‘गधे की बारात’ की रिकॉर्ड पारी जारी, अब तक हुए 339 शोज़!

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। रोहतक में ‘सप्तक कल्चरल सोसायटी’ के कलाकारों ने जींद के हर्ष इंटरनेशनल स्कूल में नाटक “गधे की बारात” का सफल मंचन किया। नाटक का यह 339 वां मंचन था , जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।  नाटक के मूल लेखक हरिभाई वडगांवकर हैं, उनके मराठी नाटक का हिंदी रूपांतरण राजेंद्र मेहरा और रमेश राजहंस ने  किया है। जबकि लंबी पारी वाले इस नाटक के निर्देशक और परिकल्पनाकार विश्व दीपक त्रिखा हैं। हरियाणा कला परिषद हिसार ज़ोन के सहयोग से यह नाटक मंचित हुआ। आयोजन ‘शैडो चिल्ड्रन रिसर्च सेंटर फॉर थिएटर एंड टीवी’ का रहा। पौराणिक कथा पर आधारित नाटक: यह नाटक एक पौराणिक कथा पर आधारित है। इंदर देव के दरबार में अप्सरा रंभा नृत्य कर रही है। तभी चित्रसेन गंधर्व सुरा के नशे में अप्सरा रंभा का हाथ पकड़ लेता है। इंद्र गुस्से में आकर इसको श्राप देता है कि वह मृत्यु लोक में गधा बनकर भटकेगा। जब गंधर्व माफी मांगता है तो इंद्र उसको वरदान भी देता है कि जब उसकी शादी वहां के एक राजा की लड़की से होगी, तब वह श्राप से मुक्त हो जाएगा। गधे के रूप में कुम्हार की सेवा: चित्रसेन पृथ्वी पर गधा बनकर, कल्लू कुम्हार के घर में रहने लगता है। वह कुम्हार की बडी सेवा करता है। एक दिन राजा मुनादी करवाता है कि जो कोई भी एक रात में महल की ड्योढ़ी से मुफलिसों की बस्ती तक पुल बनाएगा, राजकुमारी की शादी उसके साथ की जाएगी। गधा बना गंधर्व चित्रसेन इस शर्त को पूरा कर देता है और पुल बना देता है। अब राजा की परेशानी बढ़ जाती है की गधे के साथ अपनी बेटी की शादी कैसे करें लेकिन क्योंकि वादा हुआ था तो शादी करनी पड़ती है लेकिन जैसे ही जयमाला डालते हैं, गंधर्व अपने वास्तविक रूप में आ जाता है और अपनी असलियत बताता है। मगर इसके बाद एक और दिलचस्प मोड़ आता है और हालात पूरी तरह से बदल जाते हैं। हास्य से भरपूर है यह भावपूर्ण नाटक:  यह नाटक हास्य से भरपूर है। साथ ही अपने संदेश को पूरी तरह से संप्रेषित करता है। नाटक में कल्लू कुम्हार की मुख्य भूमिका अविनाश सैनी ने निभाई। बृहस्पति गुरु और चौपट राजा की भूमिका डॉक्टर सुरेंद्र शर्मा ने, इंद्र की भूमिका शक्ति सरोवर त्रिखा ने, द्वारपाल और दीवान की भूमिका तरुण पुष्प त्रिखा ने, चित्रसेन की भूमिका अनिल शर्मा ने, गंगी की भूमिका चेरी गिरधर ने, राजकुमारी की भूमिका मधु आर्य ने और बुआ जी, रंभा और राजकुमारी की भूमिका सिमरन जांगड़ा ने अभिनीत की। बैक स्टेज पर इन कलाकारों का रहा सहयोग: लोक संगीत ने भी नाटक को गति और रोचकता प्रदान की। इसमें सुभाष नगाड़ा और गुलाब सिंह की प्रमुख भूमिका रही। हरियाणा के वरिष्ठ गायक गुलाब सिंह की गायिकी ने नाटक में अपनी तरह से समा बाँधा। नगाड़े पर आदित्य और ढोलक पर सन्नी ने साथ दिया। प्रॉडक्शन की ज़िम्मेदारी अविनाश सैनी ने ही  निभाई। मेकअप अनिल शर्मा  और समन्वयन जींद के वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. हनीफ भट्टी का रहा। आगे पढ़िये – एनएसडी दिल्ली में एशिया पैसिफिक थियेटर फेस्टिवल से जुड़ी रिपोर्ट। https://indorestudio.com/nsd-me-asia-pacific-theatre-festival/

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