दीपपर्व पर चढ़ा कपिल पुरोहित के रूहानी संगीत का रंग

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। इंदौर में जाने-माने गायक कपिल पुरोहित के संगीत कार्यक्रम में दर्शकों पर रूहानी संगीत का ऐसा रंग चढ़ा कि वे झूमने और थिरकने लगे। संगीत की लय और ताल पर बार-बार तालियां बजाने लगे। कपिल की प्रस्तुतियों में राम के भजन भी शामिल थे और अपने अराध्य के प्रति लौ जगाते सुपरहिट फिल्मी गीत भी। यह कार्यक्रम स्थानीय अभिनव कला समाज के मुक्ताकाश मंच पर हुआ। दीप पर्व की मधुर बेला में हुए इस कार्यक्रम में राम का दरबार भी सजा, पटाखे छोड़े गये और सुनने वालों ने केसरिया दूध का आनंद भी लिया।राम की स्तुति से हुई शुरूआत: कपिल पुरोहित ने कार्यक्रम की शुरूआत राम की स्तुति से की। इसके बाद उन्होंने ‘हमारे साथ श्री रघुनाथ तो, और आज गली-गली अवध’ जैसे भजन प्रस्तुत किये। इस अवसर पर राम दरबार की विशेष प्रस्तुति हुई। श्री जी डांस एंड आर्ट ग्रुप द्वारा दी गई इस प्रस्तुति में रोहित परमार प्रभु श्री राम, विक्की चौहान लक्ष्मण और कविता विश्वकर्मा ने सीता जी का रूप धारण किया। राम जी के प्रवेश के वक्त राम चौपाई गाई गई। इस अवसर पर अतिथियों के साथ ही श्रोताओं ने दीपक और फुलझड़ी जलाकर राम जी का जगमग स्वागत किया। एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति: कपिल पुरोहित ने राम स्तुति और भजनों के साथ ही चुनिंदा फिल्मी गीत भी प्रस्तुत किये। ये गीत रोमानी भी थे और ईश्वर से लौ लगाने वाले भी। हालांकि मंच पर उन्होंने कहा, वो केवल सूफी गायक भर नहीं है, चाहे ग़ज़ल हों या भजन संगीत। वे सभी तरह के गीतों के गायन और प्रस्तुति में रूचि रखते हैं। उन्होंने सह गायिका सिमरजीत कौर के साथ -‘ मैं रंग शरबतों का, ओ रंगरेज, उड़ जा काले कावा तेरे मुंह विच खंड पावा, चौक पुराओ, लुक छिपना जाओ जी, हौले हेले से हवा लगती है, तेरा बिना बे सुवादी, जैसे सुपरहिट गीत प्रस्तुत किये। अपने दिलचस्प अंदाज़ और प्रस्तुतियों से उन्होंने संगीत प्रेमियों को झूमने और बार-बार तालियां बजाने पर मजूबर कर दिया।परिपक्व गायिका का प्रदर्शन: कपिल पुरोहित ने कार्यक्रम में एक बार फिर अपनी परिपक्व और विद्वतापूर्ण गायिकी का परिचय दिया। उनकी गायिकी पर दर्शकों के साथ ही कार्यक्रम में मौजूद शास्त्रीय गायक पं.सुनील मसूरकर, गायक संतोष अग्निहोत्री और वरिष्ठ पत्रकार और कला समीक्षक शकील अख़्तर भी दाद देते नज़र आए। उम्दा साज़कारी से सजी गायिकी: कपिल के साथ संगत कलाकारों ने भी अपनी संगीत दक्षता का परिचय दिया। रूपक जाधव ने की बोर्ड पर आधार और इंटरल्यूड संगीत से समां बाँधा। बाकी कलाकारों में क्रमश: लोकेश उपाध्याय (ढोलक), चेतन भौसले (तबला), मयंक अकोदिया (पैड) और प्रशांत गौर (गिटार) पर संगत की। कोरस कलाकार थे वन्देय भावसार, अवधेश शुक्ला, सहज पंचोली औरे चेताली राठौर।दीप प्रज्जवलन और स्वागत-सत्कार: कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जविलत कर हुआ। इसके बाद कार्यक्रम में शामिल अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के अतिथि थे पं. सुनील मसूरकर, सुनील जोशी, श्रीद्धांत जोशी, सुदेश तिवारी, शकील अख्तर, कपिल शर्मा महाराज स्वामी। अतिथियों एवं कलाकारों का स्वागत गोवर्धन लिम्बोदिया, प्रवीण खारीवाल, अभिषेक गावड़े, रवि चांवला, नितिन माहेश्वरी, बंशीलाल लालवानी, सुदेश गुप्ता, जीतेन्द्र सिंह भाटिया, मीना राणा शाह ने किया। अंत में आभार आलोक वाजपेयी ने व्यक्त किया। आगे पढिये – दिल्ली में मंचित नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ की समीक्षा –https://indorestudio.com/theke-par-mushaira-2/

 

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