प्रवीण कुमार खारीवाल, इंदौर स्टूडियो। ‘रफ़ी साहब को भारत रत्न मिले ना मिले, वे विश्व रत्न है। दुनिया भर में उनके करोड़ों चाहने वाले हैं। सच तो ये है कि उन जैसे गायक बार-बार जन्म नहीं लेते’। स्टेट प्रेस क्लब,मध्यप्रदेश के रूबरू कार्यक्रम में यह बात स्व. मुहम्मद रफी के सुपुत्र शाहिद रफ़ी ने कही। कार्यक्रम में उन्होंने पत्रकार साथियों के पूछे सवालों के जवाब दिये और बड़ी ख़ुश मिज़ाजी के सबसे मुलाक़ात की।उन जैसे कलाकार ख़ुदा की नेमत: शाहिद रफ़ी ने कहा, मुहम्मद रफ़ी जैसे कलाकार दुनिया में ख़ुदा की नेमत होते हैं। उनके जैसा संजीदा,सरल और नेक इंसान नहीं देखा। इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद उन्हें अहंकार छू तक नहीं पाया था। सच तो ये हैं उन जैसे गायक बार-बार जन्म नहीं लेते। आपको बता दें, शाहिद स्व. रफी के सबसे छोटे बेटे हैं। वे खुद भी एक अच्छे गायक हैं और अपने पिता की विरासत के संग्रहकर्ता भी। वर्षों से वे अपने वालिद की गायिकी से जुड़े तमाम कार्यक्रमों में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें देखकर लगता है, जैसे ख़ुद रफ़ी साहब सामने आ गये हों।
घर में वे सिर्फ प्यार करने वाले पिता थे: शाहिद जी ने अपने पिता को याद करते हुए कहा, घर में वे हमारे सिर्फ प्यार करने वाले वालिद रहे। उन्होंने हमें कभी इस बात का अहसास नहीं होने दिया की वे देश के इतने बड़े कलाकार हैं। हमें तो उनके जाने के बाद लोगों का प्यार देखकर पता चला की वे किस बुलंदी के कलाकार थे। सीखने के लिए वे हमेशा तैयार रहते थे। संगीतकारों को वे अपना उस्ताद मानते थे। उनके जाने के 45 साल बाद भी लोग उन्हें याद करते हैं, उनकी फैन फॉलोइंग आज भी बढ़ रही है। ये बताता है कि रफी साहब कितनी अज़ीम शख्सियत थे।
बेहद समर्पित गायक रहे मुहम्मद रफ़ी: शाहिद रफी ने बताया कि रफी साहब अपने काम के प्रति बेहद समर्पित थे। गीत कोई भी हो, जब तक संतुष्ट न हो, वे उस पर रियाज करते थे। ‘ओ दुनिया के रखवाले’ गीत का हवाला देते हुए शाहिद रफी ने कहा कि उस गीत को मुकम्मल तरीके से गाने के लिए रफी साहब ने पूरे एक माह तक रियाज़ की थी।
विदाई गीत की रिकॉर्डिंग में रो पड़े थे: शाहिद रफी ने बताया, बाबुल की दुआएं लेती जा गीत की रिकॉर्डिंग के दौरान उनके भावुक पिता रो पड़े थे। असल में इस गीत के रिकॉर्ड होने से एक हफ्ते पहले ही मेरी बड़ी बहन और उनकी प्यारी बेटी की शादी हुई थी और वो विदा होकर ससुराल चली गईं थीं। जब इस गीत की रिकार्डिंग रफी साहब ने की तो बेटी की विदाई का सारा दर्द उसमें छलक आया। इसे उन्होंने एक टेक में ही गा दिया था।
लोगों की मदद करने में पीछे नहीं रहे: शाहिद रफी का कहना था कि उनके पिता रफी साहब लोगों की मदद करने में कभी पीछे नहीं रहते थे। जब भी वे घर से निकलते, अपनी जेब में जितने भी रुपये होते, गरीबों में बांट देते थे। पिता की इसी दरियादिली का एक किस्सा सुनाते हुए शाहिद रफी ने बताया कि रफी साहब के इंतकाल के करीब छह माह बाद कश्मीर से एक शख्स हमारे घर आया और उनसे मिलने की जिद करने लगा। जब उसे बताया गया कि रफी साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं तो उसने यह खुलासा किया कि रफी साहब हर माह मनीआर्डर से रुपये भेजकर उसकी मदद करते थे। अब रुपये आना बंद हो गए तो वह वजह जानने चला आया। उसकी बातों से हमें पता चला की रफी साहब दूसरों की मदद भी इसतरह करते थे की किसी को पता न चले।
लता जी के साथ गाये सर्वाधिक युगल गीत : शाहिद रफी ने लताजी के बारे में पूछे एक सवाल पर कहा, उनके पिता मुहम्मद रफी ने सबसे ज़्यादा युगल गीत लताजी के साथ ही गाये हैं। हालांकि शाहिद रफी, लता दीदी के प्रति अपनी तल्खी को छुपा नहीं पाए। बता दें कि दोनों गायको में किसी बात को लेकर अनबन हो गई थी, रफ़ी साहब ने उस बात को कभी दिल से नहीं लगाया। शाहिद रफ़ी ने किशोर कुमार और रफी साहब के बारे में कहा, दोनों ही एक दूसरे का बड़ा सम्मान करते थे।
पिता के क़दमों की धूल भी नहीं मैं: जब उनसे पूछा गया कि क्या कार्यक्रम पेश करते समय वे लोगों की उम्मीदों का दबाव महसूस करते हैं..? इस सवाल के जवाब में शाहिद रफी ने कहा, ‘मुझे पता है, मै रफी साहब के पैरों की धूल बराबर भी नहीं हूं, इसलिए मुझपर कोई दबाव नहीं रहता। कोशिश जरूर करता हूं कि उनके गाए गानों के साथ इंसाफ़ कर सकूँ।
स्टेट प्रेस क्लब में स्वागत-सत्कार: कार्यक्रम के प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब मप्र के अध्यक्ष और इस रिपोर्ट के लेखक प्रवीण कुमार खारीवाल, बंसी लालवानी, सुदेश गुप्ता, दीपक पाठक, कुमार लाहोटी, संजय मेहता, पूर्व आरटीओ आरआर त्रिपाठी और पुष्कर सोनी ने शाहिद रफी, उनके साथ आए आरके शर्मा व मनीष शुक्ला का स्वागत किया। कार्यक्रम का सू संचालन आलोक वाजपेयी ने किया। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार,आर्ट प्रमोटर और स्टेट प्रेस क्लब,मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हैं। साथ ही आप मध्य भारत की 72 वर्ष पुरानी कला,साहित्य और संगीत को समर्पित संस्था अभिनव कला समाज के अध्यक्ष हैं।)
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