प्रो. सुधा श्रीनिवास, इंदौर स्टूडियो। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में हिंदी नाटक ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ को स्थानीय दर्शकों की ज़बरदस्त प्रशंसा मिली है। नाटक की सफलता में कलाकारों का जीवंत अभिनय और संगीत की बड़ी भूमिका रही। हालांकि शुरूआत में इस नाटक को लेकर विरोध के स्वर उभरे थे। नाटक के नाम को लेकर ही चर्चाओं का दौर गर्म हो गया था। नाटक का वास्तविक नाम ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ है, जिसे निर्देशक निलीना पाणी दाश ने ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ करना बेहतर समझा। डॉ. पाली भूपिंदर सिंह ने इस नाटक का पंजाबी में लेखन किया है। हिंदी में इसे दलविंदर मुल्तानी ने अनुवादित किया है। हर साल एक बेहतरीन प्रस्तुति: उत्तरी कैरोलिना में यह प्रस्तुति ‘हिंदी रंगमंच’ थियेटर ग्रुप की रही। ‘हिंदी रंगमंच’ निलीना पाणी दाश के कुशल नेतृत्व में हर साल हिंदी के एक बढ़िया नाटक का मंचन करता है। इस साल यहां (जून 2024) में दर्शकों को ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ जैसी बेहतरीन प्रस्तुति देखने को मिली। भारतीय साहित्य और हिन्दी नाटकों में रूचि रखने वाले दर्शकों के लिये यह एक यादगार प्रस्तुति बन गई। ख़ास बात ये भी है कि ‘हिंदी रंगमंच’ की प्रस्तुतियों में स्थानीय कला प्रतिभाओं को शामिल किया जाता है और सभी अपना बेस्ट परफॉर्म भी करते हैं।
नाटक का विषय विचारोत्तेजक: नाटक ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ का विषय विचारोत्तेजक है, कि “कोई भी व्यक्ति आतंकवादी के रूप में जन्म नहीं लेता!” (जैसा कि एक पात्र कहता है)। लोगों के जीवन के अनुभव उन्हें अच्छे या बुरे कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। हर बुरा काम करने वाला व्यक्ति प्रेम और आत्म-बलिदान करने में सक्षम होता है, और कोई भी अच्छा व्यक्ति हत्या करने के लिए प्रेरित हो सकता है।
कलाकारों ने किया जीवंत अभिनय: नाटक में कविता भदोला, मयंक जैन, कमल मल्होत्रा और संजय जैन ने अपने पात्रों को जीवंत कर दिया। नाटक के शुरू से अंत तक हर किरदार को उसके अनुरूप जीना था – जैसे, आतंकवादी बनाम आत्म-बलिदानी, प्रेमी पति बनाम बदसलूक, प्यार करने वाली पत्नी बनाम इंसाफ़ पसंद औरत। इन चुनौतीपूर्ण अभिव्यक्तियों को अभिनेताओं ने अपनी आवाज़ और शारीरिक भाषा के ज़रिए बखूबी अंजाम दिया। (सफलता की तस्वीर: निर्देशक निलीना पाणी दाश के साथ नाटक के अभिनेताओं और बैक स्टेज कलाकारों की टीम।)
संगीत ने पैदा की नाटक में जान: नाटक का संगीत भारती जावलकर ने तैयार किया था। उन्होंने नाटक में गुलज़ार और नीलिना दास की कविताओं का सदुपयोग किया। गीतों को भारती जावलकर, जय स्वामीनाथन और अनघा कलवड़े ने खूबसूरती से गाया। कविताओं और मधुर संगीत का सही चयन नाटक के कथ्य के अनुकूल रहा। नाटक को प्रभावशाली बनाने में यकीनन गीत-संगीत का अहम रोल रहा।
बैक स्टेज का बेहतरीन प्रबंधन : सैट डिज़ाइन और बैक स्टेज प्रबंधन भी उच्च स्तरीय था, इस वजह से प्रॉडक्शन बढ़िया रहा। यहां एक बात मैं कहना चाहूँगी, हिंदी रंगमंच और नीलिना पाणई दाश की प्रस्तुतियों का हर साल यहां के दर्शकों को इंतज़ार रहता है। यह उत्तरी कैरोलिना में ‘हिंदी रंगमंच’ के चाहने वालों के सांस्कृतिक जीवन को बढ़ाता है।
क्यों बदला गया नाटक का नाम: जैसा कि हमने शुरूआत में ही कहा, इस नाटक का मूल नाम ‘टेररिस्ट की प्रेमिका’ है। मगर नाटक की निर्माता और निर्देशक निलीना पाणी दाश ने इसे बदलकर ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ कर दिया। जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा- ‘अमेरिका में यह नाटक पहली बार वॉशिंग्टन डीसी में हुआ था। इस बार मेरे इस नाटक को मंचित करने का निर्णय एक गंभीर समस्या बन गया। लोगों ने बहुत कहा। कहने लगे- ‘अरे यह आप कौन सा नाटक कर रही हैं…?
