विशेष प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। ‘सरगम संस्था’ के कलाकारों ने इंदौर में सेंट्रल जेल के क़ैदियों के लिये नये साल के मौके पर मनोपचार की दृष्टि से फिल्मी और ग़ैर फिल्मी संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ रमेश गुरु, करिश्मा तोंडे के सुनाये गये गीत -ऐ मालिक तेरे बन्दे हम’से हुआ। सुपरिटेंडेंट और जेलर ने की सराहना: कार्यक्रम की जेल की सुपरिटेंडेंट अलका सोनकर और जेलर संतोष लड़िया ने सराहना की। उन्होंने बताया कि जेल में कैदियों का संगीत के माध्यम से आचरण को सुधारने के लिये संगीत के वाद्यों और संगीत के उपकरण भी लगाये गये हैं। जेलर संतोष लड़िया ने ‘तेरी आँखों के सिवा’ गीत से माहौल में रंग जमाया। सुपरिटेंडेंट अलका सोनकर ने ‘कभी किसी को मुकम्मल, तू कितनी अच्छी है’ जैसे गीत प्रस्तुत किये।
4 घंटे तक चला संगीत का कार्यक्रम: यह कार्यक्रम करीब 4 घण्टे तक संगीत का चला। इसमें रमेश गुरु, करिश्मा तोंडे के साथ ही रोहित ओझा,आलोक वाजपेयी, योगेश्वर कान्हेरे ने अपनी गायकी और संगीत से क़ैदियों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, मधुबन खुशबू देता हैं, जिंदगी के सफर में गुजर जाते है, आदमी मुसाफिर हैं, जिंदगी की न टूटे लड़ी, ज्योत से ज्योत जलाते चलो, किसी राह में किसी मोड़ पर, कहना है कहना है ,रिमझिम गिरे सावन जैसे जैसे गीत प्रस्तुत किये गये। गीतों को सुनकर कैदियों ने जमकर तालियां बजाईं।
नन्हे अराध्य को क़ैदियों ने किया पसंद: नन्हे कलाकार आराध्य लड़िया ने ‘जब दीप जले आना और प्यार दीवाना होता हैं’ गीतों को सुनाकर दाद बटोरी। विष्णुकांत शर्मा ने माउथ ऑर्गन पर कुछ बेहतरीन गीत सुनाए साथ ही आलोक वाजपेयी ने बांसुरी पर गीतों के साथ कुछ युगल गीत सुपरिटेंडेंट अलका सोनकर के साथ निभाये और कैदियों से वाहवाही लूटी।
डॉ विवेक गावड़े ने दिया परिचय: आरंभ में संयोजक, डॉ विवेक गावड़े ने संगीत ‘सरगम संस्था’ का परिचय दिया। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि संगीत के माध्यम कैसे बीमारियों का उपचार होता हैं। अलग-अलग बीमारियों के लिये कौन से राग लाभकारी होते हैं। जेल की तरफ़ से सुपरिटेंडेंट और जेलर ने कलाकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम में श्रीधर कामत, मिलिंद गुप्ते, जय गावड़े, मोहित विरहे भी मौजूद थे। आगे पढ़िये – नागपुर के क्राफ्ट मेले की श्री नितिन गडकरी ने की सराहना – https://indorestudio.com/nagpur-me-orange-city-mela/