एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) यानी – लेस्बियन, गे, बायसेक्चुअल, ट्रांसज़ेंडर या समलैंगिक। आज इस समुदाय से जुड़े लोगों को भी मान्यता मिलने लगी है। हालांकि इन्हें अपने अधिकारों के लिये संघर्ष में लंबा वक्त लगा है। मगर आज भी समाज में इस समुदाय को लेकर तरह-तरह के विचार और मत हैं। अंतरराष्ट्रीय सिने जगत के साथ ही भारत में भी अब इस समुदाय से जुड़ी कहानियों को लेकर फ़िल्में बन रही हैं। इनमें इनके संघर्ष की कहानियों को तरह-तरह से सामने लाया जा रहा है। अच्छी बात ये है कि ऐसी फ़िल्मों को भी दर्शक पसंद कर रहे हैं। ऐसे किरदारों को भी मान्यता मिलने लगी है। इस विशेष फीचर ऐसी ही 7 फ़िल्मों पर एक नज़र। – सिने डेस्क, इंदौर स्टूडियो।एक समलैंगिक की कहानी,पाइन कोन: ओनिर की फिल्म ‘पाइन कोन’ एक समलैंगिक व्यक्ति के जीवन और उसके विभिन्न रिश्तों की कहानी है। बीते दिनों यह फ़िल्म दक्षिण एशिया में समलैंगिकों के सबसे बड़े फ़िल्म फेस्टिवल का यह हिस्सा बन चुकी है। फ़िल्म पोस्टर जारी होने के साथ ही चर्चा में आ गई थी। पाइन कोन प्यार की एक अलग कहानी और उससे जुड़ी हार-जीत को सामने लेकर आती है। इतना ही नहीं यह फ़िल्म में LGBTQ समुदाय के संघर्ष यात्रा को भी रेखाकिंत करती है। फिल्म में विदुर सेठी मुख्य भूमिका में हैं। उन्होंने फ़िल्म में एक समलैंगिक अभिनेता की भूमिका निभाई है। फ़िल्म में उनके साथी के रूप में साहिब वर्मा हैं। आपको बता दें, ओनिर ने अपने करियर को LGBTQ समुदाय से जुड़ी विभिन्न कहानियों को लाने के लिये समर्पित किया है। ताकि इस समुदाय की भावनाओं और उनके जीवन को भी लोग गहराई समझ सकें, उन्हें स्वीकार कर सकें।
सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित,मार्गरिटा विथ ए स्ट्रॉ: कहानी लैला (कल्कि कोचलिन) की है, जो सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित एक भारतीय महिला है, जो एक पाकिस्तानी लड़की (सयानी गुप्ता) के प्यार में पागल हो जाती है। निर्देशक शोनाली बोस ने बहुत ही बारीकी से दिखाया है कि कैसे लैला धीरे-धीरे ख़ुद को औरों से कुछ अलग होने की सचाई को समझती है, उसका पता लगा लेती है। भले ही यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल न रही हो, मगर फ़िल्म समीक्षकों ने इस फ़िल्म की काफ़ी प्रशंसा की। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न फ़िल्म उत्सवों में सराहा गया।
सच को मान्यता, कपूर एंड संस: कहानी एक टूटे हुए परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें कई और दूसरी कहानियां हैं। इनमें से एक राहुल कपूर की कहानी है, जिसे फवाद खान ने निभाया है, जो न्यूयॉर्क में रहता है। अभी तक अपने परिवार के सामने अपनी सचाई के बारे में बता नहीं पाया है। कहानी के आगे बढ़ने के साथ ही फवाद के समलैंगिक होने की हक़ीक़त उजागर होती है। अंत में परिवार राहुल की वास्तविकता को स्वीकार करता है। फ़िल्म में स्व. रिषी कपूर के साथ, रजत कपूर, रत्ना पाठक शाह,सिद्धार्थ मल्होत्रा,आलिया भट्ट की भी ख़ास भूमिकाएं हैं।
एक लैस्बियन तो दूसरा गे, बधाई दो: भूमि पेडनेकर और राजकुमार राव ने इस फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। इनमें से एक लैस्बियन तो दूसरा गे है। चूँकि दोनों के परिवारों पर शादी का दबाव बढ़ जाता है। इसलिये वे मुश्किल में पड़े दोनों अपनी असलियत पर परदा डालने के लिये शादी कर लेते हैं। समाज के इस सच को फिल्म बड़ी ख़ूबसूरती से दिखाया गया है। LGBTQ समुदाय के साथ आम दर्शकों ने भी फ़िल्म को पसंद किया है। इस तरह से यह फ़िल्म इस समुदाय के प्रति स्वीकार्यता को आगे बढ़ाने का काम भी करती है।
ट्रांसजेंडर स्टोरी,चंडीगढ़ करे आशिक़ी: अभिषेक कपूर निर्देशित ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ में दिखाया गया है कि ट्रांसजेंडर को कैसे स्वीकार किया जाता है। जबकि कई फिल्में समलैंगिक जोड़ों के बारे में बनाई गई हैं। मगर ट्रांसजेंडर्स पर कम ही फ़िल्में बनाई गई हैं। फिल्म में आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर हैं, जिन्हें एक ट्रांसवुमन के रूप में एक असामान्य भूमिका में देखा गया था। यह फ़िल्म अपने गीतों और अभिनय के लिये ख़ासी चर्चा में रही है।
कुछ हटकर, शुभ मंगल ज़्यादा सावधान: फिल्म में कार्तिक के रूप में आयुष्मान खुराना और अमन के रूप में जितेंद्र कुमार हैं। दोनों ने फिल्म में समलैंगिक जोड़े की भूमिका निभाई है। फ़िल्म में दोनों ने शानदार अभिनय किया है। फिल्म को पसंद किये जाने की एक वजह यह भी है कि इस समलैंगिक जोड़े को अपमानित नहीं किया जाता है। कहानी में हास्य का भी स्पर्श है।
धक-धक गर्ल की ‘मजा मा’: यह एक LGBTQ कहानी है जिसमें माधुरी दीक्षित मुख्य नायिका पल्लवी पटेल की भूमिका में हैं। यह एक भारतीय लड़की की कहानी है, जिसने समाज और अपने परिवार के लिए अपनी सचाई को दबाकर रखा। LGBTQ समुदाय ने इस फ़िल्म की बड़ी सराहना की। इस फ़िल्म में धक धक गर्ल को एक अलग भूमिका में देखना भी कुछ अलग बात थी। आगे पढ़िये –