शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। ‘जयपुर में 150 कलाकारों के साथ ‘श्री रामचरित नाट्य’ की प्रस्तुति के बाद, उदयपुर में ‘अजब चोर की ग़ज़ब कहानी’ का मंचन हमारे लिये उपलब्धि की बात रही। नाटक का यह 25 वां शो था। दर्शकों ने इस शो को बेहद पसंद किया। हमारे कलाकार भी इस ‘माइल स्टोन’ शो की रजत प्रस्तुति से बेहद ख़ुश हुए’। यह बात वरिष्ठ लेखक-निर्देशक अशोक राही ने कही। श्री राही जयपुर के रंग समूह ‘पीपुल्स मीडिया थियेटर’ के प्रबंध संचालक भी हैं। दोनों ही नाटकों पर उनसे हाल ही में चर्चा हुई। 5 साल पहले हुआ था पहला शो: अशोक राही ने बताया – ‘अजब चोर की ग़ज़ब कहानी’ का 25 वां शो, उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से हुआ। यह मंचन यहां के शिल्पग्राम में मौजूद दर्पण सभागार में हुआ। उन्होंने कहा, नाटक का पहला मंचन हमने जयपुर में पांच साल पहले किया था। तब से इस नाटक के शोज़ होते चले आ रहे हैं’। उन्होंने कहा, जयपुर में दशहरा उत्सव के दौरान हमने ‘श्री रामचरित नाट्य’ का मंचन किया था। यह नाटक 10 घंटे का है और यह 5 दिनों तक प्रदर्शित होता है। इस तरह से यह नाटक नहीं महानाटक है जिसके लिये सभी 150 कलाकारों ने जमकर मेहनत की थी। इस नाट्य की थका देने वाली प्रस्तुतियों के बाद हमारे कलाकार कुछ चेंज चाहते थे। ऐसे में मौका मिलते ही हमने उदयपुर में ‘अजब चोर की ग़ज़ब कहानी’ का रजत शो किया’।
‘अजब चोर’ ब्रज भाषा का नाटक: श्री राही ने बताया, ‘अजब चोर की ग़ज़ब कहानी’ नाटक को हम ब्रज भाषा में खेलते हैं। इसमें चोर को सच बोलने की सज़ा मिलती है। हमने नाटक में पारंपरिक लोक धुनों का इस्तेमाल किया है। इस नाटक को स्व. हबीब तनवीर जैसे दिग्गजों से लेकर दूसरे निर्देशकों ने भी किया है। परंतु मैंने लोक कथा पर आधारित इस प्रभावशाली कहानी को अपनी तरह से लिखा और प्रस्तुत किया है। इसमें प्रासंगिकता का ध्यान रखा किया है। इसके संवादों में आज के हालात की तस्वीर उभरकर सामने आती है। इस तरह हमारा यह नाटक कई अर्थों में बहुत अलग है। नाटक में करीब 24 कलाकार काम करते हैं’।
गुरू को वचन देने से जुड़ी कहानी: श्री राही ने कहा – ‘अजब चोर की ग़ज़ब कहानी’ एक ऐसे चोर की कहानी है, जो अपने एक गुरू को चार वचन देता है। पहला – वह सोने की थाली में भोजन नहीं करेगा। दूसरा – हाथी की सवारी नहीं करेगा। तीसरा, रानी के पलंग पर नहीं सोयेगा और चौथा – वह सदा सच बोलेगा। कहानी में सत्यवादी चोर, एक के बाद एक मंदिर, साहूकार के घर और फिर सरकारी खज़ाने में चोरी करने के लिये जाता है। जहां भी यह चोरी करने जाता है, बता देता है कि वह चोर है और चोरी करने आया है। मगर उसकी बात पर कोई यक़ीन नहीं करता कि क्या चोर ख़ुद कभी ऐसा कहता है? अंत में सरकारी ख़ज़ाने से हीरे चुराने के आरोप में वह पकड़ा जाता है। उसे जेल हो जाती है। इसके बाद कहानी में एक नया मोड़ आता है’।
