ख्यात लेखिका और निर्देशक त्रिपुरारी शर्मा का निधन

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी,दिल्ली) की पूर्व प्रोफेसर, नाटककार और निर्देशिका त्रिपुरारी शर्मा का रविवार 1 अक्टूबर को निधन हो गया। 67 वर्षीय त्रिपुरारी जी फेफड़ों की बीमारी से संक्रमित थीं। उनका काफी समय से इलाज चल रहा था। उनके निधन पर देश भर के रंगकर्मियों ने श्रद्धाजंलि व्यक्त की है। एनएसडी में उनके साथ रहे अमिताभ श्रीवास्तव ने उनके निधन पर गहरा दु:ख जताया है। नाटकों और सिनेमा के लिये लेखन किया: ड्रामा प्रोफ़ेसर होने के साथ ही त्रिपुरारी जी अपने लिखे नाटकों और फिल्मों में लेखन के लिये विशेष पहचान रखती थीं। उन्होंने ‘आधा चांद’, ‘संपदा’, ‘मे बी दिस समर’, ‘शायर- शटर डाउन’, ‘बहू’, ‘अक्स पहेली’, ‘बिरसा मुंडा’, ‘बांझ घाटी’ जैसे नाटक लिखे और निर्देशित किये। उन्होंने 16 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया। कई रंगमंडलियों के साथ काम किया। उनके लिखे कुछ नाटकों का अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती और फ्रेंच में अनुवाद भी हुआ। त्रिपुरारी जी ने फ़िल्म ‘मिर्च मसाला’ और ‘हजार चौरासी की मां’ जैसी फिल्मों के लिए पटकथाएं भी लिखी थीं। महिला लेखिका, निर्देशक के रूप में उन्होंने ज़बरदस्त रचनाशीलता का परिचय दिया,अपनी तरह की मिसाल कायम की। एनएसडी से डिप्लोमा किया था: त्रिपुरारी जी का जन्म 31 जुलाई, 1956 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। स्कूल और विश्वविद्यालीन काल में ही वे कला और संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेने लगी थीं। उनकी अभिरूचि ने उन्हें एनएसडी पहुँचा दिया। 1979 में उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से डिप्लोमा हासिल किया, साथ ही निर्देशन में विशेष दक्षता भी। यहीं पर अध्यापन से जुड़ी।अमेरिका में किया था प्रतिनिधित्व: त्रिपुरारी शर्मा ने 1988 में अमेरिका में हुए प्रथम महिला नाटककार सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें वर्ष 2013 में सफदर हाशमी पुरस्कार (यूपी संगीत नाटक अकादमी), दिल्ली साहित्य कला परिषद पुरस्कार और केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। आगे पढ़िये –

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