ग्वालियर में ‘रांग नंबर’ से ‘अनुकृति’ कानपुर के नये शो का शुभारंभ

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। आर्टिस्ट कंबाइन द्वारा ग्वालियर में 5 से 7 जुलाई 2024 तक तीन दिवसीय नाट्य समारोह संपन्न हुआ। इस समारोह में ‘अनुकृति रंगमंडल’, कानपुर के कलाकारों ने अपने दो नाटकों का मंचन किया। इनके नाम है ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ और ‘रांग नंबर’। ख़ास बात ये है कि ‘रांग नंबर’ अनुकृति रंगमंडल का पहला ही शो था। जबकि ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ के इस समारोह के प्रदर्शन को मिलाकर कुल नौ शो हो चुके हैं। ‘रांग नंबर’ के प्रीमियर शो को दर्शकों ने बड़ी दिलचस्पी से देखा और बाद में खड़े होकर जमकर तालियां बजाईं, कलाकारों का अभिनंदन किया। टेररिस्ट की प्रेमिका का नौवां शो: दोनों ही नाटकों का लेखन पाली भूपिंदर सिंह ने किया है। उन्हें हाल ही में संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित भी किया गया है। उनके लिखे नाटक ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ को ख़ासी प्रशंसा मिली है। अब नाटक ‘रांग नंबर’ ने भी उनके लेखन के प्रति दिलचस्पी जगाई है। यहां यह कहना ज़रूरी होगा कि जितना अच्छा  उन्होंने यह नाटक लिखा है, डॉ.ओमेन्द्र कुमार के निर्देशन में कलाकारों ने भी उतना ही अच्छा अभिनय किया है। यह नाटक पत्नी पर शक करने वाले एक पति की कहानी है। अनीत के मुश्किल किरदार की कहानी: ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ एक संस्पेंस थ्रिलर है। नाटक एक पुलिस अफसर, उसकी पत्नी और एक टेररिस्ट की कहानी है। नाटक की नायिका अनीत (संध्या सिंह) का विवाह पुलिस अफसर देवराज (विजयभान सिंह) से होता है। मगर एक दिन पुलिस अफ़सर की गैर मौजूदगी में एक अजनबी (दीपक राज राही) घर पर धमकता है। वह अनीत को बताता है कि मैं एक टेररिस्ट हूं और देव से एक पुराना बदला लेने के लिए आया हूं। पुलिस अफ़सर एक बेरहम क़ातिल: टेररिस्ट अनीत को बताता है कि उसके अफसर पति की यातनाओं से ना सिर्फ उसकी प्रेमिका नीलू की जान गई है बल्कि प्रमोशन और दस लाख रूपये के लालच में उसने उसकी जगह पांच बहनों के भाई और एक विधवा के बेटे को मार डाला है। अनीत, टेररिस्ट की बात सुनकर अपने पति की जान बख्शने की मिन्नतें करती है। इसके बाद टेररिस्ट देव से अपना बदला लिये बिना ही चला जाता है। इंसाफ़ के लिये अनीत के हाथ में पिस्तौल: मगर कहानी में फिर एक ऐसा मोड़ आता है कि अनीत को अपने हाथ में पिस्तौल उठाने को मजबूर हो जाना पड़ता है। अनीत पिस्तौल उठाकर आख़िर किसके हक़ में इंसाफ़ करती है। यही इस नाटक का थ्रिल से भरा अंत है। नाटक में अनीत के रूप में संध्या सिंह ने बेहतरीन अभिनय किया है। इसी तरह दीपक राही और विजयभान सिंह अपने-अपने किरदारों में प्रभावशाली अभिनय करते हैं। नाटक में पंजाबी गीतों का उपयोग किया गया है। संगीत विजय भास्कर, प्रकाश संचालन कृष्णा सक्सेना का है। पत्नी पर शक करने वाले पति की कहानी: नाटक ‘रांग नंबर’  मानव और सत्या की कहानी है। व्हील चेयर पर अपनी जिंदगी गुजार रहे मानव (दीपक राज राही) के दोनों पैर एक कार एक्सीडेंट में बेकार हो चुके हैं। पत्नी सत्या (दीपिका सिंह) उसका बहुत ख्याल रखती है लेकिन मानव उसपर शक करता है। उसे लगता है कि पत्नी सत्या का, उसके दोस्त संभव के साथ अफेयर चल रहा है।जब मानव के पास आता है एक कॉल: इस बीच मानव के पास एक कॉल आती है, जो एक रॉग नंबर है। कॉल करने वाली एक खूबसूरत महिला कल्पना (संध्या सिंह) है। कल्पना एक बूढ़े अमीर की पत्नी है। वह अपने नीरस जीवन में खुशियों के कुछ पल तलाश रही है। वह एक काल्पनिक प्रेमी आकाश का नंबर डायल करती है मगर कॉल मानव को लग जाती है। कॉल आने पर मानव से उसकी तमाम बातें होती हैं। मानव उसे अपनी पत्नी की बेवफाई के बारे में बताता है। तब कल्पना कहती है कि बेवजह पत्नी पर शक करना ठीक नहीं है। वह यह भी कहती है कि ‘ख़ूबसूरत किसी की मुस्कुराहट नहीं होती, ख़ूबसूरत वो नज़र होती है, जिससे कोई किसी को मुस्कुराते हुए देखता है’। बर्थ डे केक पर शक का ज़हर: मानव कल्पना को बताता है कि आज उसका बर्थ डे है, सत्या ने केक मंगवाया है और मैंने केक पर ज़हर मंगाकर उसपर छिड़क दिया है। आख़िर केक काटने की घड़ी आ जाती है। सवाल ये है कि तब होता क्या है ? क्या कल्पना की बातों का मानव पर असर पड़ा है या शक्की पति का पत्नी से भरोसा ही उठ गया है ? यही इस नाटक का मर्मस्पर्शी अंत है। नाटक में कलाकारों का भावप्रवण अभिनय: ‘रांग नंबर’ का यह पहला प्रदर्शन था। इसके पहले ही मंचन में नाटक के सभी कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है। नाटक में संगीत विजय भास्कर और प्रकाश परिकल्पना कृष्णा सक्सेना की रही । नाटक के समापन पर आयोजक आर्टिस्ट कंबाइन की अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा भागवत और सचिव रवि आफले ने कलाकारों को सम्मानित किया। उन्होंने अनुकृति, कानपुर के कलाकारों की प्रशंसा की। आगे पढ़िये – ठेके पर मुशायरा देखते वक्त दर्शक जमकर ठहाके लगाते रहे https://indorestudio.com/theke-par-mushaira/

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