रानी हो जाती है चोर पर मेहरबान: ‘चोर की सचाई पर रानी मेहरबान हो जाती है, उसका का दिल, जवान चोर पर आ जाता है। वह चोर को जेल से छुड़ाकर उसे सोने की थाली में भोजन करने, हाथी पर बैठने और पलंग पर सोने के लिये कहती है। गुरू को दिये वचन के अनुसार चोर इन सभी बातों से इनकार कर देता है। चोर के वचनों के आगे रानी मजबूर हो जाती है। वह चोर को महल छोड़कर जाने के लिये कहती है। हिदायत देती है वह उसके हुई इस मुलाक़ात के बारे में कभी-किसी को ना बताये’।
सच बोलना चोर की मजबूरी: ‘चूंकि चोर सच बोलने के वचन से भी बंधा है। वह रानी को जवाब देता है कि वह यह भी नहीं कर पायेगा। तब रानी अपनी मान-मर्यादा को बचाये रखने के लिये सच बोलने वाले चोर की ज़ुबान को हमेशा के लिये ख़ामोश करा देने का फैसला कर लेती है। ज़ाहिर है नाटक बेहद रोचक है। इस रोचकता को हमने प्रस्तुति में और भी बेहतर बनाने की कोशिश की है। 25 शोज़ की यात्रा ने भी नाटक संवारा है। ज़ाहिर है कि कलाकारों का मंजा अभिनय भी दर्शकों बाँधकर रखता है’।
रामचरित नाट्य का विचार कैसे आया: यह सवाल पूछने पर अशोक राही ने कहा – ‘श्री रामचरित नाट्य’ नाटक की कल्पना मेरे मन में नाटक ‘खेजड़ी की बेटी’ के मंचन के समय आई थी। हमने इसका शो ओपन एयर थियेटर में मंचन किया था। इस नाटक को देखने 3 हज़ार से अधिक दर्शक पहुँचे। दर्शकों की इतनी बड़ी संख्या चौंकाने वाली थी। हमें लगा कि खुले मंच के लिये दर्शकों के समक्ष और बड़ी प्रस्तुतियां भी ला सकते हैं। इसके बाद ही ‘श्री रामचरित नाट्य’ को रंगमंच पर प्रस्तुत करने का विचार मेरे मन में आया’।
नाट्य लेखन के लिये पढ़ी 5 रामायण : श्री राही ने बताया – ‘श्री रामचरित नाट्य’ के लेखन के लिये मैंने चार-पांच अलग-अलग रामायण पढ़ी। इनमें वाल्मिकी रामायण से लेकर तुलसीदास और राधेश्याम कथावाचक की लिखी रामायण भी शामिल रही। इसके बाद मैंने इस महानाट्य की रचना की। इसके लिये ज़रूरी गीत लिखे गये। नाटक के संगीत के राजस्थान की परंपरागत गायन और कथक जैसी नृत्य शैली को आधार बनाया।
150 कलाकारों का महानाटक: यह नाटक कितना बड़ा है आप इसका अंदाज़ा इसके कलाकारों की संख्या से ही लगा सकते हैं। नाटक में मंच पर और नेपथ्य में कुल मिलाकर 150 कलाकार काम करते हैं। जितनी बड़ी इसकी कास्ट है, सैट, लाइट, कॉस्टयूम, मेकअप का भी उतना ही बड़ा तामझाम है’।
5 दिनों तक चलने वाला नाटक: अशोक राही ने कहा – ‘जैसा कि मैंने बताया ‘श्री रामचरित नाट्य’ 10 घंटे का नाटक है। यह 5 दिनों तक मंचित होता है। हर दिन इस नाटक के मंचन का औसत समय 2 घंटे का होता है। चूंकि यह रंगमंच के लिये तैयार किया गया नाटक है, रामलीला नहीं है, इसीलिये यह महंगा नाटक भी है। मुझमें क्षमता नहीं थी कि मैं इतना बड़ा नाटक, रंगमंच के लिये कर पाता। परंतु मेरे इस प्रयोग को मंच तक लाने में जवाहर कला केंद्र की मदद मिली। मंचन के लिये केंद्र ने 28 लाख रुपये का बजट मंज़ूर किये और हम नाटक का मंचन कर सके।
