कला प्रतिनिधि, इंदौर स्टूडियो। ‘ठेके पर मुशायरा’ …इस शीर्षक को पढ़कर ही हँसी आ जाती है। इस हास्य नाटक का मंचन हरियाणा के रोहतक में हुआ। मंचन के दौरान दर्शक जमकर ठहाके लगाते रहे। शायर किरदारों की करतूतों और मज़ाहिया संवादों का मज़ा लेते रहे। नाटक में कलाकारों ने भी बेहतरीन अभिनय किया। शायरों की ज़िदंगी पर आधारित: यह नाटक शायरों और उनकी ज़िदंगी से जुड़े हालात पर आधारित है। इसका लेखन इरशाद खान ‘सिकंदर’ ने किया है। वे ख़ुद भी एक शायर हैं। ‘जौन एलिया का जिन्’ उनका चर्चित नाटक रहा है। दिल्ली में हुए इस नाटक का निर्देशन प्रख्यात रणजीत कपूर जैसे दिग्गज निर्देशक ने किया है। जबकि ‘ठेके पर मुशायरा’ का निर्देशन दिलीप गुप्ता ने किया है। नाटक में कॉमेडी के साथ दर्शकों को उम्दा शेरो-शायरी भी सुनने को मिली।
‘घर फूंक थियेटर सीरीज’ का नाटक: ‘ठेके पर मुशायरा’ नाटक का आयोजन सप्तक सांस्कृतिक संस्था द्वारा पठानिया वर्ल्ड कैंपस के सहयोग किया गया है। मज़े की बात ये है कि यह नाटक ‘घर फूंक थियेटर सीरीज’ के तहत किया गया। यह सच भी है कि आमतौर पर शौकिया रंगमंच घर-फूँक तमाशे जैसा ही है। नाटक का मंचन ओमैक्स सिटी में मौजूद जेड ग्लोबल स्कूल में हुआ।
नाटक में शायरों की मज़ेदार किरदार: नाटक में शायरों के दिलचस्प और मज़ेदार किरदार हैं। मिसाल के लिये इनमें से एक हैं कमान लखनवी साहब। उन्हें शायरी की दुनिया में ख़ासी शौहरत और ऊँचा मुकाम हासिल है। इसके बावजूद उनकी आर्थिक हालत बेहद ख़राब है। वे महीनों से घर का किराया तक नहीं दे पा रहे हैं। इसीलिये अक्सर वो मकान मालिक से बचने की कोशिश करते रहते हैं।
उस्ताद से ग़ज़लें ख़रीदकर शायरी: दूसरे किरदारों के भी अंदाज़ अजीब हैं। इनमें एक शायरा है मैना सहगल। मैना उस्ताद कमान लखनवी की शायरी खरीदा करती हैं और उन्हें अपने नाम से मुशायरों में सुनाती हैं। हालांकि उस्ताद की उस्तादी भी कुछ कम नहीं हैं। वे मैना को ही शायरी नहीं बेचते हैं। बल्कि एक ही ग़ज़ल कई शायराओं को बेचते रहते हैं। नतीजतन उनमें आपस में ही लड़ाई होती रहती है। नाटक में उस्ताद का एक शार्गिद है जो हमेशा घर पर ही बैठा रहता है। तेवर खायलपुरी नाम का एक मंच संचालक उस्ताद के घर में दिन भर चाय बनाता रहता है। इसके अलावा राम भरोसे नाम का एक शायर पैसा कमाने के लिये उस्ताद को विश्वकर्मा दिवस के लिये ठेके के एक मुशायरे में भेज देता है।
‘साइक्लोरमा’ दिल्ली की प्रस्तुति: साइक्लोरमा दिल्ली की इस प्रस्तुति में सभी कलाकारों ने अपने-अपने स्तर पर प्रभावित करने वाला अभिनय किया है। नाटक में मैना की भूमिका यशस्विनी बोस ने निभाई है। जबकि कमान लखनवी की भूमिका नरेंद्र कुमार ने अभिनीत की है। वहीं बाग देहलवी की भूमिका में आमिर खान और तेवर खयालपुरी की भूमिका में राज तंवर ने भी अपनी अदाकारी से दर्शकों को प्रभावित किया और जमकर हँसाया।
दिलीप गुप्ता ने भी निभाई भूमिका: नाटक के निर्देशक दिलीप गुप्ता ने ख़ुद भी राम भरोसे की भूमिका भी निभाई है। उनके संवाद भी इस हास्य नाटक में दर्शकों को अपना मज़ा देते रहते हैं। एक और दिलचस्प भूमिका आयोजक छांगुर आल राउंडर की है। इसे गौरव कुमार ने निभाई है। वे मंच पर अपने उल जलूल एनाउंसमेंट से माहौल को हँसता-खिलखिलाता बनाये रखने में सफल रहे। नाटक शुरू से आख़िरी तक दर्शकों को हँसाता रहा। आगे पढ़िये – आज कविता एक है और चुटकुले हज़ार – https://indorestudio.com/aaj-kavita-ek-hai-aur-chutkule-hazar/