सुभाष मिश्रा, इंदौर स्टूडियो। पीयूष मिश्रा के बैंड ‘बल्लीमारान’ का शो रायपुर के दीनदयाल ऑडिटोरियम में हुआ। इस शो में एक बार फिर उन्होंने युवा भावनाओं और विद्रोही स्वर वाले गीतों से लोगों का दिल जीत लिया। हालांकि उनके इस शो में उन युवा दर्शकों की कमी खली, जो उनके कार्यक्रमों की जान हुआ करते हैं। शो से पहले इस अलहदा शायर, गायक और अभिनेता से दिलचस्प बातें भी हुईं। रोटरी क्लब ने आयोजित किया शो: रायपुर में पीयूष मिश्रा का यह शो रोटरी क्लब ने आयोजित किया था। शहर में उनका यह तीसरा शो था। पीयूष ने इस शो में अपने उन सुपरहिट गीतों और कवितामयी भावों को आवाज़ दी, जो आज युवाओं की पसंदीदा फेहरिस्त में सबसे आगे है। मिसाल के लिये – ‘इक बग़ल में चाँद होगा – इक बग़ल में रोटियाँ, आरंभ हैं प्रचंड है, ओ हुस्ना मेरी, हाय रे सिक्कों की झनकार साथ में दबी चवन्नी और व्हिस्की आदि।
आई खैरागढ़ में हुए शो की याद: रायपुर के इस शो के दौरान मुझे पिछले साल खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में हुए शो की याद आई। बल्लीमारान का यह शो खुले प्रांगण में हुआ था। उस शो में हज़ारों की भीड़ जमा थी। उनमें युवाओं की संख्या सबसे ज़्यादा थी। उस शो का माहौल और वायब्रेशन कमाल का था। रायपुर के इस नये शो में पीयूष मिश्रा को चाहने वाले युवा दीनदयाल ऑडिटोरियम में प्रवेश से वंचित रहे जिसकी कमी शो में खलती रही।
रिहर्सल में हुई पीयूष जी से बातें: पीयूष मिश्रा के शो से पहले रिहर्सल में मेरी और डॉ. योगेन्द्र चौबे जी की उनसे काफी बातें भी हुईं। योगेंद्र चौबे, पीयूष जी के आत्मीय हैं क्योंकि दोनों का ही एनएसडी,दिल्ली से नाता है। पीयूष भाई को घर-परिवार, देश-दुनिया, दोस्त-यार सबकी चिंता है। वे NSD में इन दिनों क्या चल रहा है, तुम्हारा क्या है, सुभाष भाई, रचना भाभी कौन-सा नाटक करवा रही हैं ? ऐसी हर बात की खोज-खबर लेते हैं।
अक्टूबर महीने से होंगे नये शोज़: इस बातचीत में पीयूष जी से उनकी नई किताब, नये क्रियेशन, बैंक के नये टूर को लेकर बातचीत होती रही। कहने लगे, दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के बाद अक्टूबर से वे अपनी टीम के साथ देश भर में शोज़ करेंगे। उनके यह बताने पर मैंने उनसे रायपुर में भी प्रोग्राम की बात की। उन्होंने इसके लिये बैंड के प्रबंधन से जुड़े अपने साथी राहुल गाँधी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, इनसे चर्चा कर लीजिये, ये सब तय कर देंगे।
जिसकी केयरिंग पत्नी वह ख़ुश: पीयूष जब भी मिलते हैं हम सबको अपने घर-परिवार के ही लगते हैं। पीयूष बातों-बातों में कहते हैं – ‘दुनिया में वो आदमी सबसे ख़ुश है जिसे अच्छी कैयरिंग पत्नी मिली है। वे अपनी अराजकता से निकलने का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं। संतुष्ट भाव से दोनों बेटों के सैटल होने और नये घर में जल्द ही शिफ़्ट होने की सूचना देते हैं। फिर निश्चिंत भाव से अपने अंदाज़ में कहते हैं – ‘यार मन का गाओ, बजाओ, लिखो, लोगों से मिलो। ज़िंदगी में और क्या रखा है’!
युवा जो सुनना चाहते हैं, वह गाता हूँ: पीयूष मिश्रा युवाओं की पसंदीदा हैं। वे कहते हैं, मैं अपने वक्त की बातें नहीं करता। मैं यूथ के ज़माने में और वह जिस तरह से सुनना चाहते हैं, वैसी बातें करता हूं। पीयूष कहते है -‘ मैं युवाओं की समस्याओं के बारे में बात करता हूं। आज के समय में युवा बहुत कन्फ्यूज है। खास तौर पर फिल्म में आने वाले। मैं उनकी बातें सुलझाता हूं उनकी जिज्ञासाओं को शांत करता हूं। पीयूष जब मंच पर ‘वो पुराने दिन वो सुहाने दिन’ गा रहे थे तो ऑडिटोरियम में बैठे बहुत से उम्रदराज़ लोग भी स्मृति लोक में पहुँच गये। पीयूष कहते हैं, स्त्री-पुरूष के बीच प्यार की अनुगूँज सदियों से रही है और रहेगी।
14 साजिंदों की टीम ‘बल्लीमारान’: आपको बता दें, पीयूष मिश्रा के बल्लीमारान बैंड में 14 साजिंदों और तकनीशियनों की टीम शामिल है। इसकी शुरुआत साल 2016 में तीन लोगों से हुई थी। बल्लीमारान पुरानी दिल्ली की वह गली है जहां मिर्ज़ा ग़ालिब रहा करते थे। बल्लीमारान बैंड का अलग-अलग शैलियों वाला रेट्रो और समकालीन संगीत से जुड़ी धुनों का मिश्रण है। इसमें युवा, विद्रोही वाइब है। अपने दमदार और मुक्त-प्रवाह वाले गीतों के लिए जाना जाने वाला यह संगीत आपस में होने वाली दिलचस्प बातचीत की तरह लगता है।
इस रिपोर्ट के लेखक सुभाष मिश्रा रायपुर से प्रकाशित समाचार पत्र ‘आज की जनधारा’ और सैटेलाइट चैनल एशियन न्यूज़ के संपादक हैं। आप सुपरिचित लेखक और संस्कृतिकर्मी हैं। साभार: इस रिपोर्ट में प्रस्तुत पीयूष मिश्रा की तस्वीरें उनकी फेसबुक वॉल से ली गई हैं।) आगे पढ़िये, नीतिश भारद्वाज अभिनीत नाटक ‘चक्रव्यूह’ की रिपोर्ट – जीवन एक चक्रव्यूह है और हम सब अभिमन्यू ! https://indorestudio.com/jiwan-ek-chkravyuh/