शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। दिल्ली में महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (META) का आयोजन आगामी 13 से 20 मार्च 2025 तक होगा। महिंद्रा समूह द्वारा स्थापित इस अवॉर्ड उत्सव में देश के जिन 10 नाटकों का चयन किया गया है, उनकी सूची आ गई है। 367 प्रविष्टियों में से चयनित इन नाटकों के विजेताओं को 20 मार्च को कमानी ऑडिटोरियम में पुरस्कृत किया जायेगा। नामांकित शीर्ष नाटकों की ख़ास बात ये है कि इस बार दक्षिण भारत के थियेटर ग्रुप्स ने इसमें दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। सूची में 10 में 6 नाटक दक्षिण भारत के ही हैं। लगता है इस साल दक्षिणी थियेटर ग्रुप्स पुरस्कारों की दौड़ में भी आगे रहेंगे। चयन समिति के अनुसार, नाटक कन्नड़ में हों या मलयालम में, वे अपने कथ्य, दृश्य प्रभावों और अभिव्यक्ति ऐसा असर छोड़ते हैं कि भाषा रूकावट नहीं बन पाती। (Play: Nihsango Ishwar) थियेटर अवॉर्ड का बीसवां संस्करण: META के थियेटर अवॉर्ड उत्सव का यह बीसवां संस्करण है। 2025 के इस सीज़न के लिये देश के बीस राज्यों से 367 नाटकों की एंट्रीज़ मिली थीं। अंतिम 10 नामांकनों में हिंदी, मलयालम, बांग्ला, कन्नड़, संस्कृत, बुंदेली और अंग्रेजी में नाटक शामिल हैं। शॉर्ट लिस्ट के बाद मध्य प्रदेश,कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के नाटकों को नामांकित किया गया है। एक ख़ास बात यह भी है कि इस बार 32 भारतीय भाषाओं और बोलियों में से प्रविष्टियाँ प्रस्तुत की गई हैं। (Play:Swang-Jas ki Tas)
उत्सव के लिये नामांकित नाटकों के नाम – 1. बिलव्ड: निर्देशक सपन सरन, तमाशा थियेटर, मुंबई। 2. कोडिहल्ली के बॉब मार्ले: कन्नड़, निर्देशक लक्ष्मण केपी,जंगमा कलेक्टिव, बेंगलुरू, 3. चंदा बेदनी: हिन्दी,निर्देशक अनिरुद्ध सरकार,रंगकर्मी,भोपाल। 4. दशानन स्वप्नसिद्धि: कन्नड़, निर्देशक मंजू कोडागु, निर्माण, भालिरे विचित्रम – हेग्गोडु (कर्नाटक)। 5.जीवनते मलखा: मलयालम, निर्देशक ओ.टी. शाजहान, निर्माण एथलीट कायिका नादकावेधी,पलक्कड़ (केरल)। 6. कांडो निंगल एन्ते कुट्टिये कांडो (क्या आपने मेरा बेटा देखा है?), मलयालम , निर्देशक कन्नन पलक्कड़, निमार्ण नवरंग पलक्कड़,पल्लाकड़ (केरल)। (Play:Dashanana Swapnasiddhi)
उत्सव के लिये नामांकित नाटकों के नाम – 7. मटियाह: कन्नड़, निर्देशक अरुण लाल, निर्माण, अस्तित्व, मैंगलोर (कर्नाटक)। 8. निहसांगो ईश्वर: बांग्ला-संस्कृत, निर्देशक, सुमन साहा, निर्माण- बंगाल रिपर्टरी, कोलकाता (बंगाल)। 9. पोर्टल वेटिंग: अंग्रेज़ी,निर्देशन और निर्माण, अभि तांबे, बेंगलुरू (कर्नाटक)। 10. स्वांग-जस की तस:हिन्दी, बुंदेली, निर्देशन,अक्षय सिंह ठाकुर, निर्माण,रंग भरण सांस्कृतिक सोसायटी,जबलपुर (मध्य प्रदेश)। (Play:Portal Waiting)
सभी नाटकों की सावधानीपूर्वक समीक्षा: चयन समिति ने मेटा सचिवालय के सहयोग से पुरस्कार के लिए प्रस्तुत सभी नाटकों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की। इस साल चयन समिति में ख्यात अभिनेता और एटलियर थियेटर के संस्थापक कुलजीत सिंह, फिल्म और टेलीविजन एक्टर दिव्या सेठ शाह, अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर दिलीप शंकर, थियेटर डायरेक्टर शंकर वेंकटेश्वरन और कठपुतली थियेटर डायरेक्टर अनुरूपा रॉय शामिल रहीं।
(Play: Be-Loved Theatre, Music, Queerness, Hour, and Ishq!)थियेटर जगत के लिये फायदेमंद रहा उत्सव: मेटा 2025 के बारे में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के उपाध्यक्ष और सांस्कृतिक आउटरीच के जय शाह ने कहा, “पिछले दो दशकों से मेटा को बढ़ावा देना महिंद्रा समूह और भारत के थिएटर समुदाय दोनों के लिए बहुत फायदेमंद रहा है। हमारे लिए, यह मूल्यों को प्रदर्शित करने का एक मंच रहा है, और इस कला पर सकारात्मक प्रभाव देखना खुशी की बात है। यह जानना वाकई संतोषजनक है कि मेटा हमारे देश में थिएटर के कलाकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च मान्यता है”। (Play: Jeevantey Maalakha)
रंगमंच की असाधारण प्रतिभा का जश्न: टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय रॉय ने कहा, “मेटा प्राथमिक थिएटर पुरस्कार उत्सव है जो रंगमंच की असाधारण प्रतिभा का जश्न मनाता है। हम उन विविध विषयों, शैलियों, भाषाओं और भौगोलिक क्षेत्रों पर विचार करते हैं, जिनका हमने वर्षों से प्रतिनिधित्व किया है। उत्सव में हमने रंग मंच की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित किया है, जो हमें ऊर्जावान बनाए रखती है”। (Play: Mattiah )
अंशात भावनाओं के अभिव्यक्तियों वाले नाटक: शॉर्टलिस्ट के बारे में कुलजीत सिंह ने कहा, “20 वें मेटा में थिएटर प्रस्तुतियां सिर्फ आंखों के लिए एक ट्रीट नहीं हैं, बल्कि यह अशांत भावनाओं की एक श्रृंखला है, जिनकी मंचीय अभिव्यक्ति बेहद कलात्मक और कौशल से परिपूर्ण है”। अनुपा रॉय ने कहा, “अच्छी बात ये है कि एंट्रीज़ पूरे भारत से मिली। इनमें महानगरों से लेकर टू टियर शहरों के रंगमंच समूह शामिल रहे। ये ऐसे समहू है जो कठिन हालात में थियेटर कर रहे हैं”। दिव्या सेठ शाह ने कहा, “इन नाटकों के कहानी कहने की शैली और कला देखते ही बनती हैं, जिनमें भाषा किसी भी तरह से रूकावट नहीं बनती’। आगे पढ़िये – ‘कनुप्रिया’ की प्रस्तुति के साथ ‘भारंगम 25’ का समापन https://indorestudio.com/kanupriya-ki-prastuti-brm-25/