कला प्रतिनिधि,इंदौर स्टूडियो। विश्व पुस्तक मेले में साहित्य अकादेमी के मंच पर प्रतिष्ठित नाटककार प्रताप सहगल के नाटक ‘रामानुजन’ का लोकार्पण प्रख्यात रंगकर्मी सतीश आनंद ने किया। इस अवसर पर उन्होंने एक अच्छा नाटक लिखने के लिए प्रताप सहगल को बधाई देते हुए कहा कि उनकी पैनी दृष्टि ‘रामानुजन’ के जीवन के उन पहलुओं पर पड़ती है जिनके सहारे नाटक विमर्श की श्रेणी में आ खड़ा होता है। नये विषयों पर काम का प्रयास: नाटककार प्रताप सहगल ने अपनी रचना प्रक्रिया के बारे बात की। उन्होंने कहा, मैं उन विषयों को ही नाटकों के लिए चुनता हूं जिन पर काम कम हुआ है या जो साहित्य में अनुपस्थित हैं। मेरी कोशिश होती है कि नाटक केवल सूचना मात्र देने वाला न हो बल्कि उसमें कोई विमर्श अवश्य रहे। इस नाटक में मैने प्रोफेसर हार्डी जो कि रामानुजन को कैंब्रिज ले गए थे और रामानुजन के सहारे राष्ट्रवाद के विचार को परखा है। कार्यक्रम का संचालन उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया। आगे पढ़िये- भारत रंग महोत्सव में क्या कुछ हो रहा इस बार? https://indorestudio.com/25-th-bharat-rang-mahotsav/