राकेश अचल, इंदौर स्टूडियो। सलमान खान चाहे ‘बजरंगी भाईजान’ बनाएं या ‘सिकंदर’, उनके अंदर का अभिनेता दर्शकों को हिला देता है। एक अभिनेता जैसी ताकत हमारे देश के किसी भी राजनेता के पास नहीं है और है तो वो जनता से तालियां भर बजवा सकता है, फूल बरसवा सकता है। नेता और अभिनेता में यही मूलभूत अंतर है। बहरहाल, ईद पर भाईजान को देखने वाले दर्शक भले ही ख़ुश हुए हों, मगर फिल्म 10 अप्रैल तक उतनी कमाई नहीं कर सकी जिसकी उम्मीद लगाई गई थी, हालांकि फिल्म 100 करोड़ के क्लब में ज़रूर पहुँच चुकी है। इसके बारे में ज़्यादा जानने से पहले करते है इस फिल्म की बात। राजकोट के राजा के किरदार में सलमान: फिल्म ‘सिकंदर’ में राजकोट के राजा संजय के किरदार में सलमान खान नजर आए। फिल्म की शुरुआत में ही दिखाया गया कि उन्होंने फ्लाइट में एक राजनेता के बेटे अर्जुन (प्रतीक बब्बर) को पीट दिया। दरअसल, वह वहां पर मौजूद एक महिला का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद मिनिस्टर सलमान खान के किरदार से बदला लेने की हर संभव कोशिश करता है। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए घर जाती है, लेकिन राजा होने के कारण सलमान के किरदारों को लोगों का बेशुमार प्यार मिलता है और वह उसकी रक्षा करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच जाते हैं। खैर, मिनिस्टर के गुंडे सिकंदर के पीछे पड़ जाते हैं और इस लड़ाई के कारण उन्हें अपनी पत्नी साईंश्री (रश्मिका मंदाना) को खोना पड़ता है।
‘गजनी’ वाले निर्देशक की ‘सिकंदर’: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ प्रसिद्ध निर्देशक एआर मुरुगदॉस के निर्देशन में बनी है। मुरुगदॉस इससे पहले आमिर खान की ब्लॉक बस्टर फिल्म ‘गजनी’ बना चुके हैं, जो बॉलीवुड की पहली 100 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली फिल्मों में से एक थी। ‘सिकंदर’ में सलमान खान के साथ पहली बार रश्मिका मंदाना नजर आ रही हैं। दोनों की जोड़ी को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह रहा। फिल्म ‘सिकंदर ईद के दिन रिलीज हुई थी। फिल्म में प्रतीक बब्बर, काजल अग्रवाल, सत्यराज और शरमन जोशी जैसे कलाकार सहायक भूमिकाओं में हैं। कहानी एक ऐसे शख्स की है, जो भ्रष्ट सिस्टम से त्रस्त होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने का फैसला करता है। फिल्म में जबरदस्त एक्शन, इमोशन और मनोरंजन का मसाला है।
अब हीरो लड़ता है जनता की लड़ाई: अब भ्रस्ट सिस्टम के खिलाफ आम जनता नहीं लड़ती, फिल्मों का नायक लड़ता है,जबकि ये लड़ाई आम जनता की है। जनता अपनी ओर से फ़िल्मी नायकों को लड़ते देख ही खुश हो लेती है। आम जनता भूल गयी है कि स्वर्ग खुद के मरने पर ही मिलता है। फ़िल्मी परदे की लड़ाई से भ्रस्ट सिस्टम का, जहरीली सियासत का मुकाबला नहीं किया जा सकता। ‘सिकंदर’ फिल्म भी सिस्टम के खिलाफ लड़ाई को उस तरह तेज नहीं कर पायेगी जिस तरह की छावा ने नफरत फ़ैलाने में कामयाब हुई। कुछ फ़िल्में राजनीति का मकसद पूरा करने में कामयाब हो जातीं हैं,कुछ नही।
फिल्म को प्रमोटर की ज़रूरत नहीं: ‘सिकंदर’ एक मनोरंजन प्रधान फिल्म है इसलिए उसे कामयाबी दिलाने के लिए किसी खादीधारी प्रमोटर की जरूरत नहीं है। फिल्म ‘सिकंदर’ ने पहले दिन 30.06 करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी। हालांकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म अपने कथित बजट 250 करोड़ के मुकाबले ख़ास कमाल नहीं दिखा पाई है। 10 अप्रैल 2025 तक, फिल्म ने भारत में लगभग ₹118.45 करोड़ (नेट) की कमाई कर ली है। वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात करें, तो फिल्म ने लगभग ₹194.6 करोड़ (ग्रॉस) का आंकड़ा पार कर लिया है। बहरहाल फिल्म सिकंदर के बहाने आज असली सिकंदर की भी याद आ रही है जिसने सिर्फ 32 साल की उम्र में दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया था। आज दुनिया में कोई सिकंदर जैसा नहीं है। (लेखक वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। समसामयिक विषयों पर लेखन और विश्लेषण के लिये प्रख्यात हैं।) आगे पढ़िये – देशभक्ति की फिल्मों के लिये हमेशा याद किये जायेंगे मनोज कुमार – https://indorestudio.com/deshbhakti-ki-film-manoj-kumar/