सुप्रसिद्ध नाट्य समीक्षक डॉ.जयदेव तनेजा को ‘जीवन गौरव सम्मान’

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शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। “कुछ इस तरह से काफ़िले के साथ चल नज़ीर, जब तू ना चल सके, तो तेरी दास्तां चले”। सुप्रसिद्ध नाट्य समीक्षक डॉ.जयदेव तनेजा ने दिल्ली में उन्हें ‘जीवन गौरव सम्मान 2024’ प्रदान किये जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कही। उन्होंने कहा, ‘भले ही हम इस पैमाने के काबिल नहीं मगर कोशिश तो यही करना चाहिये’। उन्हें यह सम्मान प्रख्यात सिने और नाट्य दिग्गज असगर वजाहत ने दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ रंग समीक्षक डीएस बजेली ने कहा- ‘तनेजा जी को सम्मानित कर दिल्ली का समूचा नाट्य जगत गौरवान्वित हुआ है’। आपको बता दें कि हाल ही में तनेजा जी को इस साल का ‘कारवां-ए-हबीब तनवीर सम्मान’ भी दिये जाने की घोषणा हो चुकी है। ‘मंच आप सबका’ द्वारा दिया गया सम्मान: डॉ. तनेजा को यह सम्मान दिल्ली की रंग संस्था ‘मंच आप सबका (MASK)’ की तरफ़ से प्रदान किया गया। समारोह में स्व.रंग गुरू पंचानन पाठक की स्मृति में आयोजित नाट्य प्रतिस्पर्धा के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किये गये। (नीचे तस्वीर में मंच पर पर बांये से सवर्श्री अनिल शर्मा, भारत भूषण शर्मा, दीवान सिंह बजेली, डॉ. असगर वजाहत, डॉ.जयदेव तनेजा, विनोद पांचाल, सुरेंद्र सागर और MASK के अध्यक्ष दिनेश अहलावत।)सबसे पहले गुरूवर को नमन: अपने सम्बोधन में डॉ.तनेजा ने सबसे पहले रंग गुरू स्व. पंचानन पाठक को याद किया। उन्होंने पं. नेहरू और इब्राहिम अलकाज़ी से जुड़े उनके दो दिलचस्प किस्से भी सुनाये। साथ ही बताया कि स्व. पाठक इलाहाबाद रेडियो के संगीत के प्रोड्यसूर थे और उसी वक्त में वे एक स्कूल के फिज़िकल इंस्ट्रक्टर भी थे। उनके व्यक्तित्व में पहलवानी के साथ ही संगीत का विरल संयोग था। डॉ.तनेजा ने उन्हें दिये गये सम्मान के लिये आयोजकों के साथ ही मंच पर मौजूद वरिष्ठ कला समीक्षक डीएस बजेली और निर्णायक कमेटी के अन्य सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। वजाहत साहब के हाथों पुरस्कार गौरव की बात: उन्होंने कहा-‘असगर वजाहत साहब से पुरस्कृत होकर मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ। असगर जी बहुत ही शॉर्ट नोटिस पर दिल्ली आये और उन्होंने मुझे यह पुरस्कार देना स्वीकार किया। मैं उनके इस मान का आभारी हूँ। निश्चित ही वे हमारे समय के शीर्षस्थ नाटककार हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। यह समय असगर साहब नाम से जाना जायेगा। समय बतायेगा कि उनका नाटक ‘जिस लाहौर नहीं देख्या’ असल में एक कालजयी नाटक है। (नीचे तस्वीर में सर्वश्रेष्ठ नाट्य निर्माण ‘कैशलेस’ के लिये पुरस्कार ग्रहण करते अभिषेक जॉन और रुमानी टक्कर)सांस्कृतिक विकास की सबसे बड़ी ज़रूरत: समारोह को सम्बोधित करते हुए  नाटककार और लेखक असगर वजाहत ने कहा- ‘मेरे विचार से इस देश को सबसे अधिक सांस्कृतिक विकास की आवश्यकता है। नाटक इसका बहुत महत्वपूर्ण अंग है, संगीत इसका एक हिस्सा है। साहित्य और