शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। ‘स्व.शरद पगारे के उपन्यास पर आधारित नाटक ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’, धर्मा नाम की उस माँ की कहानी है, जिन्होंने अशोक को सम्राट बनाया और नेपथ्य में रहकर उनके राजकाज की व्यूह रचना की। हालांकि वे उनकी असली मां नहीं थीं’। इस दृष्टि से यह नाटक इतिहास के पन्नों में गुम, एक नारी के सशक्त चरित्र और उसकी गाथा को सामने लाता है’। यह बात वरिष्ठ नाट्य निर्देशक और अभिनेत्री भारती शर्मा ने कही। उन्होंने इस नाटक का न सिर्फ निर्देशन और निर्माण किया है, बल्कि उपन्यास का नाट्य रूपांतरण भी किया है। श्रीराम सेंटर में हुआ नाटक का मंचन : 1 दिसंबर 2024 की शाम इस नाटक का पहला प्रदर्शन, दिल्ली के श्रीराम सेंटर में हुआ। पहले मंचन को देखने के लिये लेखक स्व.डॉ शरद पगारे के परिजन भी इंदौर से दिल्ली पहुँचे। इनमें मुख्य रूप से स्व. पगारे की पत्नी और सुपुत्र प्रो. सुशीम पगारे शामिल रहे। नाटक के बारे में जिस वक्त भारती जी से चर्चा हुई, उस समय वे मयूर विहार, दिल्ली में नाटक की ग्रैंड रिहर्सल की तैयारी में व्यस्त थीं। नाटक में भारती जी ने साम्राज्ञी धर्मा का किरदार निभाया है। युवा धर्मा की भूमिका में इशाना शुक्ला हैं, अन्य प्रमुख भूमिकाओं में मनीषा गोस्वामी, आशीष कुमार, मेहुल कृष्णानी, सनी, शाहबाज़ जैसे कलाकार हैं। नाटक में कुल मिलाकर करीब 30 कलाकारों ने काम किया है।
ऐतिहासिक तथ्यों की खोज करता नाटक: भारती जी ने कहा, इस उपन्यास को पहली बार पढ़ा तो बहुत सारे ऐतिहासिक तथ्यों का पता चला। डॉ.पगारे खुद इतिहास के प्रोफ़ेसर रहे, उन्होंने इस उपन्यास के लेखन के लिये इतिहास की छानबीन की, गहरा शोध और अध्धयन किया। इसी वजह से वे अपने उपन्यास में धर्मा नाम की अल्प ज्ञात महिला के चरित्र को पुनर्जीवित कर सके। सच में, लोग नहीं जानते होंगे कि सम्राट अशोक को महान् अशोक बनाने के पीछे उनकी माँ थी, उनका अपना संघर्ष था। कम ही लोग यह जानते होंगे कि आख़िर अशोक किस तरह सम्राट बने ?
उपन्यास पर नाटक का निमार्ण एक चुनौती: अनुभवी रंग निर्देशक ने कहा, उपन्यास का कैनवास बहुत बड़ा होता है। उसे नाटक में समेटना मुश्किल होता है। मगर इसमें शरद जी ने दो महिलाओं के पात्रों क्रमश: धर्मा और उनकी सहेली विशाला का सामानांतर ट्रैक रखा है। उपन्यास में दोनों के संघर्ष की कहानी साथ-साथ चलती है, कि किस तरह से दोनों पाटलिपुत्र पहुँची। वहाँ जाकर धर्मा तो राज सिंहासन तक पहुँची तो दूसरी राज नर्तकी। चूँकि हम दो घंटे के समय में बहुत सी चीज़ों को समेट नहीं सकते थे। इसलिये हमने मूल रूप से धर्मा के चरित्र को ही नाटक के केंद्र में रखा है।
नाटक की विषय वस्तु बेहद अच्छी: नाटक की विषय वस्तु बहुत अच्छी है। नाटक में 19 दृश्य हैं। बजट के हिसाब से ही हमने नाटक को डिज़ाइन किया है। आशा है नाटक को लोगों को पसंद आयेगा। नाटक के काल, मौर्य युग को ध्यान में रखकर ही हमने संगीत तैयार किया है। उन्होंने नाटक की प्रासंगिकता के सवाल पर कहा, सियासत पहले के युग में जैसी थी, आज भी वैसी ही है। सत्ता को पाने का संघर्ष जैसे पहले था। वैसा आज भी है। पहले की तरह आज भी प्रतिद्वन्दिता है।
तैयारी में एक साल का वक्त लगा: उन्होंने कहा, हमें इस नाटक को तैयार करने में पूरा एक साल वक्त लग गया। पहले इसका रूपातंरण पूरा हुआ। लिखने से लेकर मंच पर उतारने तक की यात्रा तय हुई। एक और सवाल के जवाब में भारती शर्मा ने कहा, महिला निर्देशक होने से काम पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि पहले स्वीकार्यता की कुछ दिक्कत ज़रूर थी। मगर काम के साथ ही स्थितियां बदलती गई। इसकी एक वजह शायद यह भी है कि अन्य क्षेत्रों की तरह नाट्य जगत में भी पुरूषों का वर्चस्व रहा है। उन्होंने कहा, एक कलाकार के रूप में मैंने लंबी यात्रा तय की है। अपने थियेटर ग्रुप ‘क्षितिज’ के साथ ही अन्य समूहों के लिये 50 से अधिक नाटकों का निर्माण और निर्देशन किया है।
‘हीरा मंडी’ और ‘हश हश’ में भूमिकाएं: भारती जी ने कहा, मुख्य रूप से मैं रंगकर्म के लिये ही समर्पित रूप से काम करती हूँ। हालांकि जब समय मिलता है या अच्छे प्रोजेक्ट होते हैं, तब फिल्म, टीवी और ओटीटी के लिये भी काम कर लेती हूँ। अभिनय, लेखन और निर्माण के कामों से जुड़ जाती हूँ। मिसाल के लिये संजय लीला भंसाली जी के साथ ‘हीरामंडी’ के लिये और एक और तनुजा चंद्रा निर्देशित वेब सिरीज़ ‘हश हश’ के लिये काम किया है। इसमें जूही चावला मुख्य भूमिका में हैं। आपने कहा, मैंने टीवी के लिये भी काफी काम किया है। गड़बड़ घोटाला, ताना बाना जैसे चर्चित धारावाहिकों के साथ ही डाक्यूमेंट्रीज़ भी बनाते रहे। फिलहाल शार्ट फिल्में बना रहे हैं। (नीचे तस्वीर में निर्देशक, अभिनेत्री भारती शर्मा के साथ लेखक शकील अख़्तर, स्व. पगारे के सुपुत्र प्रो.सुशीम पगारे और चित्रकार,कवि सिरज सक्सेना।)
(Creative writer, journalist, and author Shakeel Akhter is the founder and editor of Indore Studio. He has been writing on art and artists for the last 35 years. His creative world also has a wide horizon. He has written 7 plays. Mumbai Mirror has published his poetry collection. Many songs have been composed. He has been associated with theatre and All India Radio. He has acted in short films, documentaries, and films. He has been an ex-senior editor of India TV. Email: indorestudio@gmail.com) आगे पढ़िये – बच्चों को किताबों से प्यार करना सिखाना एक चुनौती –https://indorestudio.com/bachchon-ko-kitabaon-se-pyar/