कान फ़िल्म फेस्टिवल के इतिहास में पहली बार 10 भारतीय फ़िल्में

0
38

अजित राय,इंदौर स्टूडियो। भारत के लिए 77 वां कान फिल्म समारोह इस बार बहुत खास बन गया है। कान फिल्म समारोह के 77 वर्षों के इतिहास में पहली बार 10 भारतीय फिल्में ऑफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। 30 साल बाद कोई भारतीय फिल्म मुख्य प्रतियोगिता खंड में चुनी गई है। वह फिल्म है पायल कपाड़िया की मलयालम हिंदी फिल्म ‘आल वी इमेजिन एज़ लाइट।’ उनकी फ़िल्म ‘गॉड फादर’ जैसी कल्ट फिल्म बनाने वाले फ्रांसिस फोर्ड कपोला, आस्कर विजेता पाउलो सोरेंतिनों, माइकल हाजाविसियस और जिया झंके, अली अब्बासी, जैक आड्रियार्ड, डेविड क्रोनेनबर्ग जैसे दिग्गज फिल्मकारों के साथ प्रतियोगिता खंड में चुनी गई है। कान में पायल की शॉर्ट फ़िल्म: पायल कपाड़िया जब भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे में पढ़ती थी, उस समय 2017 में उन की शार्ट फिल्म ‘आफ्टर नून क्लाउड्स’ अकेली भारतीय फिल्म थी। उसे 70 वें कान फिल्म समारोह के सिनेफोंडेशन खंड में चुना गया था। इसके बाद 2021 में उनकी डाक्यूमेंट्री ‘अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ को कान फिल्म समारोह के’ डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में चुना गया था और उसे बेस्ट डाक्यूमेंट्री का गोल्डन आई अवार्ड भी मिला था। आपको बता दें कि पायल की फ़िल्म से पहले 1994 में शाजी एन करुण की मलयालम फिल्म ‘स्वाहम’ प्रतियोगिता खंड में चुनी गई थी। (संध्या सूरी की फ़िल्म ‘संतोष’ का एक दृश्य।)अन सर्टेन खंड में 2 भारतीय फिल्में: कान फिल्म समारोह के दूसरे सबसे प्रमुख खंड ‘अन सर्टेन रिगार्’ में इस बार दो भारतीय फिल्में आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ और बल्गारियाई निर्देशक कोंस्तानतिन बोजानोव की फिल्म ‘द शेमलेस।’ डायरेक्टर्स फोर्टनाइट खंड में करण कंधारी की फिल्म ‘सिस्टर मिडनाइट’ दिखाई जा रही है जिसमें पंचायत वेब सीरीज फेम अभिनेता अशोक पाठक और राधिका आप्टे ने मुख्य भूमिका निभाई है।
कान क्लासिक खंड में शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर की फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा संरक्षित की गई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ दिखाई जा रही है। दुनिया भर के फिल्म स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों के विशेष खंड ‘सिने फाउंडेशन (ल सिनेफ) में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे के चिदानंद एस नाइक की फिल्म ‘सन फ्लावर्स वेयर फर्स्ट धंस टु नो’ और यूके की मानसी महेश्वरी की फिल्म ‘बन्नीहुड’ चुनी गई है। (फ़िल्म ‘संतोष’ की निर्माता संध्या सूरी।) शुची की फिल्म जूनियर खंड में: कान फिल्म समारोह में इस बार एक नया खंड जोड़ा गया है – इम्मर्सिव कंपीटिशन। इसमें पाउलोमी बसु की फिल्म चुनी गई है – ‘माया, द बर्थ आफ अ सुपर हीरो।’  कान अक्रांस जूनियर खंड में शुची तलाती की फिल्म ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स ‘ चुनी गई है। भारतीय सिनेमा के लिए यह एक ऐतिहासिक घटना है। एसिड खंड में माइसाम अली की फिल्म ‘इन रिट्रीट’ दिखाई जा रही है जो लद्दाख में शूट हुई हैं। (श्याम बेनेगल की फ़िल्म ‘मंथन’)फेस्टिवल में कई भारतीय गतिविधियां: कान फिल्म् फेस्टिवल में इस बार बहुत सारी भारतीय गतिविधियां हो रही है। मुंबई से अभय सिन्हा और अतुल पटेल के नेतृत्व में पहली बार इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन का तीस से भी अधिक फिल्म निर्माताओं का एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल कान के फिल्म बाजार में भाग ले रहा है। भारत मंडप इस बार एक खास उत्सव आयोजित कर रहा है, भारत पर्व। इंडियन पैवेलियन का नाम बदलकर ‘भारत मंडप’ कर दिया गया है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव संजय जाजू, फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ और कान फिल्म समारोह के उप निदेशक और प्रोग्रामिंग हेड क्रिस्तियान जियून ने भारत मंडप का उद्घाटन किया। इस मंडप का संचालन फिक्की की ओर से लीना जैसानी और उनकी टीम कर रही है। उधर फिल्म बाजार में भारतीय उद्योगपतियों की संस्था कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सी आई आई) ने भी एक विशाल भारत मंडप बनाया है जहां कई भारतीय फिल्म निर्माताओं ने भी अपने स्टाल लगाए हैं। (फेस्टिवल में हॉलीवुड अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप को हुआ सम्मान।)कान फिल्म फेस्टिवल का स्त्री काल: आपको बता दें कि 77 वें कान फिल्म फेस्टिवल का हाल ही में हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप ने फ्रेंच अभिनेत्री जुलिएट बिनोश और कैमिली कोटीन के साथ उद्घाटन किया है। हॉलीवुड की ही एक-दूसरी अभिनेत्री ग्रेटा गेरविक को इस बार मुख्य प्रतियोगिता खंड की जूरी का अध्यक्ष बनाया गया है। लिली ग्लैडस्टोन भी जूरी की सदस्य हैं। जूरी की दूसरी महिला सदस्यों में लेबनान की नदाईन लबाकी और फ्रेंच अभिनेत्री एवा ग्रीन भी है। मतलब यह कि यह कान फिल्म फेस्टिवल का स्त्री काल चल रहा है। मेरिल स्ट्रीप को आनरेरी पाल्मा डोर: फेस्टिवल में जब मेरिल स्ट्रीप को जब आनरेरी पाल्मा डोर से नवाज़ा गया तो दस मिनट तक ग्रैंड थियेटर लूमिएर तालियों से गूंजता रहा। उनके सम्मान में बोलते हुए जुलिएट बिनोश भावुक होकर रोने लगी। जूरी की अध्यक्ष ग्रेटा गेरविक भी मंच पर बोलते हुए भावुक हो गई। उन्होंने बस इतना कहा कि सिनेमा उनके लिए सबसे पवित्र चीज है। क्वेंतिन डुपो की फ्रेंच फिल्म ‘द सेकंड ऐक्ट’ के प्रदर्शन के साथ विश्व का सबसे बड़ा फिल्मी मेला 77 वां कान फिल्म फेस्टिवल 14 मई की शाम शुरू हो गया। https://indorestudio.com/

LEAVE A REPLY