दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में तीन दिवसीय ‘स्त्री महोत्सव’  

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कला प्रतिनिधि,इंदौर स्टूडियो। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नागपुर में मौजूद दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (SCZCC) में 3 दिवसीय ‘स्त्री महोत्सव’ का आयोजन जारी है। विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत दूसरे दिन कवियत्री,पत्रकार और कला समीक्षक स्वरांगी साने के साथ ही केंद्र की निदेशक श्रीमती आस्था गोडबोले कार्लेकर के कथक नृत्य का कार्यक्रम हुआ। 8 मार्च को महोत्सव का शुभारंभ समारोह हुई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में नागपुर पुलिस स्पेशल ब्रांच की पुलिस उपायुक्त श्रीमती श्वेता खेडकर, नागपुर पुलिस मुख्यालय की डीसीपी डॉ. अश्विनी पाटील, महिला कला निकेतन, नागपुर की उपाध्यक्ष डॉ. छाया विजय नाईक शामिल हुईं।   विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत महिलाओं का सम्मान:  पहले दिन महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दे रहीं महिलाओं का सम्मान किया गया। सम्मान पाने वाली महिलाओं में क्रमश: डॉ उज्जवला देशमुख, कु. प्रतिमा बोंडे, कु. आरोही गोरे, प्रोफेसर डॉ. छाया माहाले, शारदा बजाज, एडवोकेट उन्नति मैरल एवं डॉ. लीना निकम शामिल रही। महिला वादकों ने दी संगीत प्रस्तुति: आरंभ में भारतीय शास्त्रीय संगीत बैंड ‘पंचनाद’ की महिला वादकों ने सुमधुर प्रस्तुति दी। इनमें श्रुति अधिकारी (संतूर), संगीता अग्निहोत्री एवं विजयथा हेगड़े (तबला), स्मिता बाजपई (सितार), दियासिनी मुखर्जी (वायोलिन) शामिल रहीं। इसके बाद महाराष्ट्र की ख्यात लोक परंपरा  “भारूड” की प्रस्तुति दी गई। इसमे विंचु चावला की मनोरंजक प्रस्तुति हुई। यह प्रस्तुति नागपुर की श्रीमती भारती जांबुलकर समूह के माध्यम से दी गई। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रश्मी मदनकर ने किया। तीन दिवसीय ‘विन्यासा’ कार्यशाला शुरू: ‘स्त्री महोत्सव’ के अंतर्गत ही ख्यात मृदंग कलाकार मन्नारकोली श्री जे बालाजी के सान्निध्य में तीन दिवसीय ‘विन्यासा’ कार्यशाला शुरू हुई। स्वागत सहायक निदेशक दीपक कुलकर्णी ने किया। श्रीमती स्वरांगी साने ने दिया व्याख्यान: दूसरे दिन कवयित्री, पत्रकार और कला विशेषज्ञ श्रीमती स्वरांगी साने द्वारा कला समीक्षा और महिलाएँ विषय पर “व्याख्यान” दिया। उन्होंने कहा कि जब मैंने लिखना शुरू किया था, तब रात 12 बजे भी संगीत का कोई आयोजन समाप्त होता तो मैं अखबार के दफ्तर जाकर उसकी समीक्षा लिखा करती थी। संपादक की कड़ी ताकीद होती थी कि समीक्षा के लिये जगह रखी जाए। आज बड़े से बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों की खबर क्या उसी दिन छपती है? आज कलाओं के लिये जगह नहीं: श्रीमती स्वरांगी साने ने कहा, आज कितने अखबार हैं जो कलाओं के लिए जगह छोड़ते हैं? अब तो मोबाइल, इंटरनेट है न…अखबार के दफ्तर में जाकर किसी कला संवाददाता को ख़बर देने की ज़रूरत नहीं। वह भी पॉलिटिकल खबर देने वालों की तरह घटना स्थल से लिखकर भेज सकता है। पर क्या ऐसा हो पा रहा है? आज तो अख़बारों में कला समीक्षक तो दूर कोई कला संवाददाता भी नहीं है।कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति: इसके बाद लयशाला ललित कला फ़ाउंडेशन द्वारा “कथक नृत्य” की प्रस्तुति दी गई। यह प्रस्तुति सुप्रसिध्द कथक नृत्यांगना और दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर की निदेशक श्रीमती आस्था कार्लेकर द्वारा दी गई। इस प्रस्तुति का प्रारंभ शिव स्तुति से हुआ। इसके बाद  तीन ताल में पारंपरिक रचनाएँ, दादरा एवं चैती की सुंदर प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति का समापन होरी की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से हुआ। पखावज़ पर पंडित संजय आगले, हार्मोनियम और गायन मे पंडित सोमनाथ मिश्रा, तबले पर श्री किशोर कोरडे, वायलिन पर शिरीष भालेराव ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती कीर्ति काळमेघ ने किया। कुंभ में निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी: परिसर में महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित “रंग से कुंभ”  चित्र शिबीर में बनाये गये चित्रों की प्रदर्शनी भी जारी है। इसका उद्घाटन दिनांक 9 मार्च 2025 को शाम 5 बजे केंद्र परिसर में सुप्रसिध्द फोटोग्राफर पदमश्री भालचंद्र मोंढे द्वारा किया गया। आगे पढ़िये लेखिका शांता गोखले को मेटा लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड  https://indorestudio.com/shanta-gokhle-ko-lifetime-award/

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