ऑस्कर अवॉर्ड के लिये नामांकित पाँचों फ़िल्में एक से बढ़कर एक

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अजित राय, इंदौर स्टूडियो। 95 वें एकेडमी अवार्ड के लिए फाइनल राउंड में नामांकित पाँचों फीचर फ़िल्में एक से बढ़कर एक हैं। एक दूसरे की टक्कर में खड़ी इन फ़िल्मों के नाम हैं – बेल्जियम के लूकास धोंट की ‘क्लोज’, पोलैंड के जेर्जी स्कोलीमोवस्की की ‘ईओ’, आयरलैंड के कोम बेयरिड की ‘द क्वाएट गर्ल’, जर्मनी के एडवर्ड बर्गर की ‘आल क्वाएट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट’ और अर्जेंटीना के सेंटियागो मित्रे की ‘अर्जेंटीना 1985।’ ये पाँचों ऐसी फ़िल्में हैं जो अपनी सशक्त पटकथा, ज़बरदस्त फ़िल्मांकन और अद्भुत सिनेमाई सौंदर्यबोध की वजह से दुनिया भर में पहले ही पुरस्कृत, प्रशंसित और बॉक्स ऑफ़िस पर सुपरहिट हो चुकी हैं। आइये डालिये इन पाँचों फ़िल्मों की कुछ विशेषताओं पर एक नज़र। 12 मार्च को दिये जायेंगे ऑस्कर अवॉर्ड: अमेरिका के लास एंजिल्स शहर (जहां के फिल्म उद्योग को हॉलीवुड भी कहा जाता है) के भव्य डोल्बी थियेटर में 12 मार्च 2023 की शाम 95 वें ऑस्कर अवार्ड प्रदान किए जाएंगे। सुखद आश्चर्य है कि हमेशा की तरह इस बार प्रतिष्ठित 75 वें कान फिल्म समारोह के आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई गई फिल्मों में से 16 श्रेणियों में कुल 21 नामिनेशन मिले हैं।  इसमें बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म से लेकर मुख्य प्रतियोगिताओं की कई श्रेणियां शामिल हैं। इतना ही नहीं, इस श्रेणी में दुनिया के पचासों देशों से आस्कर के लिए भेजी गई अधिकृत फिल्में भी कान फिल्म समारोह में दिखाई गई फिल्में हैं। फिल्म ‘ईओ’ के नायक चार गधे: इससे प्रमाणित होता है कि विश्व के व्यावसायिक और कला फिल्म उद्योग में कान फिल्म समारोह का दबदबा बरकरार है। बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म की श्रेणी में नामांकित इन पांच फिल्मों में सबसे दिलचस्प और हैरतअंगेज फिल्म है पोलैंड के जेर्जी स्कोलीमोवस्की की ‘ ईओ ‘ जिसके नायक इंसान नहीं चार गधे हैं जो मनुष्य की पाशविक क्रूरता का डटकर मुकाबला करते हैं और अंततः जीतते हैं। ये गधे अपनी तरह से इंसानों की दुनिया में विचरण करते हुए जिंदगी का अर्थ खोजते हैं। निर्देशक ने जिस कुशलता से कहानी और फिल्मांकन पर काम किया है, वह तारीफ के काबिल है। इस फिल्म को भी 75 वे कान फिल्म समारोह (2022) में जूरी प्राइज से नवाजा जा चुका है। निर्देशक जेर्जी स्कोलीमोवस्की ने अपने सभी पुरस्कार इन चारों गदहो को समर्पित किया है।दो किशोरों की कहानी ‘क्लोज’: बेल्जियम के लुकास धोंट की फिल्म ‘क्लोज’ बारह-तेरह साल के दो किशोरों लेवो और रेमी की सघन दोस्ती,अलगाव और स्मृतियों की कहानी है जो बच्चों की अपनी दुनिया में हमें दूर तक ले जाती है। बच्चों के मनोविज्ञान पर बहुत गहराई से विचार किया गया है। इस फिल्म में एक दोस्त की असमय मृत्यु  के बाद दूसरा दोस्त भयानक अपराध बोध से ग्रस्त हो जाता है और इसकी गुत्थी धीरे धीरे खुलती हैं। इस फिल्म को   कान फिल्म समारोह (2022)  का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार ‘ ग्रैंड प्रिक्स ‘ मिल चुका है।