कितने कलाकारों के लिये लिखा याद नहीं: शकील अख़्तर

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। ‘मुझे याद नहीं कि बीते 35 सालों में मैंने कितने कार्यक्रम देखें, कितने आयोजनों और कलाकारों पर लिखा। इतना भर याद है कि जब भी कोई अच्छा शो या कार्यक्रम देखने को मिला या किसी कलाकार के काम ने प्रभावित किया तो मैंने उनके बारे में लिखना ज़रूरी समझा’। लेखक, पत्रकार और कला समीक्षक शकील अख़्तर ने यह बात कही। वे इंदौर में अभिनव रंगमंडल द्वारा उन्हें ‘राष्ट्रीय अभिनव कला समीक्षा सम्मान’ दिये जाने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। राष्ट्रीय नाट्य समारोह में हुआ सम्मान: इंदौर के आनंद मोहन माथुर सभागृह में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। यह अभिनव रंगमंडल के राष्ट्रीय नाट्य समारोह की तीसरी और अंतिम संध्या थी। इस दिन समापन प्रस्तुति के रूप में प्रेमचंद रचित और वीणा शर्मा निर्देशित हास्य नाटक ‘रसिक संपादक’ का प्रभावशाली मंचन किया गया। यह रंग विषारद, दिल्ली की यादगार प्रस्तुति रही। इसे देखते वक्त सभागार में दर्शकों के लगातार ठहाके गूँजते रहे। सम्मान से पहले पारंपरिक सत्कार: कार्यक्रम में बतौर अतिथि स्टेट प्रेस क्लब और अभिनव कला समाज, इंदौर के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, रचनात्मक गतिविधियों के संरक्षक व्यक्तित्व राहुल जैन और अभिनव रंगमंडल के प्रमुख वरिष्ठ नाट्य निर्देशक शरद शर्मा मौजूद थे। श्री अख़्तर का अतिथियों द्वारा श्रीफल और शाल से पारंपरिक सत्कार किया गया। उन्हें वाचन के साथ ही प्रशस्ति पट्टिका और 11,000/ रूपए की राशि ऑनलाइन भेंट की गई। उल्लेखनीय यह भी है कि साल 2025 के लिये स्व.आलोक चटर्जी को अभिनव रंगमंडल द्वारा ‘विशेष राष्ट्रीय अभिनव रंग सम्मान’ प्रदान किया गया है। रंगमंडल के राष्ट्रीय नाट्य समारोह के पहले दिन यह पुरस्कार स्व.आलोक की पत्नी प्रख्यात रंगमंच अभिनेत्री शोभा चटर्जी ने ग्रहण किया। कला समीक्षक से ज़्यादा एक आर्ट प्रमोटर: अपने सम्बोधन के दौरान भावुक हुए शकील अख़्तर ने कहा- ‘रंगमंच के कलाकार के रूप में मैंने इंदौर से अपनी कला का सफ़र शुरू किया था। अब इसी शहर में मुझे कला समीक्षक का सम्मान दिया गया है। परंतु मैंने कला समीक्षक के दृष्टिकोण की जगह कलाकारों के हित में एक प्रोत्साहक (आर्ट प्रमोटर) की भूमिका निभाने की कोशिश की है। इसकी वजह यही है कि मैं खुद एक कलाकार रहा हूँ और कलाकारों के संघर्ष और दर्द को समझता हूँ’। अपने सम्बोधन के दौरान उन्होंने रंगमंच के सफ़र से जुड़े उन रंग समूहों, कलाकारों और निर्देशकों को भी याद किया, जिनकी वजह से उनमें कला की समझ और रचनात्मक दृष्टि पैदा हुई।रंगमंच के आम कलाकारों का संघर्ष जारी:  श्री अख़्तर ने कहा, एक तरफ़ व्यावसायिक थियेटर कलाकारों के हित में सामने आ रहा है, महिन्द्रा थियेटर अवार्ड और आदित्य बिड़ला समूह के आद्यम थियेटर समर्थित प्रॉडक्शन इसकी मिसाल हैं, वहीं दूसरी तरफ आज भी थियेटर के आम कलाकार बेहद अभावों और असुविधाओं के चलते किसी तरह अपने जुनून को आगे बढ़ा रहे हैं। आज भी वे सभागृहों के भारी भरकम किराये और रिहर्सल की जगहों के लिये संघर्षरत हैं’। बता दें कि शकील अख़्तर ने युवा पत्रकार के रूप में 1986-87 से ‘नवप्रभात’ ग्वालियर से कला समीक्षाओं को लिखने का सिलसिला शुरू किया था। यह सिलसिला इंदौर से लेकर देश भर के समाचार पत्र-पत्रिकाओं से होता हुआ आज भी उनकी वेबसाइट ‘इंदौर स्टूडियो’ के माध्यम से जारी है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी और अनुभवी: कार्यक्रम में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने अपने सम्बोधन में कहा- ‘शकील अख़्तर बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व हैं, उनके पास हर तरह के काम का व्यावहारिक अनुभव है। वे एक अच्छे पत्रकार, सम्पादक, कवि, नाटककार हैं। मगर इससे भी बढ़कर वे एक सहज और सरल इंसान हैं। वे वर्षों से अभिनव कला समाज और स्टेट प्रेस क्लब के आयोजनों में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। वे हमेशा ही नई कल्पनाओं के साथ पत्रकारिता और कलाकारों के हित से जुड़े कामों के लिये निरंतर बेहतर प्रयास करते रहते हैं’। 11 वें कला व्यक्तित्व के रूप में सम्मान: अभिनव रंगमंडल के प्रमुख शरद शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा- ‘शकील अख़्तर 11 वें ऐसे कला व्यक्तित्व हैं जिन्हें कला समीक्षक यह सम्मान प्रदान किया गया है। नाट्य समीक्षाओं में उनकी दृष्टि और उनके किये कामों ने उन्हें इस सम्मान का अधिकारी बनाया है। श्री शर्मा ने उन्हें एक गंभीर समीक्षक बताया और कहा कि वे एक ऐसे समीक्षक हैं जो खामियों को थियेटर की सामूहिकता के प्रति पूरी सहानुभूति और उसके बनावटीपन को पूरी निर्ममता के साथ देखते रहें हैं। वर्षों से देख रहा शकील अख़्तर का काम: कलाकारों के हितैषी श्री राहुल जैन ने कहा-‘शकील जी को मैं वर्षों से जानता हूँ और उनके काम वर्षों से देख और पढ़ रहा हूँ। उन्होंने इंदौर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक समाचार पत्रों और टीवी ज़र्नलिज़्म में अपनी अलग पहचान वाली भूमिका निभाई है। मैं उन्हें एक ज़िम्मेदार कला समीक्षक कहना चाहूँगा। यह उनके लेखन से ज़ाहिर होता है। सुशील शर्मा का पुष्पाहार से स्वागत: अंत में कलाकारों और अतिथियों के प्रति शरद शर्मा ने आभार व्यक्त किया। शकील अख़्तर ने रसिक सम्पादक में मुख्य भूमिका निभाने वाले कलाकार सुशील शर्मा का पुष्पाहार से स्वागत किया। सभी कलाकारों की प्रशंसा करते हुए उनकी 71 वीं प्रस्तुति की प्रशंसा की। आगे पढ़िये – देशभक्ति की फिल्मों के लिये हमेशा याद किये जायेंगे मनोज कुमार – https://indorestudio.com/deshbhakti-ki-film-manoj-kumar/

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