कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। हिंदी साहित्य में रूचि रखने वाले कुछ युवा रचनाकारों ने हिन्दी दिवस 14 सितम्बर के अवसर पर दिल्ली के करोल बाग में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें सम्मिलित रचनाकारों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। रचनाओं को लेकर चर्चा भी की। संगोष्ठी में कुछ रचनाकार ऑनलाइन भी शामिल हुए। कुमार देश बंधु ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया।
कुमार देश बंधु ने संगोष्ठी में रखे विचार: सभा में कुमार देश बंधु ने कविताओं को लेकर अपने कुछ विचार रखे। उन्होंने कहा कि कविता आपकी भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है। दुनिया भर की भाषाओं में इस विधा का सदुपयोग होता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी भावनाओं को किस तरह की अभिव्यक्ति देते हैं, जिसे श्रोता मान और आदर दे सकें और आपकी रचनाओं को पाठक सर्वसम्मति से स्वीकार कर सकें। आपकी भावनाएं जितनी पवित्र और परिष्कृत होंगी। आपकी रचना उतनी ही दमदार होगी। सभी ने रचनाओं का किया पाठ: संगोष्ठी में सभी ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। युवाओं ने ज़्यादातर प्रेम रचनाएं सुनाई। मिसाल के लिये – ‘तुम्हारी यादें भी गजब है, रात को भी दिन वाला उजाला देती हैं या तेरी शुरूआत का तो मुझे पता है, तेरे अंत का नहीं’। कार्यक्रम में पीयूष, अवधेश ने ऑनलाइन मोड पर अपनी रचनाएं सुनाईं। वहीं ऑफ लाइन मोड में नीलेश और रोहित की सुनाई गई रचनाओं को सभी ने पसंद किया। आगे पढ़िये –
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