‘फोस्टर पर आधारित ‘द क्वाएट गर्ल’:  आयरलैंड के कोम बेयरिड की ‘द क्वाएट गर्ल’ कलेयर कीगन की सुप्रसिद्ध रचना ‘फोस्टर’ पर आधारित है जिसमें एक नौ साल की शांत और चुप रहने वाली लड़की केट अपने तरीके से दुनिया को अनुभव करती है। उसकी मां जब दूसरी बार गर्भवती होती है तो 1981 की गर्मियों में उसे घर से बहुत दूर अपने दूर के रिश्तेदार के पास रहने के लिए भेज दिया जाता है। वहां उसे पहली बार घर जैसी चीज़ की सुखद अनुभूति होती है। उसके चचेरे भाई बहन उसे प्यार से घर और खेतों की देखभाल करना सिखाते है। यह फिल्म एक बिखरे परिवार में भयंकर कलह और लापरवाही के बीच एक बच्ची के आंतरिक संघर्ष की कहानी है। यह फिल्म आयरलैंड में बॉक्स आफिस पर सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं। जर्मन सैनिक की सच्ची आत्म स्वीकृति: जर्मनी के एडवर्ड बर्गर की ‘आल क्वाएट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट’ प्रथम विश्व युद्ध में एक जर्मन सैनिक की सच्ची आत्म स्वीकृतियां है।  यह फिल्म इसी नाम से 1929 में प्रकाशित एरिक मारिया रेमार्क के विश्वप्रसिद्ध उपन्यास पर आधारित है जिसे हिटलर के समय में प्रतिबंधित कर दिया गया था और नाजी फौज ने चौराहों पर इसकी होली जलाई थी। फिल्म का नायक पाउल प्रथम विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद युद्ध में जर्मन सैनिकों की दिशाहीनता का वर्णन करता है। दिल दहलाने वाली कहानी और वृत्तांत में युद्ध की निरर्थकता पर प्रकाश डाला गया है।नागरिकों का बर्बर नरसंहार की दास्तां: अर्जेंटीना के सेंटियागो मित्रे की ‘अर्जेंटीना 1985’  इतिहास की उन सच्ची घटनाओं पर आधारित है जब 1976-1983 के बीच आख़िरी सैनिक तानाशाही ने नागरिकों का बर्बर नरसंहार किया था। सैनिक तानाशाही के खात्मे के दो साल बाद 1985 में एक साधारण और अकुशल युवा वकील जूलियो सेजार स्ट्रासेरा और उसकी अनुभवहीन लीगल टीम ने सैनिक तानाशाहों को सजा दिलवाई थी। इस फिल्म को पिछले साल 79 वें वेनिस अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिप्रेस्की का पुरस्कार और इसी 10 जनवरी को  विदेशी भाषा की बेस्ट फिल्म का गोल्डन ग्लोब पुरस्कार मिल चुका है। इस बार 95 वें एकेडमी अवार्ड के बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म श्रेणी में नामांकित ये पांचों फिल्में अपनी सशक्त पटकथा, जीवन के अनछुए प्रसंगों और अद्भुत सिनेमाई सौंदर्यबोध के कारण पहले से ही दुनिया भर में पुरस्कृत, प्रशंसित और बॉक्स ऑफ़िस पर सुपरहिट हो चुकी हैं। (अजित राय प्रख्यात फ़िल्म और कला समीक्षक हैं।)  यह भी पढ़ें – ‘साझा सिनेमा पर दिखाइये अपनी फ़िल्म’
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