G-20: नटराज की भव्य मूर्ति कलात्मकता और परंपरा की प्रतीक

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। जी-20 शिखर सम्मेलन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में सजधज कर तैयार भारत मंडपम् में हो रहा है। यहाँ 27 टन ऊंची और 19 टन वज़नी नटराज की मूर्ति अतिथियों का एक बड़ा आकर्षण बन रही है। अष्ट धातु की इस मूर्ति का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन स्थापति के नेतृत्व में किया गया है। मूर्ति 10 करोड़ की लागत से तैयार हुई है। मडंपम में स्थापित यह मूर्ति जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत करती नज़र आती है।इतिहास और संस्कृति का प्रतीक: हाल ही में पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की एक पोस्ट को साझा करते हुए लिखा था – “भारत मंडपम में भव्य नटराज प्रतिमा हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जीवंत करती है। जैसे ही दुनिया जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होगी, यह भारत की सदियों पुरानी कलात्मकता और परंपराओं के प्रमाण की साक्षी बनेगी।’शिवजी का दूसरा नाम नटराज: नटराज शिव जी का ही एक नाम है। इसकी मूर्ति उनके नृत्य की एक मुद्रा को प्रतिबिम्बित करती है। नटराज दो शब्दों नट यानी कला और राज के से बना है। नटराज शिव की प्रसिद्ध प्राचीन मूर्ति के चार भुजाएँ हैं, उनके चारों ओर अग्नि को घेरे हैं। एक पाँव से उन्होंने एक बौने (अकश्मा) को दबा रखा है, एवं दूसरा पाँव नृत्य मुद्रा में ऊपर की ओर उठा हुआ है। उन्होंने अपने पहले दाहिने हाथ में (जो कि ऊपर की ओर उठा हुआ है) डमरु पकड़ा हुआ है। डमरू की आवाज सृजन का प्रतीक है। इस प्रकार यहाँ शिव की सृजनात्मक शक्ति का द्योतक है। ऊपर की ओर उठे हुए उनके दूसरे हाथ में अग्नि है। यहाँ अग्नि विनाश का प्रतीक है। इसका अर्थ यह है कि शिव ही एक हाथ से सृजन करतें हैं तथा दूसरे से विनाश। उनका दूसरा दाहिना हाथ अभय (या आशीष) मुद्रा में उठा हुआ है जो कि हमें बुराईयों से रक्षा करता है। (इनपुट:पीआईबी) आगे पढ़िये –

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