जेद्दा (सऊदी अरब) से अजित राय की विशेष रिपोर्ट। ‘दुनिया भर की कंपनियों को मेरी नहीं, मेरे देश भारत की ज़रूरत है। इसलिए वे भारतीय फिल्म कलाकारों को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाते हैं। मैं भी उनमें से एक हूं’। आलिया भट्ट ने विश्व प्रसिद्ध फैशन हाउस ‘गुची’ (इटली) द्वारा भारत से पहली ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किए जाने के सवाल पर यह बात कही। वे सऊदी अरब के जेद्दा शहर में आयोजित तीसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों से संवाद कर रही थीं। इस संवाद की कमान रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के इंटरनेशनल प्रोग्रामिंग हेड कलीम आफताब ने संभाली। बदल रहा भारत के प्रति दृष्टिकोण: आलिया भट्ट ने कहा – ‘आज सारी दुनिया को भारत की जरूरत है, इसलिए उन्होंने मुझे चुना। इसका श्रेय मैं अपने देश भारत को देती हूँ। यह केवल दृष्टिकोण बदलने की बात है। अब भारत के प्रति सारी दुनिया का दृष्टिकोण बदल रहा है’। उन्होंने कहा कि मुझे ग्लोबल होने के लिए भारत से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। याद रहे कि 15 मार्च 1993 को मुंबई में जन्मी 30 साल की आलिया भट्ट ब्रिटिश नागरिक है पर मुंबई में रहती हैं और लंदन में भी उनका एक अपना घर है।करोड़ों की कमाई के बावजूद बिज़नेस क्यों: यह पूछे जाने पर कि फिल्मों में काम करने से आपको सालाना करीब 7.4 मिलियन डालर (60 करोड़ रुपए) की कमाई होती हैं फिर बिजनेस क्यों शुरू किया? आलिया भट्ट ने कहा कि मुझे मालूम नहीं कि मेरा एक्टिंग का करियर कब तक चलेगा या कब तक मुझे अभिनेत्री के रूप में स्वीकार किया जाएगा, इसलिए कुछ स्थाई किस्म का काम करने के बारे में मैंने सोचा। मैंने ‘ईडा मम्मा’ नाम से कपड़ों का अपना ब्रांड बनाया। अब इस कंपनी के 51 प्रतिशत शेयर खरीदकर रिलायंस रिटेल इसकी पार्टनर बन गई है। जुलाई 2023 तक इस कंपनी की कुल नेटवर्थ 19 मिलियन डॉलर हो गई थी। फिल्म प्रॉडक्शन कंपनी की क्या ज़रूरत: इस सवाल पर मशहूर अभिनेत्री ने कहा – ‘मेरे पापा महेश भट्ट कहते हैं कि दूसरों की गाड़ी में कब तक पेट्रोल डालोगी, अपनी गाड़ी खरीदो और उसमें पेट्रोल डालो। इस तरह ईटरनल सन शाइन प्रॉडक्शन नाम से अपनी फिल्म निर्माण की कंपनी खोली। पिछले साल ओटीटी के लिए पहली फिल्म बनाई ‘डार्लिंग’। दरअसल जसमीत एक स्क्रिप्ट लेकर आई और वह पसंद आ गई। इसी कंपनी के बैनर से करण जौहर की धर्मा प्रॉडक्शन के साथ वासन बाला के निर्देशन में ‘जिगरा’ फिल्म अगले साल रिलीज होगी। उसके बाद एक और फिल्म कर रही हूं जिसके बारे में अभी कुछ नहीं बता सकती।रणबीर से पहली मुलाक़ात की याद: आलिया भट्ट ने रणबीर कपूर से पहली बार मिलने की घटना सुनाते हुए कहा कि मैं नौ साल (2002) की थी तो संजय लीला भंसाली से मिलने उनके ऑफ़िस गई थी। उन दिनों वे अपनी फिल्म ‘ब्लैक’ बना रहे थे। रणबीर कपूर उनको असिस्ट कर रहे थे। तब रणबीर एक्टर नहीं बने थे और मेरा सारा ध्यान संजय लीला भंसाली की ओर था। पर रणबीर कपूर में कोई ऐसी बात जरूर थी कि मैं उनकी ओर आकर्षित होती गई। मैंने उस दिन उनके साथ एक फोटो भी खिंचवाई जो आज तक मेरे पास सुरक्षित है। फिर हम लगातार मिलने लगे और अंततः बीस साल बाद 14 अप्रैल 2022 को हमारी शादी हुई और अब हमारी एक बेटी (6 नवंबर 2022) भी है।