ऑस्कर अवार्ड के लिए फिल्मों के चुनाव में इम्पा का दखल हो

0
21

अजित राय, इंदौर स्टूडियो। भारत में फिल्म निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर एसोसिएशन (इम्पा) के अध्यक्ष अभय सिन्हा ने कहा है कि इस साल ऑस्कर अवार्ड के लिए भारत से आधिकारिक प्रविष्टि भेजने में इम्पा भी अपना दावा पेश करेगा। इंपा के अध्यक्ष अभय सिन्हा का कहना है कि यूनेस्को से मान्यता प्राप्त विश्व की सबसे बड़ी संस्था फेडरेशन इंटरनेशनल डि आर्ट फोटोग्राफिक (फियाप) ने इम्पा को सदस्यता प्रदान कर दी है।कई सालों से फियाप को सदस्यता नहीं: भारत में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफएफआई) और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) ही इसके सदस्य हैं लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने कई सालों से फियाप को अपनी वार्षिक सदस्यता नहीं दी है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फोटोग्राफिक आर्ट दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को अपने तय मानदंडों के आधार पर मान्यता प्रदान करती है। कान, बर्लिन, वेनिस, टोरंटो, बुशान सहित दुनिया भर में होने वाले सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह इसी संस्था से मान्यता प्राप्त करते हैं। भारत में इस संस्था ने केवल चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को मान्यता दी है – गोवा, केरल, बंगलुरु और कोलकाता। इस संस्था की वार्षिक सदस्यता  25 हजार 170 यूरो है यानी करीब 25 लाख रुपए।इम्पा को मिलेगा प्रविष्टि भेजने का काम: अभय सिन्हा का कहना है कि  पिछले साल जून 2024 से फियाप का सदस्य बन जाने के बाद ऑस्कर पुरस्कार में भारत से ऑफिशियल प्रविष्टि भेजने का काम भी इम्पा को मिल जाएगा। अब तक भारत से आस्कर अवार्ड के लिए आदि प्रविष्टि भेजने का काम फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया करती रहीं हैं। हर साल यह संस्था किसी वरिष्ठ फिल्म निर्देशक की अध्यक्षता में एक जूरी बनाकर दो चरणों में भारत से आस्कर में भेजी जाने वाली एक फिल्म का चुनाव करती है। लापता लेडीज़’ पहले ही दौर में बाहर: अभय सिन्हा का यह बयान तब आया है जब भारत से आस्कर अवार्ड के लिए भेजी गई आधिकारिक प्रविष्टि के बतौर किरण राव और आमिर खान की फिल्म ‘लापता लेडीज’ पहले ही दौर में प्रतियोगिता से बाहर हो गई और इस बारे में बयानबाजी शुरू हो गई। अभय सिन्हा का कहना है कि हमें इस मामले में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह देश की प्रतिष्ठा से जुड़ा मामला है। यहां यह बता दें कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आस्कर अवार्ड के लिए भेजी जाने वाली फिल्मों का स्ट्राइक रेट बहुत खराब है।  पिछले 97 सालों के आस्कर पुरस्कारों के इतिहास में दुर्भाग्य से केवल तीन भारतीय फिल्में ही अंतिम दौर तक पहुंच पाई  – महबूब खान की ” मदर इंडिया ” (1957), मीरा नायर की ” सलाम बांबे ‘ ( 1988) और आशुतोष गोवारिकर- आमिर खान की ” लगान (2001)।”गोवा में पहली बार बड़े पैमाने पर भागीदारी:  पिछले दिनों गोवा में आयोजित भारत के 55 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इम्पा ने पहली बार बड़े पैमाने पर भागीदारी की थी और अपना एक पानी में तैरता लग्जरी क्रूज लगाया था।  इस क्रूज पर करीब एक हजार लोगों ने इस दौरान इंडस्ट्री मीटिंग और नेटवर्किंग की। इंपा ने फिल्मों के कॉपीराइट पर फेडरेशन इंटरनेशनल डि आर्ट फोटोग्राफिक (फियाप) के विशेषज्ञ  बर्ट्रांड मौलियर (सीनियर एडवाइजर, इंटरनेशनल अफेयर्स) को खास तौर से आमंत्रित किया। युसूफ़ शेख ने किया था इसका संचालन: इसको इम्पा के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख यूसूफ शेख ने संचालित किया। इम्पा ने फिल्म बाजार में भी अपना स्टाल लगाया। पांच दिनों तक इंपा के क्रूज पर दर्जनों फिल्मों के ट्रेलर और पोस्टर लांच किए गए, नेटवर्किंग पार्टियां हुई और सिनेमा के बाजार से जुड़ी हुई गतिविधियां संचालित की गई। इम्पा के अध्यक्ष अभय सिन्हा कहते हैं कि बड़े फिल्म निर्माता तो अपनी फिल्मों को विदेशों में प्रदर्शित करने में कामयाब हो जाते हैं पर भारत के हजारों छोटे छोटे फिल्म निर्माताओं के पास ऐसे अवसर नहीं होते।  इसी बात को ध्यान में रखकर पिछले साल इंपा ने 77 वें कान फिल्म बाजार में  भागीदारी की जिससे भारतीय सिनेमा को नया बाजार मिलना संभव हुआ है। आगे पढ़िये – सुपर ब्वॉयज़ ऑफ मालेगाँव https://indorestudio.com/superboys-of-malegaon/

LEAVE A REPLY