कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। इंदौर में 16 मई से दस दिवसीय बाल नाट्य शिविर ‘हल्ला-गुल्ला’ शुरू हो रहा है। इस शिविर का शुभारंभ ख्यात मालवी कवि नरहरि पटेल करेंगे। उत्कृष्ट बाल विनय मंदिर में लगने वाले इस नाट्य शिविर में 30 स्कूली बच्चे हिस्सा ले रहे हैं। यह नाट्य शिविर स्व. श्रीमती आशा कोटिया की स्मृति में आयोजित हो रहा है। शिविर हर दिन सुबह 8 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक लगेगा। शिविर के संयोजक श्री मुखर्जी: एक अरसे बाद इस शिविर की शुरूआत ‘हल्ला-गुल्ला’ के पूर्व आयोजनों से जुड़े कुछ वरिष्ठ साथियों ने की है। शिविर का संयोजन शहर के अनुभवी रंग निर्देशक और लेखक तपन मुखर्जी कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में श्रीमती रंजना तिवारी, पूजा पटेल और वरुण जोशी बच्चों को नाट्य कला की बारीकियां सिखाएंगे। उनके साथ ही शहर के कुछ और कलाकार भी बच्चों के इस नाट्य शिविर में अपने-अपने स्तर पर योगदान देंगे। कला सजगता और व्यक्तित्व विकास: श्री तपन मुखर्जी ने कहा – ‘शिविर का उद्देश्य बच्चों में रंगमंच की बुनियादी बातों के माध्यम से कलाओं के प्रति रूचि जगाना है। उनमें रचनात्मक गुणों के विकास के साथ उनके व्यक्तित्व को निखारना हैं। दिन कम हैं लेकिन प्रतिभागी बच्चों के साथ बेहतर काम हो, इसकी विनम्र कोशिश रहेगी’। बाल विनय मंदिर का सहयोग: श्री मुखर्जी ने बताया कि शिविर के आयोजन में उत्कृष्ट बाल विनय मंदिर विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती पूजा सक्सेना का विशेष सहयोग मिल रहा है। यह हमारे लिये बड़ी बात है। आयोजन में संस्कृतिकर्मी डॉ. परशुराम तिवारी, सारदा रामकृष्ण मंदिर इंदौर की उप प्राचार्य एवं लेखिका श्रीमती सीमा व्यास, और डॉ. सुरेश पटेल एवं श्रीमति राजकुमारी व्यास अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रहे हैं। श्रीमती सीमा व्यास ने कहा कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में रंगकर्म की विशिष्ट भूमिका है। ज़ाहिर है कि ऐसे आयोजन की शुरूआत इंदौर के लिये खुश ख़बर है। बच्चों की दिलचस्पी उत्साह बढ़ाने वाली: आयोजन को बाल नाट्य लेखन और कला गतिविधियों से जुड़े सृजनधर्मी पत्रकार शकील अख़्तर का भी विशिष्ट सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस नाट्य शिविर के लिये जिस तरह से बच्चों ने रुचि दिखाई और पहले तीन दिन में 30 से अधिक बच्चों ने फार्म भर दिये। इससे साफ़ है कि इंदौर में बच्चों के लिये इस तरह की गतिविधियों की बहुत ज़रूरत है। आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में प्रकाशित तस्वीरें शकील अख़्तर के लिखे और दिल्ली, ग्वालियर में मंचित हुए बाल नाटकों ‘मोनिया दि ग्रेट’ और ‘ब्लू व्हेल’ की हैं। अतिथि बच्चों से करेंगे संवाद: तपन मुखर्जी के मुताबिक, शिविर में हर दिन कला और संस्कृति के क्षेत्रों से जुड़े अतिथि आयेंगे जो बच्चों के साथ संवाद करेंगे। शिविर प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 12. 30 बजे तक चलेगा। कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागी बच्चों द्वारा तैयार प्रस्तुतियों का प्रदर्शन होगा। 14 साल के बाद फिर से आयोजन: आयोजन समिति के प्रबंधन की कमान समान रहे डॉ.परशुराम तिवारी ने कहा, 1990 से 2005 तक श्रीमती आशा कोटिया एवं प्रोफ़ेसर डॉ. सनत कुमार वर्ष “हल्ला -गुल्ला” शिविर का आयोजन करते थे। तब आयोजन स्व. कैलाशचन्द्र कोटिया की स्मृति में होता था। बाल गतिविधियों को लगा झटका: डॉ.परशुराम ने बताया कि आयोजन को पहला झटका तब लगा जब 5 जुलाई 2006 को श्रीमती आशा कोटिया का निधन हो गया। उनके बाद डॉ. सनत कुमार ने शहर के कुछ रंगकर्मी साथियों के साथ मिलकर इस आयोजन को जारी रखा जो 2009 तक चलता रहा। 1 दिसम्बर 2012 को डॉ. सनत कुमार भी हमारे बीच नहीं रहे। उसके बाद इस आयोजन का सिलसिला भी थम गया। करीब 14 वर्षों के बाद यह शिविर फिर से आयोजित हो रहा है। इसमें शहर से जुड़े कलाकारों का सहयोग मिल रहा है। आगे पढ़िये कवि श्री नरहरि जी के जीवन अनुभवों की ख़ास बात इस विशेष साक्षात्कार में- https://indorestudio.com/jo-aapne-vichara-hai/