‘स्त्री महोत्सव’ में नाटक के साथ ही कथक नृत्य की प्रस्तुति

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कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर में जारी ‘स्त्री महोत्सव’ के कार्यक्रम में तीसरे दिन नाटक और नृत्य की अहम प्रस्तुतियां हुईं। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के पूर्व शोध और प्रकाशन अधिकारी डॉ. महेशचंद्र शांडिल्य रहे। नाटक: मी सावित्री बोलतेय: कार्यक्रम का प्रारंभ प्राचार्य राम शेवाळकर प्रतिष्ठान, नागपुर निर्मित “व्हय, मी सावित्री बोलतेय” इस एक पात्रीय नाटक की प्रस्तुति हुई। इस नाटक में सावित्री बाई फुले के जीवन संघर्ष को प्रस्तुत किया गया। पूजा पिंपळकर ने इस मोनोलॉग में सशक्त अभिनय किया है। उन्होंने सावित्री बाई फुले के जीवन के हर पहलु को बारीकी से अपने अभिनय में प्रस्तुत किया। सावित्री हमारे देश की पहली महिला शिक्षिका थीं। नाटक का लेखन सुषमा देशपांडे और निर्देशन शंकर शंखपाळे ने किया है। सावित्री बाई फुले का जीवनवृत: सावित्रीबाई फुले जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। उनका विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले देश के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। तनुश्री चौहान का कथक नृत्य: प्रसिध्द नृत्यांगना सुश्री तनुश्री चौहान द्वारा एकल “कथक नृत्य” प्रस्तुत किया गया। शुरुवात देवी स्तुति से हुई। इसके पश्चात कथक का शुध्द नृत्य एवं ठुमरी की मनमोहक प्रस्तुतियाँ हुई। प्रस्तुति का समापन द्रौपदी चीर हरण की प्रस्तुति से हुआ। संगत, सारंगी पर शफ़ीक हुसैन, गायन मे रोशन कुमार, तबले पर बी शरत और पड़ंत पर कुमारी लिली चौहान ने की। इस कार्यक्रम का संचालन श्रीमती गौरी तेलंग ने किया।‘विन्यासा कार्यशाला’ का समापन: सुबह के सत्र में मृदंग कलाकार गुरू मन्नारकोली जे. बालाजी की ‘विन्यासा कार्यशाला’ का समापन हुआ। महोत्सव में शिल्प और व्यंजन मेले के साथ ही रंग से कुंभ चित्र कला प्रदर्शनी का भी आंगतुकों ने आनंद लिया। आगे पढ़िये – कई बार ऐतिहासिक पात्र बड़े प्रासंगिक होते हैं – नंदिता दास https://indorestudio.com/kai-bar-etihasik-patra-prasangik/

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