आलोक शुक्ला के नाट्य संग्रह ‘अजीब दास्तां’ का लोकार्पण

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। रंगकर्मी और लेखक, आलोक शुक्ला के नये नाट्य संग्रह ‘अजीब दास्तां’ का लोकार्पण ‘भारंगम’ में आयोजित ‘श्रुति’ कार्यक्रम में में हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय,नई दिल्ली के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी, ख्यात रंग समीक्षक संगम पाण्डेय और NSD के प्रकाशन प्रमुख डॉक्टर प्रकाश झा मौजूद थे।‘अजीब दास्तां’ आज के ज़माने का ‘आधे-अधूरे’: अपने सम्बोधन में संगम पाण्डेय ने संग्रह को आज के ज़माने का ‘आधे – अधूरे’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘आधे-अधूरे’ में सब किसी चीज की तलाश में रहते हैं तो ‘अजीब दास्तां’ में सब कुछ होते हुए भी लोग टूटे हुए हैं। इस अवसर पर लेखक सभी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि ये नाटक महानगर मुंबई के दो परिवारों के दाम्पत्य जीवन के टूटते – बिगड़ते रिश्तों पर है जबकि दूसरा नाटक एक हास्य नाटक है।बीमारी के बावजूद नाटकों का लेखन जारी: बता दें कि आलोक शुक्ला बीते चार साल से जीबीएस पैरलीसिस से पीड़ित हैँ और अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैँ लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपने नाट्य लेखन को जारी रखा और उनके तीन नाट्य संग्रह, एक रंग संस्मरण और एक काव्य संग्रह प्रकाशित होकर आये, इसी के साथ पिछले साल मंच पर भी अपने लिखे नाटकों का निर्देशन और अभिनय करते हुए उन्होंने वापसी की। लोकार्पण के दौरान विशेष रूप से प्रयाग शुक्ल, राजेश कुमार, हेमंत मिश्रा, शिवकेश मिश्रा, महेन्द्र प्रसाद सिंह, सुनील रावत, प्रताप सिंह, नीतू शुक्ला, अर्जुन राजपूत समेत कई रंगकर्मी और लेखक उपस्थिति रहे। इस नाट्य संग्रह को इंडिया नेटबुक्स वेबसाइट  अमेजन और फिलिपकार्ट से प्राप्त किया जा सकता है। आगे पढ़िये – ‘बिदेसिया’ और ‘अंकल वान्या’ लोक नहीं आधुनिक नाटक  https://indorestudio.com/bidesia-aur-uncle-vanya/

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