अजित राय, इंदौर स्टूडियो। पिछले साल सेक्स शिक्षा पर अमित राय की फिल्म ‘ओ माय गॉड 2’ की काफी सराहना हुई थी और सेंसर बोर्ड में विवाद भी खूब हुआ था। इन सबके बावजूद यह एक बेहतर फिल्म थी जो किशोर बच्चों के मनोविज्ञान पर प्रभावी ढंग से प्रकाश डालती थी। 18 दिसंबर 2024 को अमेज़न प्राइम वीडियो पर किशोर लड़कियों में सेक्सुअलिटी की जागरूकता पर बनी भारतीय फिल्मकार शुचि तलाती की फिल्म ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ रिलीज़ हुई है।‘मामी’ में हुआ था फिल्म का प्रीमियर: बीते साल अक्टूबर में मुंबई फिल्म फेस्टिवल – मामी के एशियाई प्रतियोगिता खंड में इस फिल्म का प्रीमियर हुआ था और इसे जूरी का स्पेशल मेंशन अवार्ड , नेटपैक अवार्ड, यंग क्रिटिक्स चायस अवार्ड और फिल्म क्रिटिक गिल्ड का जेंडर सेंसिटिविटी अवार्ड मिला। मामी फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म की ज़ोरदार चर्चा रही। फेस्टिवल में युवा दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया और हृतिक रोशन, शबाना आजमी, विशाल भारद्वाज सहित मुंबई फिल्म उद्योग की कई जानी-मानी हस्तियां पहुंची। ऋचा चड्ढा इस फिल्म की प्रोड्यूसर है और यह उनकी प्रोडक्शन कंपनी की पहली फिल्म है। शुचि तलाती की तो यह पहली फिल्म है।
सन डांस फेस्टिवल में हुआ था प्रदर्शन: ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ का वर्ल्ड प्रीमियर अमेरिका के सनडांस फिल्म फेस्टिवल के वर्ल्ड ड्रामाटिक कंपीटिशन खंड में इसी साल जनवरी 2024 में हुआ और इसे आडियंस अवॉर्ड से नवाज़ा गया। साथ ही फिल्म में प्रमुख भूमिका निभाने वाली प्रीति पाणिग्रही को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए वर्ल्ड सिनेमा ड्रामाटिक का स्पेशल मेंसन जूरी अवार्ड भी मिला। इसके बाद यह फिल्म मई 2024 में 77 वें कान फिल्म समारोह में किशोर बच्चों के लिए शुरू किए गए नये खंड कान एक्रांस जूनियर में प्रदर्शित की गई। इसी अक्टूबर में इजिप्ट के अल गूना फिल्म फेस्टिवल में यह फिल्म ऑफिशियल सेलेक्शन में दिखाई गई।
फिल्म की ज़्यादातर तकनीशियन महिलाएं: इस फिल्म की एक और खासियत है कि इसके अधिकतर तकनीशियन महिलाएं हैं। शुचि तलाती का कहना है कि ऐसे संवेदनशील विषय फिल्म शूट करते हुए यदि सेट पर केवल महिलाएं ही हों तो कलाकारों को बहुत सुविधा हो जाती है। यह फिल्म कनी कुश्रुति और प्रीति पाणिग्रही के सशक्त और समृद्ध अभिनय के लिए भी याद की जाएगी। इसकी सधी हुई पटकथा भी शुचि तलाती ने हीं लिखा है। फिल्म में पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमैजिन ऐज लाइट’ फिल्म से मशहूर हुई कनी कुश्रुति, प्रीति पाणिग्रही (पहली फिल्म), केशव बिनय किरण आदि ने निभाई है।
स्टूडेंट्स को एकांत मिलने की आज़ादी नहीं: सोलह साल की मीरा किशोर (प्रीति पाणिग्रही) भारतीय हिमालय की तलहटी में स्थित एक सह शिक्षा हायर सेकंडरी बोर्डिंग स्कूल में बारहवीं में पढ़ती है और स्कूल के इतिहास में पहली बार हेड प्रीफेक्ट (स्कूल मॉनिटर) बनी है। वह स्कूल कीपर भी है। यह एक कड़े अनुशासन वाला स्कूल है जहां लड़के-लड़कियों को एकांत में मिलने की आजादी नहीं है। उसी क़स्बे में मीरा के पिता का एक आउट हाउस है जहां परीक्षाओं के दौरान उसकी मां अनीला (कनी कुश्रुति) उसकी देखभाल करने के लिए आकर रहती है। परीक्षाओं के दौरान मीरा ज़्यादातर समय होस्टल की बजाय अपने घर पर हीं रहती हैं। मीरा के टॉप करने की खुशी में उसकी मां अनीला स्कूल में आकर सबको मिठाई बांटती है। मीरा को यह बात बुरी लगती है क्योंकि स्कूल में अभिभावकों का इस तरह कैंपस में आने की अनुमति नहीं है। अनीला उसे समझाती है कि पूर्व छात्रा होने के कारण उसे अनुमति है।
