कला प्रतिनिधि,इंदौर स्टूडियो। मध्यप्रदेश के सतना ज़िले का एक गाँव ककलपुर है। यह गाँव रंगमंचीय एवं कलात्मक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। हाल ही में यहां पर चार दिवसीय उँजियार कला महोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें करीब 150 कलाकारों ने हिस्सा लिया। महोत्सव में नाटकों के साथ ही नृत्य और गीत-संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। बाहर से आये कलाकारों के साथ ही स्थानीय कलाकारों ने भी इन कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया। चार दिन तक चला कला महोत्सव: यह महोत्सव 11 जून से 14 जून तक चला। इसका आयोजन ‘प्राप्तयाशा लोक एवं संस्कृति प्रवर्तन समिति’ ने किया। उत्सव का निर्देशन रंगकर्मी अजय दाहिया ने किया। वे समिति के सचिव भी हैं, जबकि अध्यक्ष मानसी शिवहरे हैं। समिति ने बीते साल पहला कला महोत्सव आयोजित किया था।
चित्र एवं शिल्पकला से शुभारंभ: इस साल महोत्सव का शुभारंभ 11 जून को चित्र एवं शिल्प कला प्रतियोगिता से शुरू हुआ। इसमें छोटे-छोटे बच्चों ने भी हिस्सा लिया। अपनी कला प्रतिभा का परिचय दिया।
हर दिन दो नाटकों का मंचन: 12 जून से महोत्सव में हर दिन दो नाटकों का मंचन शुरू हुआ। साथ ही गीत-संगीत, नृत्य के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। ककलपुर के निवासियों ने इन्हें बड़ी दिलचस्पी से देखा। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। सभी कार्यक्रमों के लिये मिल जुलकर मंच और प्रकाश व्यवस्था की गई।
तीन कला हस्तियों का हुआ सम्मान: महोत्सव में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त तीन कला हस्तियों का सम्मान भी किया गया। इनमें पद्मश्री बाबूलाल दाहिया को राष्ट्रीय अन्नदाता सम्मान, श्री आनंद मिश्रा को राष्ट्रीय रंग दक्षिणा सम्मान, तथा श्री अनूप सिंह चौहान को राष्ट्रीय गुरू दक्षिणा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इन कला हस्तियों के साथ ही अन्य कलाकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया।
समिति के सदस्यों ने किया प्रबंध: यह कला महोत्सव बिना किसी सरकारी अनुदान या सहायता से संपन्न हुआ। हालांकि यह एक मुश्किल काम था। परंतु आयोजन समिति ने आपसी सहयोग से कला महोत्सव को कर दिखाया। समिति के सदस्यों ने महोत्सव में प्रस्तुतियां देने कलाकारों के भोजन, आवास व अन्य खर्च की व्यवस्था की। आपसी सहयोग से ही मंच से सम्बधित व्यवस्थाएं भी की। इस तरह आयोजन सफलता से संपन्न हो गया। इसकी उत्सव में आये कलाकारों और अतिथियों ने सराहना की।
ककलपुर की छबि बेहतर बनाने की कोशिश: अजय दाहिया के अनुसार, कला गतिविधियों के माध्यम से ककलपुर की छबि को बेहतर बनाना हमारा मकसद है। हम चाहते हैं यहां के लोगों में सजगता आये, लोगों में आपसी मेल-जोल बढ़े। अराजकता का माहौल खत्म हो और समाज के प्रति सकारात्मक भाव पैदा हो।
स्थानीय लोगों का समर्थन: सुश्री मानसी शिवहरे ने कहा, आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों का भी हमें साथ और समर्थन मिल रहा है। जो लोग अभी नहीं जुड़े हैं, हमें विश्वास है, इस कला आयोजन के अच्छे असर को देखते हुए उनका भी हमें सहयोग ज़रूर मिलेगा। आगे पढ़िये – भोपाल में सौ बाल कलाकारों के पाँच नाटकों का खूब जमा रंग – https://indorestudio.com/bhopal-me-100-se-adhik-bachcho-ka-natak/