सोलह साल बाद मिला गंगूबाई का रोल: आलिया ने कहा कि उन्होंने उस दिन ऑडिशन तो दिया पर उन्हें रोल नहीं मिला। बाद में तीन साल बाद जब वे बारह साल की थी तो संजय लीला भंसाली ने ‘बालिका वधु’ फिल्म के लिए उन्हें रणबीर कपूर के साथ कास्ट किया था, फिर भी कुछ बात नहीं बनी। उसके पंद्रह सोलह साल बाद उन्होंने मुझे ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में लीड रोल में लिया। भारतीय सिनेमा में आ रहे बदलावों पर उन्होंने कहा कि हर दौर में हमारे सिनेमा में गर्व करने लायक कुछ रहा है। आज हमें अपने सिनेमा की नई पहचान देने की जरूरत है। अब हमें इसे केवल बॉलीवुड कहने की जगह भारतीय सिनेमा कहना चाहिए जिसमें 27 भाषाओं का सिनेमा शामिल हैं।तारीफ़-अवार्ड जगाते हैं कृतज्ञता का भाव: इस सवाल पर कि उनको कैसा लगता है जब लंदन का मशहूर अखबार ‘द गार्जियन’ उन्हें ‘द बेस्ट बिग स्क्रीन प्रेजेंस ऑफ आल टाइम’ ( 23 सितंबर 2022) की लिस्ट में शामिल करता है। इसी तरह टाइम मैगज़ीन से लेकर द हॉलीवुड रिपोर्टर, वैराइटी, स्क्रीन इंटरनेशनल, न्यूयार्क टाइम्स और फोर्ब्स इंडिया जैसे इंटरनेशनल मीडिया आउटलेट उनके अभिनय की तारीफ़ में लेख छापते हैं। या फिर पांच-पांच बार फिल्म फेयर अवार्ड और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के लिए नेशनल अवार्ड मिलता है। वे थोड़ी हिचक के साथ कहती हैं कि तब मैं सोचती हूं कि क्या सच में यह मैं हीं हूं या कोई और है जिसके बारे में ये सब छपा है या जिसे इतने सारे अवार्डस मिले हैं। मैं उनके प्रति कृतज्ञता भाव से भर जाती हूं।अपना ओवर आकलन नहीं करती: आलिया ने विनम्रता से कहा- ‘मुझे अवार्ड्स मिलता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे एक्टर मुझसे कमतर हैं। इसलिए मैं कभी अपना ओवर आकलन नहीं करती क्योंकि मुझे अभी बहुत दूर जाना है, और बेहतर काम करना है। जब दर्शक मेरे काम को पसंद करते हैं तो मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड यही हैं। मुझपर सबसे बड़ा प्रभाव पापा का: इन मामलों में मेरे पापा (महेश भट्ट) मुझे दृष्टि देते हैं। इस दुनिया में मुझपर सबसे बड़ा प्रभाव मेरे पापा का है। उन्होंने मुझे इतना विज़डम दिया है कि मैं बता नहीं सकती। मुझे अच्छा लगता है जब मुझे प्रसिद्धि मिलती है पर इस मामले में मेरे रोल मॉडल शाहरुख खान है। मुझे उन जैसा बड़े दिलवाला बनना है। वे बहुत बड़े हैं और केवल देना जानते हैं। वे आपको छोटे होने का अहसास नहीं कराते।शाहरूख़ खान में कमाल की उदारता: आलिया भट्ट ने गौरी शिंदे की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ में शाहरुख खान के साथ शूटिंग की यादें शेयर की। उन्होंने कहा कि जब पहला शॉट देना था तो मैं नहाकर निकली थी और मेरे बाल गीले थे। मैंने अपनी उलझन शाहरुख को बताई तो उन्होंने झट से कहा ‘कोई बात नहीं, मैं भी अपने बाल भिगो लेता हूं फिर शूटिंग करते हैं। वे इतने उदार है और सामने वाले एक्टर को सहज बना देते हैं। मुझे उनकी ऊंचाई तक पहुंचने के लिए अभी मीलों का सफर तय करना है। तो हुआ यह कि उनके साथ पहले ही शॉट में मैं फ्रीज (जड़) हो गई। गौरी शिंदे को आकर मेरे कान में कहना पड़ा कि मैं एक्शन करूं।अव्वल रहने पर मिला लीड रोल: आलिया भट्ट को करण जौहर और उनकी कंपनी धर्मा प्रॉडक्शन ने काफी अवसर दिया। लीड रोल वाली उनकी पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ (2012) धर्मा प्रॉडक्शन की ही थी। इस रोल के लिए करीब पांच सौ लड़कियों ने ऑडिशन दिया था। आलिया कहती हैं कि मैं जब ग्यारहवीं में पढ़ती थी तो स्कूल ड्रेस में ही करण जौहर से मिलने उनके ऑफिस पहुंच गई थी। लेकिन उन्होंने मुझे रोल तभी दिया जब ऑडिशन में मैं अव्वल रही। इसी रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में कुछ दिन पहले करण जौहर ने कहा था कि उनकी सुपरहिट फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (2023) में लीड रोल के लिए आलिया भट्ट को इसलिए लिया क्योंकि उनका ऑडिशन सबसे अच्छा था।