IFFI 2002 IFFI 53: सिने प्रतिनिधि,इंदौर स्टूडियो। ‘इफ्फी ने न सिर्फ हमारा मनोरंजन किया, बल्कि हमारा ज्ञान भी बढ़ाया। इफ्फी ने हमें गुदगुदाया और हमारे अनुभवों को बढ़ा दिया।’ केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने फिल्म महोत्सव के समापन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘इफ्फी ने युवा दर्शक हों या बुजुर्ग, नए हों या दिग्गज, सभी के लिये सिनेमा की बारीकियों से भरी अद्भुत दुनिया पूरी तरह से खोल दी’। फिल्म महोत्सव का समापन पणजी के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में एक भव्य समारोह के साथ हुआ। समारोह में कई फ़िल्मी सितारें और दिग्गज हस्तियां मौजूद थीं। 35000 मिनट की 282 फिल्में: अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘पिछले नौ दिनों में इफ्फी के दौरान कुल मिलाकर 35000 मिनटों के समय वाली 282 फिल्में दिखाई गईं। इस महोत्सव में दुनिया भर के 78 देशों की 183 अंतर्राष्ट्रीय फिल्में और 15 भारतीय भाषाओं में 97 भारतीय फिल्में दिखाई गईं। 20 से अधिक मास्टरक्लास, बातचीत सत्र और अनगिनत सेलिब्रिटी कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें से कई सत्र न केवल वास्तविक रूप में, बल्कि वर्चुअल भी सुलभ थे।’ उन्होंने कहा, ‘इफ्फी में दिखाई गई व्यापक विविधता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की जीवंत अभिव्यक्ति है जिसने दुनिया भर के रचनात्मक विचारकों, फिल्म निर्माताओं, सिनेमा प्रेमियों और संस्कृति प्रेमी लोगों को एक मंच प्रदान किया।’
53वें इफ्फी में कई नई शुरुआत : मंत्री महोदय ने कहा कि 53वें इफ्फी का समापन कई शुरुआत करने के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि फ्रांस द्वारा भारत को दिया गया ‘कान्स कंट्री ऑफ़ ऑनर’ का दर्जा देने के बदले में फ्रांस का ‘कंट्री ऑफ फोकस’ के रूप में चयन करना, टेक्नोलॉजिकल पार्क जिसमें सिनेमा की दुनिया से नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित किया गया, 75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो को 53 घंटे की चुनौती, मणिपुरी सिनेमा के लिए विशेष रूप से तैयार पैकेज इनमें से कुछ हैं। पहली बार कनाडा के फिल्म स्कूलों, ओटीटी के दिग्गजों और कुंग फू पांडा के निर्देशक मार्क ओसबोर्न जैसे ऑस्कर नामांकित लोगों के साथ साझेदारी में मास्टरक्लास आयोजित की गईं।
क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं: अनुराग ठाकुर ने कहा कि क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं रह गया है, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो गया है। उन्होंने कहा, ‘इस साल कई फिल्मों जैसे कि आरआरआर, केजीएफ और अन्य ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम फहराया है। हाल ही में हमारे पास बांग्लादेश और मध्य एशियाई देशों से एक प्रतिनिधिमंडल आया था जिसमें 80 से भी अधिक युवा शामिल थे। वे केवल हिंदी फिल्मी गाने और क्षेत्रीय फिल्मी गाने सुनना चाहते थे। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के दौर से लेकर अक्षय कुमार और चिरंजीवी तक की फिल्मों के बारे में चर्चा की, जो विभिन्न देशों की सीमाओं को मिटा देती हैं। यदि कंटेंट दमदार है, तो यह किसी विशेष क्षेत्र या देश की सीमा तक ही सीमित नहीं रहता है।’
भारत में फिल्मांकन का समृद्ध इकोसिस्टम: इफ्फी के भविष्य के संस्करणों का खाका खींचते हुए, उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य भारत में फिल्मांकन का एक समृद्ध इकोसिस्टम विकसित करना और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप एक ऐसे फिल्म उद्योग का निर्माण करना है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त होगा।अनुराग ठाकुर ने कहा कि सिनेमा की दुनिया नैसर्गिक प्रतिभाओं से भरी हुई है और थिएटर स्कूलों, छोटे स्वतंत्र प्रोडक्शन हाउस तथा देश के दूरदराज इलाकों से निकली प्रतिभाएं अपने के लिए जगह तलाश रहीं हैं। उन्होंने कहा, “मंच नए हैं, चाहे वह आपके मोबाइल उपकरणों पर बनाई गई लघु फिल्में हों या फिर ओटीटी पर चलने वाली फिल्में। हम बड़ी संख्या में प्रतिभाओं को अपनी पहचान बनाते, दर्शकों को रोमांचित करते तथा प्रशंसकों द्वारा पसंद किए जाते और उनकी फिल्मों को शानदार व्यवसाय करते हुए भी देख रहे हैं।”
फिल्म निर्माण में इजरायल के साथ साझेदारी: अनुराग ठाकुर ने कहा कि फौदा भारत में हिट रही है और इसके चौथे सीजन के प्रीमियर का इफ्फी में जोरदार स्वागत हुआ है। उन्होंने 53वें इफ्फी में यहां गोवा आने के लिए इजरायली राजदूत नओर गिलोन को भी धन्यवाद दिया। समीक्षकों द्वारा विशेष रूप से प्रशंसित इज़राइली श्रृंखला, ‘फौदा’ के चौथे सीज़न का प्रीमियर 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में इसके वैश्विक लॉन्च से बहुत पहले ही किया गया। इजराइल के स्टार्टअप इकोसिस्टम की सफलता की कामना करते हुए, मंत्री ने सिनेमा और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में इजराइल के साथ नई साझेदारी बनाने के प्रति विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इजरायली समकक्षों के साथ सह-निर्माण और सहयोग होना चाहिए। आने वाले समय में भारत दुनिया का कंटेंट हब बनने वाला है।’ (इनपुट पीआईबी)