(सीधी से नीरज कुंदेर,इंदौर स्टुडियो डॉट कॉम)। सीधी जिले में आदिवासी लोककला एवं बोली अकादमी भोपाल और इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी के संयोजन में 4 से 8 जुलाई के बीच मड़ई उत्सव संपन्न हुआ। चार दिवसीय इस उत्सव में बड़ी संख्या में लोक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस दौरान हुई कार्यशालओं और प्रस्तुतियों के आधार पर साढ़े तीन हज़ार कलाकार सूचिबद्ध हुए। अब करीब 300 कलाकारों को परिष्कार कार्यशाला के लिये चुना जाएगा। उन्हें कला प्रदर्शन के लिए सभी सुविधाएं दी जाएंगी।
4 जुलाई को पहले दिन उत्सव का आयोजन रामपुर के नैकिन ब्लाक से हुआ। अखिलेश पाण्डेय के संयोजन में 51 दलों के लगभग 946 लोक कलाकारों ने अपनी अलग-अलग बघेलखण्डीय लोक कलारूपों के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। रामपुर नैकिन में आये कलादलों ने संस्कार गीत, ऋतु गीत, अनुष्ठानिक गीत,देवी गीत, करमा नृत्य, शैला नृत्य, अहिराई, केहरा, कोलदहका, ददरिया, रिंझा सुआ-रीना, चमरौही, जवारा काली नृत्य प्रस्तुत किए।
मड़ई उत्सव कलाओं को देगा अंतर्राष्ट्रीय पहचान : उत्सव के दूसरे दिन कुसमी, मझौली ब्लाक के कलाकारों का प्रदर्शन हुआ। रोशनी प्रसाद मिश्रा के संयोजन में यहाँ 21 दलों के लगभग 623 लोक कलाकारों ने अपनी भिन्न-भिन्न बघेलखण्डीय लोक कलारूपों का प्रदर्शन किया । उत्सव में बतौर अतिथि सीधी जिले के अतिरिक्त पुलिष अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा, एस.जी.एस. महाविद्याल के जनभागीदारी अध्यक्ष गुरुदत्त शरण शुक्ल और सीधी विधायक प्रतिनिधि पुनीत नारायण शुक्ला मौजूद थे। पुलिस अधीक्षक शर्मा ने इस सार्थक और दूरगामी लक्ष्यपूर्ण आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि सीधी जिले की लोक संस्कृति और यहाँ के संस्कृतिकर्मी देश-दुनिया में नाम कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन देखकर मन को सुकून मिलता है कि कुछ लोग हैं जो निःस्वार्थ भाव से अपनी संस्कृति की सेवा कर रहे हैं। यह जिले के लिए किया गया बेहतरीन प्रयास है क्योंकि चुने जाने वाले तमाम दलों को राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन और पहचान मिलेगी।
बघेलखंड के कलारूपों में परिष्कार की संभावना : तीसरे दिन सिहावल ब्लॉक के लोक कलाकारों ने अपनी कला का सराहनीय प्रदर्शन किया । उत्सव में बाबूलाल कुंदेर और अखिलेश पाण्डेय बतौर अतिथि मौजूद थे। भोपाल से आये उत्सव के समन्वयक विनोद गुर्जर ने सीधी कि लोक कलाओं को लेकर अपने उदबोधन में कहा कि सीधी में जातीय कलारूपों पर बेहतर कार्य करने की आवश्यकता है। उनमे में परिष्कार की बेहतर संभावनाए हैं।जातीय कलारूपों में जैसे कि गोंड़, घसिया, बैगा, कोल, कुम्हार, अहीर इन तमाम जातियों के कलारूपों में मंचीय प्रदर्शन की प्रक्रिया से गुजरकर इन्हें बेहतर बनाया जा सकता है । सीधी लोक कलाओं से परिपूर्ण है, यहाँ हर जाति की अपनी गायन वादन परम्परा है । आधुनिक जीवन शैली के दौर में जहां देश में कई जगहों पर कलाएं खत्म हो रही हैं, वहीं सीधी की लोक कलाएं अपने मूल स्वाभाव और रूप के साथ आज भी मौजूद है,यह कमाल की बात है। दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत संस्कार गीत से की गयी।संतोष कुमार द्विवेदी के संयोजन में सिहावल से 14 कलादलों के लगभग 293 कलाकारों का आगमन हुआ। उत्सव में बतौर अतिथि सीधी जिले के अतिरिक्त पुलिष अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा, एसजीएस कॉलेज के जनभागीदारी अध्यक्ष गुरुदत्त शरण शुक्ल और सीधी विधयाक प्रतिनिधि पुनीत नारायण शुक्ला मौजूद थे।
अपनी कला परंपरा के लिये ख्यात है सीधी : मड़ई उत्सव चयन शिविर कार्यशाला का समापन 7500 लोक कलाकारों के प्रदर्शन के साथ हुआ । इस अवसर पर जिले के यशस्वी विधायक पं. केदारनाथ शुक्ल बतौर मुख्य अतिथि, इंजीनियर आर.बी. सिंह, डॉ. अनूप मिश्रा, शिवशंकर मिश्र ’सरस’, अखिलेश पाण्डेय मौजूद थे। दीप प्रज्ज्वलन के बाद संस्कार गीत से उत्सव की शुरुआत हुई । आदिवासी लोक कला एवं बोली अकादमी भोपाल के आयोजन एवं इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी के संयोजन में हुआ । नीरज कुंदेर, नरेंद्र बहादुर सिंह, अजीत जय सिंह सोनवर्षा, के संयोजन में सिहावल से 40 भिन्न-भिन्न कलादलों के लगभग 844 कलाकारों का आगमन हुआ । चयन शिविर कार्यशाला में जिले के तमाम कलाकार अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन आदिवासी लोक कला परिषद भोपाल से आयी एक्सपर्ट टीम के समक्ष किया । परिष्कार की संभावनाओं को देखते हुए अकादमी सीधी में चयनित दलों के साथ पुनः कार्यशाला का आयोजन करेगी जिसमे भिन्न-भिन्न विधाओं के लगभग 300 कलाकार चयनित किये जायेंगे। परिष्कार कार्यशाला में चयनित 300 कलाकारों को परिषद मंच प्रदर्शन के हिसाब से प्रशिक्षण देगा, साथ ही परम्परागत जातीय कलारूपों के हिसाब से वस्त्र, अलंकरण एवं उनके प्रदर्शन की भी पूर्ण व्यवस्था करेगा | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पं. केदारनाथ शुक्ल ने सीधी जिले के अलग-अलग ग्रामों से आये लोक कलाकारों का मुख्यालय आकर अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, हमारा सीधी आज अपनी विशिष्ट नाट्य शैली एवं लोक कलाओं के लिए देश में अपना महत्व रखता है ।यह सीधी के रंगकर्मी नीरज, नरेंद्र और रोशनी के मेहनत, लगन और पुरुषार्थ का फल है कि 3500 लोक कलाकार सूचीबद्ध हुए हैं।