भाषाई विविधता को बचाये रखने में लेखकों की अहम भूमिका

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। ‘लेखक शब्दों के कारीगर होते हैं और हमारे देश की भाषाई विविधता को बचाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह विविधता ही हमारी राष्ट्रीय पहचान भी है और इसको बनाए और बचाए रखना भी जरूरी है’। यह बात प्रख्यात अंग्रेज़ी नाटककार और रंग व्यक्तित्व महेश दत्तानी ने कही। वे दिल्ली में आयोजित साहित्योत्सव के कार्यक्रम में बतौरमुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम में 2024 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार लेखकों को प्रदान किये गये। कुल 23 भाषाओं के लेखक सम्मानित किये गये। विश्व में कम हैं ऐसे साहित्य महोत्सव: श्री दत्तानी ने कहा, विश्व में बहुत कम ऐसी जगह हैं जहां इतनी भाषाओं में इतने महत्वपूर्ण पुरस्कार या साहित्य समारोह आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने समारोह की तुलना ऑस्कर से करते हुए कहा कि वहां की पहचान चकाचौंध है तो यहां की पहचान गरिमापूर्ण सादगी है। उन्होंने भाषाई विविधता को बचाने के लिये अनुवाद को महत्व दिये जाने पर ज़ोर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादेमी के अध्यक्ष  माधव कौशिक ने की, समापन वक्तव्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने दिया। 70 वर्ष का इतिहास गर्व की बात: अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में माधव कौशिक ने कहा कि हमें अकादेमी के 70 वर्ष के इतिहास पर गर्व करना चाहिए। आज हम दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशन समूहों में से एक हैं। किसी भी देश की पहचान भाषाई विविधता को यहां संपूर्ण एकता के रूप में देखा जा सकता है। साहित्यकार को हमारे यहां प्रजापति कहने की परंपरा है क्योंकि वह समांतर संसार की रचना करता है। हमारे साहित्यकारों की संवेदना की परिधि बहुत व्यापक है और यह साहित्य उत्सव या पुरस्कार अर्पण समारोह भारतीय सृजनात्मकता का उत्सव है। रचना प्रक्रिया में समाज की भलाई के रंग: साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा की रचनाकार एक साधक होता है और अपनी रचना प्रक्रिया में सब कुछ भूल कर कुछ समाज की भलाई के लिए कई रंग बिखेरता है लेकिन उसमें सर्वश्रेष्ठ रंग मनुष्यता का ही होता है। इससे पहले अपने स्वागत वक्तव्य में अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि हर पुरस्कार लेखक को ताकत देता है और एक बड़े पाठक समाज से जोड़ता है। सच्चे साहित्यकार को उनकी सृजन यात्रा में यह पुरस्कार उन्हें नई ऊर्जा देते हैं।22 साहित्यकारों को दिया गया पुरस्कार: समारोह में 22 साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया। कन्नड भाषा के के लिए पुरस्कृत रचनाकार नहीं आ सके।बंगला भाषा का पुरस्कार घोषित नहीं किया गया था। डोगरी का पुरस्कार उनकी बेटी ने लिया और अंग्रेजी का पुरस्कार उनके प्रतिनिधि ने ग्रहण किया। पुरस्कार अर्पण समारोह के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश चौरसिया का बांसुरी वादन प्रस्तुत किया गया। पुरस्कार साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा प्रदान किए गए। ये रचनाकार किये गये पुरस्कृत: समीर तांती (असमिया),अरन राजा बसुमतारी (बोडो),(स्वर्गीय) चमन लाल अरोड़ा (डोगरी), इस्तेरीन कीरे (अंग्रेज़ी),दिलीप झवेरी (गुजराती),गगन गिल (हिंदी),के.वी. नारायण (कन्नड),सोहन कौल (कश्मीरी),मुकेश थळी (कोंकणी),महेंद्र मलंगिया (मैथिली),के. जयकुमार (मलयालम),हाओबम सत्यबती देवी (मणिपुरी), सुधीर रसाळ (मराठी),युवा बराल ‘अनंत’ (नेपाली),वैष्णव चरण सामल (ओड़िआ),पॉल कौर (पंजाबी),मुकुट मणिराज (राजस्थानी), दीपक कुमार शर्मा (संस्कृत), महेश्वर सोरेन (संताली),हूंदराज बलवाणी (सिंधी),एआर वेंकटाचलपति (तमिळ) एवं पेनुगोंडा लक्ष्मीनारायण (तेलुगु)। आगे पढ़िये – लेखिका शांता गोखले को मेटा लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड  https://indorestudio.com/shanta-gokhle-ko-lifetime-award/

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