रानी का किरदार बिल्कुल मेरे जैसा: ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के अनुभवों को याद करते हुए आलिया भट्ट ने कहा कि मैं सीरियस किस्म की भूमिकाओं से कुछ अलग चाहती थी। मैं खुलकर गाना और डांस करना चाहती थी। करण जौहर ने जब कहा कि मैं रानी के चरित्र से विलकुल मिलती-जुलती हूं तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। सबसे बड़ी बात कि इसमें मेरे सामने रणवीर सिंह जैसे विलक्षण और प्यारे अभिनेता थे। मैं बस उनको रेस्पांड करती गई और फिल्म बन गई। अलग से एक्टिंग करने की जरूरत हीं नहीं पड़ी।आरआरआर को ऑस्कर मिलने पर गर्व: फिल्म ‘आरआरआर’ दुनिया भर में सफल हुई पर इसमें मेरा बहुत छोटा सा रोल था। फिर भी जब इसे ऑस्कर अवार्ड मिला तो हर भारतीय की तरह मुझे भी गर्व हुआ। इम्तियाज अली की फिल्म ‘हाईवे'(2014) के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा चरित्र था जो रीयल लाइफ में मैं जैसी हूं , उससे बिल्कुल अलग था। मुझे एक ऐसी लड़की का चरित्र निभाना था जो अमीर और रसूखदार परिवार की ओवर प्रोटेक्टेड माहौल में बड़ी हुई है। उसे अपने अपहरणकर्ता से हीं प्यार हो जाता है। इसे स्टाकहोम सिंड्रोम कहते हैं। ‘उड़ता पंजाब’ में भी जो रोल मुझे करना था, वह मुझसे एकदम अलग तरह का था। मैंने फिल्म के परिवेश की आवाजों को पकड़ने की कोशिश की।‘राजी’ की पटकथा से प्यार हो गया था: उन्होंने कहा कि मेघना गुलजार ने जब उन्हें अपनी फिल्म ‘राजी’ की पटकथा पढ़ने को दी, उसी दिन से मैं उस कहानी को प्यार करने लगी थी। मैंने बस इतना किया कि पहले की सूचनाओं की जगह अपने ब्लू प्रिंट पर भरोसा किया। यह एक ऐसा चरित्र था जैसी मैं बिल्कुल नहीं हूं। उस दृश्य को याद कीजिए जब राजी पहली बार एक इंसान की हत्या करती है। जब वह घर आकर बाथरूम में नहा रहीं होती है तो उस दृश्य को करते हुए मुझे लगा कि मैंने सचमुच में किसी को जान से मार दिया है।जोया अख्तर की फिल्म ‘गली ब्वाय’ में अपने चरित्र सफीना के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर की गुंडी बाहर निकल आई है। एक दृश्य में सफीना कहती हैं न कि ‘तू मेरा ब्वायफ़्रेंड है, तूझे कोई छू भी नहीं सकता।’ गंगूबाई के रोल की कल्पना नहीं की थी: आलिया ने बताया, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की स्क्रिप्ट को जब पहली बार पढ़ा तो मन में एक झिझक थी। ऐसे रोल की मैंने कल्पना नहीं की थी। मैं जब नौ साल की थी तभी से संजय लीला भंसाली के साथ काम करने का सपना पाले हुए थी। उनका सेट बहुत भव्य होता है और सबकुछ लार्जर दैन लाइफ। मैंने रणबीर (कपूर) से कहा कि या तो यह सब काम करेगा या नहीं करेगा। मैंने चुनौती स्वीकार किया और काम कर गया। धीरे-धीरे गंगूबाई मेरा आल्टर ईगो बनती चली गई। मैं आज भी उसको भूल नहीं सकती। दर्शकों के कहने पर उन्होंने इस फिल्म के डायलॉग सुनाए – ‘इज्जत से जीने का, किसी से नहीं डरने का …’। (अजित राय प्रख्यात कला और फिल्म समीक्षक हैं। दुनिया के प्रमुख फिल्म उत्सवों की हिन्दी में रिपोर्ट्स के वे अग्रणी पत्रकार हैं।) आगे पढ़िये –