विशेष प्रतिनिधि, नई दिल्ली। ‘लेखक एक साधक होता है और साहित्यिक लेखन एक कला है। एक लेखक ही बेहतर संस्कृति, बेहतर समाज और बेहतर देश का निर्माण करते हैं’। संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बात, साहित्योत्सव 2024 के शुभारंभ समारोह में कही। इस मौके पर श्री मेघवाल ने रिबन साहित्य अकादमी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में पिछले वर्ष की उपलब्धियों को चित्रों और लेखों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। साहित्य का गहरा प्रभाव पड़ा: संस्कृति राज्य मंत्री ने कहा -‘साहित्य का उन पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसी वजह से उन्होंने वाकपटुता के साथ बोलना सीखा। उन्होंने मैथिली शरण गुप्त और अन्य कवियों की पंक्तियों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य में ज्ञान पैदा करता है, जो राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभाता है। उन्होंने अपनी पत्नी पर लिखी किताब की चर्चा की। उनके समर्थन और प्रोत्साहन को स्वीकार किया। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े साहित्य महोत्सव के आयोजन के लिए साहित्य अकादमी को बधाई दी। साथ ही कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है और इसका प्रभाव बहुत बड़ा होगा’।
भाषाओं का संग्रहालय है भारत: कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि भारत भाषाओं का सबसे बड़ा संग्रहालय है और साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य से संबंधित कार्यों को बहुत कुशलतापूर्वक और गंभीरता से कर रही है। उन्होंने कहा, हमारी भाषाओं की विविधता के कारण हमारी सोच का दायरा भी बहुत व्यापक है, जिसका लाभ एकता बनाए रखने में बहुत उपयोगी साबित होता है। साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा , यह साहित्य महोत्सव सृजन का उत्सव तो है ही, मानवता को वाणी देने का प्रतीक भी है। शब्दों की गूँज की रोशनी में हमारी साहित्यिक संस्कृति भी रोशन होगी’।
साहित्य अकादमी का 70 वां वर्ष: साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने कहा, यह साहित्य अकादमी का 70 वां वर्ष और साहित्य महोत्सव का 40 वां वर्ष है। किसी साहित्यिक महोत्सव के लिए देश के विविध साहित्य को लगातार 40 वर्षों तक गतिशील बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। सही मायनों में यह भारतीय भाषाओं और साहित्य का उत्सव है।
11 से 15 मार्च तक ‘साहित्योत्सव 2024’: आपको बता दें, ‘साहित्योत्सव 2024’ रवीन्द्र भवन लॉन, कमानी सभागार, ललित कला अकादमी की कला दीर्घाओं और साहित्य अकादमी सभागार में 11 मार्च से जारी है। इस महोत्सव में भारत से लगभग 170 भाषाओं के 1000 से अधिक प्रसिद्ध लेखक भाग ले रहे हैं। महोत्सव के 190 से अधिक सत्र होंगे।इनमें गुलज़ार द्वारा समवतार व्याख्यान, स्वतंत्रता के बाद के भारतीय साहित्य पर सेमिनार, पुरस्कार विजेताओं की बैठक और साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रस्तुति समारोह मुख्य आकर्षण होंगे। महोत्सव में पहली बार दिव्यांग लेखक भी भाग ले रहे हैं’।