अच्छी लगी थी नाटक की स्क्रिप्ट: नीलिना दाश ने कहा ‘मुझे स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी थी। चूंकि 9 /11 बाद से सुरक्षा की दृष्टि से अमेरिका में ‘टेररिस्ट’ शब्द को बहुत ही संवेदनशील दृष्टि से देखा जाता है। इसीलिये मैंने नाटक के लेखक पाली जी से अनुरोध किया कि वो मुझे इसका नाम ‘आतंकवादी की प्रेमिका’ बदलने की अनुमति दें। थोड़ी बहुत नाराज़गी के बाद आख़िरकार उन्होंने यह नाम अमेरिका के लिये बदलने की अनुमति दे दी’।
घोषणा होते ही मिली प्रतिक्रिया: निलीना दाश ने बताया -‘नाटक की घोषणा के बाद मुझे अजीब मैसेज आने लगे। कुछ लोगों ने कहा कि मैं, टेररिज़्म को प्रमोट कर रही हूँ और कला अपनी जगह है टेररिज़्म अपनी जगह है मुझे ऐसे प्ले नहीं करने चाहिये। इस तरह की बातों का टिकट सेल पर भी असर पड़ा। मैंने विनम्रता से लोगों को समझाया कि मैं आतंकवाद को प्रमोट कर रही हूँ। फिर भी लोगों को श़क था। मगर मंचन के बाद सभी विरोधी बातों का अंत हो गया। नाटक को देखकर सभी बहुत ख़ुश हुए। सभी ने प्रशंसा की। सोशल मीडिया पर भी नाटक की ख़ासी चर्चा हुई। ( ‘हिंदी रंगमंच’ की संस्थापक और निर्देशक निलीना पाणी दाश एक सक्षम अभिनेत्री भी हैं, नीचे की तस्वीरों उनके अभिनय के कुछ दृश्य। )
एक्टर्स ने किया कमाल का काम : अनुभवी अभिनेत्री और निर्देशक ने कहा, मेरे चारों एक्टर्स ने भी कमाल का काम किया। भारती जवलकर ने अपने संगीत से नाटक में चार चाँद लगा दिये। मैंने भी नाटक के लिए एक गीत लिखा’। उन्होंने कहा – ‘USA में नाटक को मंच तक लाना आसान नहीं है। एक्टर्स अपनी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में बहुत व्यस्त होते हैं। नाटक स्टेज करना इसलिये भी मुश्किल है कि हमें यहां कोई फंड नहीं मिलता, कहीं से कोई ग्रांट नहीं मिलती। परंतु मैं सोद्देश्य नाटकों के लिये प्रतिबद्ध हूँ। मैं हिंदी रंगमंच के माध्यम से अपनी विनम्र कोशिशें जारी रखूंगी’। (दमदार संगीत बना नाटक की जान: नाटक की संगीतकार भारती जवलकर के साथ निर्माता-निर्देशक निलीना पाणी दाश। )
विरासत में मिले कला के संस्कार: उड़ीसा में जन्मी और दिल्ली में शिक्षित निलीना पाणी दाश को पिता स्व. जीवन पाणी से कला विरासत में मिली। पिता उड़ीसा के ख्यात कवि-लेखक और ‘कथक कला केंद्र’ के निदेशक रहे। बचपन से अभिनय में शौकीन निलीना ने दिल्ली के मिरांडा कॉलेज में अध्धयन के दौरान ‘नीलांजना सुमन’ और ‘लहरों के राजहंस’ जैसे नाटकों में काम किया। दीपक ठाकुर निर्देशित ‘लहरों के राजहंस’ को स्व. मोहन राकेश की पत्नी अनीता राकेश ने देखा। उन्होंने शो के बाद निलीना से कहा, ‘तुम रंगमंच के लिये ही बनी हो’! यह बात निलीना के लिये प्रेरणा बन गई। अमेरिका आने के बाद 2017 में उन्होंने ‘हिंदी रंगमंच’ नामक थियेटर ग्रुप की स्थापना की। ‘पिघलती दीवारें’, ‘मेरी परछाई’, ‘जब सावित्री रिटर्न’, ‘दर्ज लम्हे खुदकुशी के’ जैसे नाटकों के साथ ही और कोरोना काल में ‘आधे अधूरे’ और ‘ख़ामोश अदालत जारी है’ की ऑनलाइन प्रस्तुतियां दीं। (इस रिपोर्ट की लेखिका प्रोफ़ेसर सुधा श्रीनिवास, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना, ग्रीन्सबोरो में सेवारत हैं।) Help Indore Studio serving art activities and artists. Donate – https://indorestudio.com/donate/