ममता पांडेय, इंदौर स्टूडियो। दिल को छू लेने वाले संवाद, सस्पेंस और थ्रिल से सजी नाट्य प्रस्तुति है ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’। पाली भूपिंदर सिंह लिखित और डॉ.ओमेन्द्र कुमार निर्देशित इस नाटक का मंचन राजौरी के गर्वनमेंट ब्वॉयज़ पहाड़ी होस्टल में हुआ। अनुकृति कानपुर रंगमंडल की इस प्रस्तुति के साथ ही यहाँ पर राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ भी हुआ। सधी हुई इस नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को झकझोरकर रख दिया। संवेदनशील नायिका की कहानी: नाटक की नायिका प्रकृति से प्रेम करने वाली, बेहद संवेदनशील अनु (संध्या सिंह) की कहानी है। अनु का विवाह डीएसपी रैंक के पुलिस अफसर देवराज सिंह (विजयभान सिंह) से होता है। देव उसे नया नाम देता है अनीत। दोनों का वैवाहिक जीवन सुखद रूप से चलने लगता है।
पहाड़ी इलाके में देव की पोस्टिंग: कुछ ही दिनों में देव की पोस्टिंग पहाड़ी इलाके में होती है। यह जानकर, अनीत को लगता है कि आसमान छूते पहाड़, देवदार के वृक्षों के बीच रुई जैसे सफ़ेद बादलों के बीच खूबसूरत जीवन का उसका सपना शायद सच हो गया, लेकिन यहां गोलियों की आवाज और धमाके सुनकर वो निराश हो जाता है। उसे पता चलता कि यह इलाका आतंक प्रभावित क्षेत्र है। घर में जब आता है एक अजनबी: तभी कहानी में प्रवेश होता है एक अजनबी (दीपक राज राही) का। उसके हाव-भाव से अनीत उसे देव का कोई पुराना दोस्त समझ बैठती है लेकिन उसका भ्रम जल्दी ही टूट जाता है। अजनबी बताता है कि मैं एक टेररिस्ट हूं और देव से एक पुराना बदला लेने के लिए उसे खत्म करने आया हूं। अजनबी बताता है कि पहली बार जब मैं मिशन पर गया तो घबराहट में एक खड्डे में जा गिरा, मेरा पूरा शरीर छिल गया था, पुलिस जब मुझे तलाश रही थी। मेरी प्रेमिका नीलू को पता चला तो वह आधी रात में तीन मील जंगल छानकर मेरे लिए हल्दी मिला दूध लेकर आयी।
प्रेमिका की हिरासत में दर्दनाक मौत: अजनबी यह भी बताता है कि देव ने किस तरह उसका पता जानने के लिए उसकी प्रेमिका नीलू को पांच दिन हिरासत में रखा, बुरी तरह उसे टार्चर किया। और अंत में तकलीफ़ की इंतहा होने पर पुलिस हिरासत में ही नीलू ने अपनी जान दे दी। टेररिस्ट बताता है कि देव ने कैसे प्रमोशन और दस लाख रुपये का इनाम हासिल करने के लिए एक फर्जी एनकाउंटर में उसकी जगह पांच बहनों के भाई और एक विधवा मां के इकलौते बेटे को मार डाला।
टेररिस्ट से जान बख्शने की मिन्नत: अनीत अजनबी टेररिस्ट से देव की जान बख्शने की मिन्नतें करती है, फिरोजी चुनरी ओढ़ उसे नीलू का वास्ता भी देती है। अजनबी को अनीत के दर्द में अपनी प्रेमिका नीलू नजर आ रही है। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अजनबी देव को मारे बिना अनीत को बेहोश कर वहां से चला जाता है।
आतंकवादी के घर पर आने की पुष्टि: हवलदार खैराती लाल (हर्षित शुक्ला) भी जब घर आता है तो टेररिस्ट की बातों की पुष्टि करता है। इधर शाम को घर लौटने पर जब देव को पता चलता है कि वह टेररिस्ट पूरे दो घंटे उसके घर में उसका इंतजार करता रहा लेकिन उसे मारे बिना चला गया, आखिरी क्यों? देव अनीत पर शक जताता है, उसे पीटता भी है। अनीत भी अब तक काफी आक्रोशित हो जाती है आखिर वह क्या करेगी? नाटक इसी दिलचस्प अंत पर ख़त्म होता है।
कलाकारों ने किया स्वाभाविक अभिनय: नाटक के चारों कलाकारों का अभिनय स्वाभाविक और अच्छा रहा, लेकिन अनीत के किरदार को बखूबी जीवंत कर संध्या सिंह अपनी अलग छाप छोड़ने में कामयाब रहीं। अलग-अलग दृश्यों में तीन गीतों का बड़ी खूबसूरती से इस्तेमाल दर्शकों को नाटक के मूड से जोड़ने में सफल रहा। संगीत विजय भास्कर एवं प्रकाश संचालन नरेन्द्र सिंह का था। समारोह में आज सेतु सांस्कृतिक केन्द्र वाराणसी के कलाकारों ने नाटक मोह का मंचन भी किया। मन्नू भंडारी की कहानी का नाट्य रूपांतरण प्रतिमा सिन्हा व निर्देशन सलीम राजा ने किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले फेस्टिवल डायरेक्टर विशाल पहाड़ी ने मुख्य अतिथि डीडी.सी. चेयर पर्सन नसीम लियाकत व ए.एस.पी विवेक शेखर को मंच पर आमंत्रित किया। इस मौके पर संयोजक शिखा बाली, कॉआर्डिनेटर विक्रांत वर्मा सहित बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। आगे पढ़िये –
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