कलाओं के बिना किसी भी समाज की प्रगति असंभव है। साहित्य और संस्कृति का बुनियादी काम मनुष्य को मनुष्य से जोड़ना है, एक समरसता पैदा करना है। लोगों को संवेदनशील बनाना है और किसी भी समाज की रचना संवेदनशीलता के बिना नहीं हो सकती है। जो काम राजनीति नहीं कर सकती, वो काम साहित्य और कलाएं करती हैं’। (समारोह में अमुल सागर द्वारा निर्देशित नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ की सिमरन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। सहयोगी कलाकार ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।)डॉ. तनेजा और नाटक एक-दूसरे के पर्याय: अपने उदबोधन में वजाहत साहब एक और बड़ी बात कही। आपने कहा, ‘डॉ. तनेजा और नाटक एक-दूसरे के पर्याय हैं। मैंने भी जब से नाटक में रुचि लेना शुरू की मैं तनेजा जी के लेखन को पढ़ता रहा। उनके काम को देखता रहा। ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने बिना किसी अपेक्षा या स्वार्थ के पूरा जीवन नाटक के विकास में, उसे समझने और प्रमोट करने में लगाया है। ऐसे लोगों का सम्मान बहुत बड़ी बात है। इस बड़े काम के लिये आयोजकों को बहुत बधाई’। (समारोह में नाटक ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ में दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता रीतेश को मिला।)तनेजा जी हिन्दुस्तान के श्रेष्ठ नाट्य समीक्षक: इस अवसर पर वरिष्ठ कला समीक्षक डीएस बजेली ने कहा, ‘मेरी नज़र में तनेजा जी हिन्दुस्तान के श्रेष्ठतम नाट्य समीक्षक हैं। वो जिस तन्मयता और इनसाइट विवरण के साथ समीक्षाएं लिखते थे, हम उसे बार-बार पढ़ते थे। उनकी समीक्षाओं को लेकर मैं भानु भारती जी से चर्चा किया करता था। ख़ुशी की बात है कि नाटकों का ये दार्शनिक आज हमारे बीच मौजूद है। इन्हें सम्मानित कर दिल्ली का नाट्य जगत अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इसके लिये मैं श्री दिनेश अहलावत जी की प्रशंसा करता हूँ जिन्होंने इस मंच का 22 वर्षों से निरंतर प्रबंधन किया है’। (समारोह में नाटक ‘गुदगुदी’ में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिये संजीव जौहरी को पुरस्कार मिला।) नाट्य स्पर्धा में 25 टीमों ने किया परफॉर्म: कार्यक्रम को निर्णायक मंडल के सर्वश्री भरत भूषण शर्मा और सुरेंद्र सागर ने भी सम्बोधित किया। श्री सागर ने कहा, ‘नाट्य प्रतिस्पर्धा में 25 थियेटर ग्रुप्स ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। उनके परफॉरमेंस को देखकर निर्णय लेना आसान नहीं था। ज़ाहिर है जिन्हें पुरस्कार मिला है, वे बधाई के पात्र हैं, जिन्हें नहीं मिल सका है, हम उनके लिये क्षमा प्रार्थी है। नियमों के तहत पुरस्कार भी कुछ ही कलाकारों या समूहों को दिया जा सकता है’। कार्यक्रम का संचालन ‘मंच आप सबका’ के अध्यक्ष श्री दिनेश अहलावत ने किया। कार्यक्रम के बाद उनके ही निर्देशित नाटक ‘हम नहीं किसी से कम’ का सफल मंचन हुआ। आगे पढ़िये, नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ की ख़ास रिपोर्ट – https://indorestudio.com/theke-par-mushaira-2/

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