मीरा और श्री साझा करने लगते हैं सिक्रेट्स: मीरा को अचानक महसूस होता है कि वह अपने एक सहपाठी श्रीनिवास के प्रति आकर्षण का अनुभव करने लगी है। उसे सभी ‘श्री’ कहते है। वह दक्षिण भारतीय है और सिंगापुर का अप्रवासी भारतीय है। उसकी रुचि एस्ट्रोनामी में हैं। मीरा और श्री धीरे-धीरे करीब आते हैं और एक-दूसरे से अपने सिक्रेट्स साझा करते हैं। वे दोनों उस रहस्यमय अनुभव से गुजरते हैं जिनसे पहली बार शारीरिक बदलावों के कारण हर इंसान उस किशोरावस्था से जवान होती उम्र में गुजरता है।
मां देती है साथ में पढ़ने की इजाज़त: मीरा क्लास में हमेशा अव्वल आती रहीं हैं। उसकी मां उन दोनों की बढ़ती मित्रता से चिंतित हो जाती है। उसे डर है कि इस चक्कर में मीरा का रिजल्ट खराब न हो जाए। वह श्रीनिवास से मिलती है और उसे खाने पर घर बुलाती है। शुरुआती हिचकिचाहट के बाद वह मीरा और श्रीनिवास को घर पर एक साथ पढ़ाई करने की अनुमति दे देती है। वह इस बात का ख्याल रखती है कि दोनों को अनावश्यक एकांत न मिलने पाए। फिर भी किसी न किसी तरह मीरा एकांत तलाश लेती हैं। मीरा श्रीनिवास को घर से दूर पहाड़ों में सेक्सुअल अनुभव हासिल करने के लिए आमंत्रित करती है। दोनों के लिए यह पहला अनुभव है। श्रीनिवास पहले ही अनुभव में असफल हो जाता है।
मां की नज़र,रिश्तों के त्रिकोण में मीरा: अब मीरा रिश्तों के एक ऐसे त्रिकोण में फंस गई है जहां एक ओर उसपर नजर रख रही उसकी मां है तो दूसरी ओर अनेक आग्रहों उम्मीदों के लिए उसका ब्वायफ़्रेंड। उसकी मां यह सब समझती है और वह भी श्रीनिवास से दोस्ती कर अपने स्कूली जीवन की यादों में चली जाती है। वह भी अकेली है। यहां से फिल्म मां और बेटी के बहनापे और दोस्ती की अविस्मरणीय दिशा की ओर मुड़ जाती है। तभी स्कूल में एक ऐसी घटना घटती है कि मीरा के होश उड़ जाते हैं।
मीरा को घेर लेता है छात्रों का समूह: मीरा प्रिंसीपल का रोल निभा रही है। छात्रों का एक समूह जिनमें से कुछ की मीरा ने प्रिंसिपल मिसेज बंसल से शिकायत की थी, उसे घेर लेता है। उनसे जैसे-तैसे बचकर वह खुद को गर्ल्स हॉस्टल में बंद कर लेती हैं और बचाने के लिए अपनी मां को फोन करती है। अनीला बदहवास सी स्कूल पहुंचती है और मीरा को बचाती है। मां-बेटी दोनों घर लौटते हैं। श्रीनिवास दिल को छूने वाली एक बात बताता है कि स्कूल में कैसे सब लोग मीरा को प्यार से कहते हैं कि उसकी मां अनीला उसके लिए पति से अलग रहकर एकाकी जीवन बिता रही है। मीरा को सहसा अपनी मां की हालत का अहसास होता है। (इस रिपोर्ट के लेखक अजित राय प्रख्यात फिल्म समीक्षक और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के विशेज्ञष हैं। आप दुनिया भर के फिल्म समारोहों पर हिन्दी में लिखने वाले पहले भारतीय पत्रकार हैं।) आगे पढ़िये – https://indorestudio.com/2-ladkiyon-ki-kahani/