इंदौर में सतीश श्रोत्री लिखित और निर्देशित 3 नाटकों का मंचन

0
14

कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। इंदौर के अभिनव कला समाज में एकल नाट्य त्रिवेणी ने तीन एकल नाटकों की सफल प्रस्तुति दी। तीनों ही नाटकों का लेखन और निर्देशन वरिष्ठ निर्देशक और रंग-सज्जा निर्देशक सतीश श्रोत्री ने किया। इंदौर में वे पथिक नाट्य संस्था के प्रमुख है, यह संस्था वर्षों से नये प्रयोगों के लिये पहचान रखती है। तीनों प्रस्तुत नाटकों के नाम है क्रमश: ‘एक था अलादीन’, ‘बिसात’ और ‘आसमान के तारे’। पहले दो नाटकों में युवा रंगकर्मी प्रजापति और तीसरी प्रस्तुति में श्रीमती शोभना विसपुते ने अभिनय किया। क्या है इन नाटकों की कहानी, आइये जानते हैं। फौजी पिता के इंतज़ार की व्यथा-कथा : नाटक ‘आसमान के तारे’ एक बच्ची द्वारा अपने पिता के इंतज़ार की व्यथा को दर्शाता है। वह अपने फौजी पिता का इंतजार कभी दिनों तक तो कभी महीनों तक करती है। इसी इंतज़ार मे वह अपने पिता द्वारा दी गयी सीख को जीवन मे उतारने की कोशिश करती है, लेकिन एक दिन उसका यह इंतज़ार कभी न ख़त्म होने वाला इंतज़ार बन जाता है और आँसुओं का बांध टूट जाता है।अलादीन और जिन्न की अलग कहानी: इस एकल नाटक में अलादीन और जिन्न की वो कहानी नहीं है जिसे हम सुनते आ रहे हैं यह उसके विपरीत है, इस नाटक में अच्छाई और बुराई दो पक्षों को दिखाया गया है। अलादीन जो अब जादुई दुनिया से बाहर निकल कर समाज सुधार के कार्यों के साथ अच्छाई की ओर अग्रसर है, वहीं जिन्न बुराई का प्रतीक है, वो अपनी अच्छाई को भूलकर भ्रष्टाचार जैसे अनैतिक कामों की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। इस तरह दोनों किरदारो का अंतर्द्वन्द काम आता है। कमरे की तलाश और जीवन भर का साथ: यह नाटक एक गाँव से आये हुए लड़के के जीवन पर आधारित है। वह एक शहर में अपनी सरकारी नौकरी का आदेश लेकर आता है और किराये पर कमरा तलाश करते हुए एक बुजुर्ग दम्पति के पास चला जाता है। वह उसे अपने घर में आश्रय देते हैं, लेकिन समय के साथ वो बुजुर्ग दम्पति उस लड़के में जिंदगी से खोये हुए अपने लड़के को देखने लगते हैं और उस लडके के साथ उनका गहरा लगाव हो जाता है, लेकिन कभी-कभी प्यार में थोड़ी खटास आ ही जाती है, जिसके चलते लड़का घर छोड़ने के बारे में सोचने लगता है लेकिन लगाव सिर्फ एक ही तरफ से नहीं है, दोनों तरफ से है। आख़िर वे दोनों फिर से साथ रहने का फैसला कर लेते हैं। दोनों ही नाटक में प्रकाश और संगीत मिलिंद शर्मा और अभिजीत वडनेरे का रहा। आगे पढ़िये – दि प्ले ब्वॉय: एनएसडी में सौ साल पुराना नाटक – https://indorestudio.com/the-play-boy-nsd/

LEAVE A REPLY