इंदौर में अभंग और भाव गीतों की अध्यात्मिक रस वर्षा

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। मराठी संतों के प्रिय देव हैं श्री विट्ठल यानी विठोबा। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। विठोबा को समर्पित कई प्रमुखों संतों ने बहुत से अभंग और भाव गीत रचे हैं। इंदौर में उन्हीं रचनाओं पर आधारित भक्ति संगीत का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस प्रस्तुति ने श्रोताओं को आध्यात्मिक रस से सराबोर कर दिया।जाल सभागार में हुआ आयोजन: भक्ति संगीत के इस कार्यक्रम का आयोजन मेघा अकर्ते और स्वरदा संस्धा ने जाल सभागार में किया। विशेष अतिथि के रूप में जयंत भिसे, विद्या कीबे और गीता आगाशे सम्मिलित हुए। उनका स्वागत शिशिर अकर्ते ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मराठी समाज के संगीत रसिकों ने हिस्सा लिया।भावपूर्ण रचनाओं का मनभावन गायन: कार्यक्रम में सपना केकरे, मेघा अकर्ते, नंदिनी कुलकर्णी और राजेंद्र गलगले ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का प्रारंभ मेघा अकर्ते ने ओंकार प्रधान रूप ‘गणेशा चे’ से किया। उनके बाद गायिका सपना केकरे ने ‘सुंदर ते ध्यान’ गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजेंद्र गलगले ने ‘पांडुरंग कांती दिव्य तेज झळकती’ और नंदिनी कुलकर्णी ने ‘ये ग ये ग विठाबाई’ गाकर सुनने वालों को निहाल कर दिया। प्रिय रचनाओं की मीठी सौग़ात: यह तो कार्यक्रम के शुरूआत थी। इसके बाद गायक कलाकारों ने भगवान श्री विट्ठल की लोकप्रिय रचनाओं की रसवर्षा ही कर दी। गायकों ने एक के बाद एक – भाव भोळ्या भक्ति ची, देव माझा विठू सावळा,अबीर गुलाल उधलित रंग, कानाडा राजा पंढरी चा विकत घेतला श्याम जैसी लोकप्रिय रचनाओं को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा जोशी ने किया। संगत योगेश्वर कान्हेरे,यश कान्हेरे,विवेक नवले और रवि सालके ने की।संतों ने रचे अभंग और भाव गीत: हम जानते ही हैं कि भगवान विट्ठल को समर्पित अभंग और भाव गीत संत ज्ञानदेव, तुकाराम, मुक्ताबाई, ज्ञानेश्वर, जनाबाई, चोखामेळा आदि ने रचे हैं। भगवान विट्ठल का मंदिर महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के पंढरपुर में है। यह मंदिर भीमा नदी के तट पर बना है। इसे महाराष्ट्र की दक्षिण काशी भी कहा जाता है। भक्तों के लिए आध्यात्मिक स्वर्ग माने जाने वाले इस पवित्र स्थान पर पूरे देश से तीर्थयात्री आते हैं। उनकी भक्ति के रस में डूब जाते हैं।

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