘ब्वॉयज़’ का नहीं ‘मैन’ का रोमांस है। चैलेंज से ज़्यादा थ्रिल और फ़न: बॉलीवुड के इस प्रतिभाशाली गायक और संगीतकार ने कहा, ‘बैंड के साथ मेरी यह यात्रा बहुत ही ख़ूबसूरत रही है। काम करते वक्त हमने चैलेंज से कहीं ज़्यादा थ्रिल और फन को महसूस किया। मेरी पैदाइश और परवरिश 1990 वाले दौर में शुरू हुई। इसीलिये मैं तब के संगीत से ज़्यादा जुड़ाव भी महसूस करता हूं, ज़्यादा रिलेट करता हूँ। हमने गानों में इंडी पॉप के उस दौर की खुशबू को बरकरार रखा है। मतलब एक आंचलिक स्पर्श, एक आम भारतीय युवा मन का संगीत, मगर इसमें मॉर्डन म्यूज़िक का फ्यूज़न भी है। इंडी पॉप की एक नई धारा है। मुझे यक़ीन है इंडी पॉप के चाहने वाले इन गीतों को पसंद करेंगे। अलबम में मेरे बनाये तीन गाने हैं – गोरी अगेन, सोचना क्या और नज़रों से धोखा…। तीनों ही फ्रेश कंपोज़िशन्स हैं’। गुमनामी में क्यों चला गया था बैंड: मेघदीप से हमारा अगला सवाल था कि ‘ब्वॉयज़ बैंड’ अचानक गुमनामी में क्यों चला गया था? क्या बैंड के सदस्य ग्रुप से अलग हो गये थे? मेघदीप कहने लगे, ‘ये बैंड कभी भी टूटा या बिखरा नहीं। हां, कुछ समय के लिये बैंड के साथी, अपने जीवन को मज़बूती देने के लिये थम ज़रूर गये थे। बावजूद इसके सभी में दोस्ती कायम रही। एक संगीत समूह के रूप में सभी एक-दूसरे से जुड़े रहे। यह एक सीखने काबिल बात है। मेरी नज़र में ये बैंड, लंबी रेस का घोड़ा है, और आने वाले वक्त में पहले से और बेहतर करने जा रहा है’। पाठकों को बता दें, 2002 से 2005 में तीन अलबमों को पेश करने के बाद ये बैंड, बैक स्टेज पर चला गया था। शुरूआत में करण ओबेरॉय, सुधांशु पांडे, सिद्धार्थ हल्दीपुर, चिंटू और शेरिन वर्गीस बैंड में शामिल थे। 2018 में बैंड फिर लौटा, मगर तब सिद्धार्थ की जगह डैनी फर्नांडीस की एंट्री हुई। इसके बाद से सभी ने मिल-जुलकर फिर से एक नई यात्रा शुरू की’। सभी की बुनियाद में पॉप संगीत: पहली बार इंडी पॉप बैंड से जुड़ने के बारे में प्रयोगधर्मी मेघदीप ने कहा – ‘ये सच है कि मैं मैंने पहली बार एक म्यूज़िक डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के रूप में इंडी पॉप बैंड के साथ काम किया है। और इससे पहले सुगम, फिल्म और आध्यात्मिक संगीत के सफर पर चलता रहा हूँ। मगर मेरे खयाल में इन सारे संगीत की बुनियाद में पॉप संगीत एक अंर्तधारा के रूप में है। जो पॉपुलर या लोकप्रिय संगीत है, वही पॉप संगीत बन जाता है। सभी की अंतर धारा में पॉपुलैरिटी का ही सूत्र है। इंडी पॉप के नये गानों को करते वक्त भी मेरे मन में सिर्फ एक ही चीज़ थी। हर कोई इन गानों से जुड़ सके और सभी अपने भावनाएं इनसे रिलेट कर सके, सभी के ज़हन में ये संगीत आसानी से उतर सके’। इंडी पॉप के अलावा आगे क्या: इस सवाल पर मेघदीप ने कहा, फिलहाल मैं ‘महादेव’ की भक्ति में डूबे रहना चाहता हूँ। इसके पहले अलबम को संगीत प्रेमियों का भरपूर प्यार मिला है। मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि मैं और भी ज़्यादा इस तरह के भजन संगीत को प्रोड्यूस कर सकूँ। मैं अपने भजनों को ‘डिवोशनल पॉप’ कहना पसंद करूँगा। ऐसा अध्यात्मिक संगीत जिसमें भजन और कीर्तन की आत्मा ज़िंदा रहे। आख़िर में, ‘झूमे जो पठान, प्यार होता कई बार, व्हाट झुमका, फाइटर एंथम जैसे सुपरहिट फिल्मी संगीत के इंडस्ट्री के इस बेहद टैलेंटेड प्रोड्यूसर ने कहा, ‘मैं शिवजी के भक्ति संगीत से युवाओं को जोड़ना चाहता हूँ’। (अगर आपको मेघदीप बोस का यह इंटरव्यू अच्छा लगा है तो अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिये। आगे पढ़िये: भारत-अमेरिका की 51 महिला निर्देशकों पर डॉ.वसुधा की नई किताब – https://indorestudio.com/51-mahila-nirdeshakon-par-kitab/