नाटक को देखने आये थे सीएम: अशोक जी ने कहा, पिछले साल श्री रामचरित नाट्य का पहला प्रदर्शन हुआ था। दर्शकों ने पीपुल्स मीडिया थियेटर की इस प्रस्तुति की बड़ी सराहना की थी। पांचों दिन वे बड़ी रूचि के साथ हमारी प्रस्तुति देखने आते रहे। पिछले साल इस नाटक को देखने के लिये राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत भी विशेष तौर पर आये थे। इस साल भी हमारे नियमित दर्शकों के साथ ही कई प्रमुख हस्तियों और प्रशासनिक प्रमुखों ने इस नाटक को देखा। इसकी सराहना की।’
बेहतर प्रयोग हमारी विनम्र कोशिश: श्री राही ने कहा- ‘हमारी विनम्र कोशिश रहती है कि हम हर बार कुछ बेहतर और चुनौती से भरा नया काम कर सकें। हालांकि सच यह है कि हम कुछ नहीं करते, सब परमात्मा कराता है, सब उसी की देन है। वही कुछ करने की हमें सामर्थ्य भी देता है’। अशोक जी के मुताबिक, पीपुल्स मीडिया थियेटर ग्रुप की स्थापना उन्होंने 2008 में की थी। तब से लगातार इस मंच के माध्यम से गतिविधियां जारी हैं। इन सालों में उनके नाट्य समूह ने करीब 17 फुल लेंथ नाटकों की प्रस्तुतियां दी हैं। उनके कई शोज़ किये हैं। श्री राही ने कहा कि उनके थियेटर ग्रुप का साल भर का कला कैलेंडर तय है। हर साल वे रंगमंच से जुड़ी डेढ़ दर्जन से अधिक मंचन, कार्यशाला, संवाद आदि की गतिविधियों का आयोजन करते हैं। उनके बहुत से प्रशिक्षित कलाकार अब देश के साथ ही मुंबई में भी अपने स्तर पर सिने और कला गतिविधियों में सक्रिय हैं।
तीन दर्जन कलाकारों का समूह ‘पीएमटी’: अशोक राही ने कहा, पीपुल्स मीडिया थिएटर (पीएमटी) में करीब तीन दर्जन अभिनेता और अभिनेत्री निरंतर काम करते हैं। ‘रामचरित नाट्य’ और ‘अजब चोर की गज़ब कहानी’ नाटकों में जिन कलकारों ने प्रमुख रूप से अभिनय किया है। उनके नाम है क्रमश: नितिन सैनी, जय सोनी, एकता शर्मा, अंजलि सक्सेना, आधार कोठारी, यशवंत सिंह, आयुष शर्मा, संजय महावर, प्रतिभा पारीक, चारु भाटिया, अपेक्षा जैन, झनक शर्मा, राहुल शर्मा ,योगेश जांगिड़, कृष्ण कश्यप, मौहम्मद अनस, साक्षी खानवानी, रिया पवार, मनु शर्मा, रामकेश मीणा, पल्लवी भट्ट, मौहम्मद कैफ, प्रेरणा पूनिया, भावेश शर्मा, रिमझिम गुप्ता, प्रियांशु पारीक, अक्षत शर्मा, अभिषेक कुमार,अमित झा, हिमांशु कासलीवाल सत्येंद्र सिंह, राघव राजपूत, हर्षिता जोशी, सौरभ यादव। कथक नृत्य संरचनाएं स्वाति गर्ग ने की जबकि ताल संयोजन महेंद्र डांगी ने किया।
रामचरित नाट्य के संगीत कलाकार: रामचरित नाट्य में सितार हरिहर शरण भट्ट, सारंगी अमीरुद्दीन खान, पखावज प्रतिश रावत और हारमोनियम मयंक शर्मा ने बजाया था। प्रकाश व्यवस्था राजीव मिश्रा की थी और रूप सज्जा राधेलाल बांका ने की। रामचरित्र नाट्य में सुप्रिया शर्मा ,संजय महावर,अनिल बैरवा, नितिन सैनी और यशवंत सिंह सहायक निर्देशक थे और इस आयोजन के नोडल ऑफिसर थे अब्दुल लतीफ उस्ता। ‘श्री रामचरित नाट्य’ जवाहर कला केंद्र की प्रस्तुति थी जबकि ‘अजब चोर की गज़ब कहानी’ को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने आमंत्रित किया था। आगे पढ़िये –
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