लखीमपुर-असम, शनिवार। अनुकृति रंगमंडल कानपुर की नाट्य प्रस्तुति ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ के मंचन का सिलसिला जारी है। कानपुर,लखनऊ और शिमला के बाद अब इस नाटक का असम के ज़िले लखीमपुर के फुलवाडी बोकानाडी में हुआ। यहां पर इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल जारी है। फेस्टिवल की शुरूआत इसी नाटक से हुई। पाली भूपिंदर सिंह के लिखे इस नाटक का निर्देशन डॉ. ओमेन्द्र कुमार ने निर्देशन किया है। सस्पेंस और थ्रिल से भरा नाटक: टेररिस्ट की प्रेमिका सस्पेंस और थ्रिल से भरा नाटक है। संवेदनशील संवाद नाटक की एक और ख़ूबी है। नाटक की नायिका हैं अनु (संध्या सिंह) जो प्रकृति से प्रेम करती है। अनु का विवाह पुलिस अफसर देवराज सिंह (विजयभान सिंह) से होता है। देव उसे नया नाम देता है अनीत। देव की पोस्टिंग पहाड़ी इलाके में होती है तो अनीत खुश होती है कि आसमान छूते पहाड़, देवदार के वृक्ष, सफ़ेद बादलों के बीच खूबसूरत जीवन का उसका सपना शायद सच हो गया, लेकिन यहां गोलियों के धमाके उसे निराशा करते हैं। उसे पता चलता कि यह इलाका आतंक प्रभावित क्षेत्र है।
जब होती है एक अजनबी की एंट्री: कहानी उस समय एक नये मोड़ पर पहुँचती है जब नाटक में एक अजनबी (दीपक राज राही) की एंट्री होती है। उसके हाव-भाव से अनीत उसे देव का कोई पुराना दोस्त समझ बैठती है लेकिन उसका भ्रम जल्दी ही टूटता है। अजनबी बताता है कि मैं एक टेररिस्ट हूं और देव से एक पुराना बदला लेने के लिए उसे खत्म करने आया हूं। अजनबी बताता है कि पहली बार जब मैं मिशन पर गया तो घबड़ाहट में एक खड्डे में जा गिरा, मेरा पूरा शरीर छिल गया था। पुलिस मुझे तलाश रही थी, मेरी प्रेमिका नीलू को पता चला तो वह रात में तीन मील जंगल छानकर मेरे लिए हल्दी मिला दूध लेकर आयी।
प्रेमिका को देव ने किया था टॉर्चर: अजनबी बताता है कि देव ने उसका पता जानने के लिए उसकी प्रेमिका नीलू को पांच दिन तक हिरासत में रखकर बुरी तरह टॉर्चर किया था। इस यातना की वजह से नीलू ने सुसाइड कर लिया था। टेररिस्ट यह भी बताता है कि देव ने प्रमोशन और दस लाख रुपये का इनाम हासिल करने के लिए एक फर्जी एनकाउंटर में उसकी पांच बहनों के भाई और एक विधवा के बेटे को मार डाला था।
टेररिस्ट का दहला देने वाला सच: टेररिस्ट बताता है कि वह हर हाल में देव को मार देने के मकसद से आया है। अपने पति देव की हक़ीक़त और टेररिस्ट की ज़िदंगी के सच को जानकर अनीत परेशान हो जाती है। मगर वह टेररिस्ट से देव की जान बख्शने की मिन्नतें करती है। फिरोजी चुनरी ओढ़कर उसे नीलू का वास्ता देती है। अजनबी को अनीत के दर्द में अपनी प्रेमिका नीलू का अहसास होता है। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अजनबी देव को मारे बिना अनीत को बेहोश कर चला जाता है।
देव को पत्नी पर होता है शक: शाम को घर लौटने पर जब देव को पता चलता है कि टेररिस्ट पूरे दो घंटे उसके घर में उसका इंतजार करता रहा लेकिन उसे मारे बिना चला गया, आखिरी क्यों? देव अनीत पर शक जताता है, उसे पीटता भी है। अनीत के दिल में अब तक देव के प्रति बेइंतहा नफ़रत भर चुकी है। वह अपने पति को माफ करेगी या टेररिस्ट के अधूरा मिशन को पूरा करेगी? यही इस नाटक का रहस्य से भरा अंत है। इस नाटक नाटक में सभी कलाकारों का अभिनय सहज था। अलग-अलग दृश्यों में पंजाबी गीतों का इस्तेमाल दर्शकों को नाटक से जोड़ने में सफल रहा। संगीत नरेन्द्र सिंह और प्रकाश संचालन डॉ. ओमेन्द्र कुमार का रहा। आगे पढ़िये –
चार अलग रंग की प्रस्तुतियों से सजा चेतना राष्ट्रीय नाट्य समारोह