कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। दिव्यांग लेखकों और साहित्य में रूचि रखने वाले बच्चे की भागीदारी के साथ ही एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव 2025 का दिल्ली में समापन हो गया। 10 भाषाओं के दिव्यांग लेखकों ने विनोद आसुदानी और अरविंद पी. भाटीकर की अध्यक्षता में काव्य-पाठ और कहानी पाठ प्रस्तुत किया।चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल हुए बच्चे: बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। इनमें 15 स्कूलों के 300 से ज़्यादा बच्चों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में 12 बच्चों को पुरस्कृत किया गया। ‘लेखक से भेंट’ का एक अहम कार्यक्रम प्रख्यात बाङ्ला लेखक सुबोध सरकार के साथ किया गया। इस अवसर पर उनकी पुरस्कृत बाङ्ला कविता-संग्रह के हिंदी अनुवाद ‘द्वैपायन सरोवर के किनारे’ का लोकार्पण साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के कर कमलों से हुआ।
विशेषज्ञों के साथ हुआ विचार विमर्श: आठ विचार-सत्रों में भविष्य के उपन्यास, भारत की सांस्कृति परंपरा पर वैश्वीकरण का प्रभाव, अनूदित कृतियों को पढ़ने का महत्त्व, एकता और सामाजिक एकजुटता, कृत्रिम बुद्धिमता और साहित्यिक रचनाएँ आदि विषयों पर विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन भारतीय कविता, दलित साहित्य और आध्यात्मिक साहित्य पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। इन सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, श्यौराज सिंह बेचैन और विष्णु दत्त राकेश ने की। बहुभाषी कवि सम्मिलन एवं कहानी-पाठ के भी तीन सत्र हुए।
700 से अधिक लेखकों ने भाग लिया: बता दें कि साहित्योत्सव छह दिनों के आयोजन के दौरान 100 से अधिक सत्रों में 700 से अधिक लेखकों और विद्वानों ने हिस्सा लिया। इसमें देश की 50 से अधिक भाषाओं का भी प्रतिनिधित्व हुआ। आगे पढ़िये – अभिनव राष्ट्रीय नाट्य समारोह में दिये जायेंगे दो कला सम्मान https://indorestudio.com/20546-2-abhinav-rashtriya-samman/