इंदौर स्टूडियो, कला प्रतिनिधि। विंध्य फिल्म फेस्टिवल में पहले दिन फीचर फिल्म ‘बाईसिकल डेज’ की स्क्रीनिंग की गई है। सीधी के वैष्णवी गार्डेन में दस जनवरी से इस फेस्टिवल का आगाज़ हो गया है। यह चौथा महोत्सव है। महोत्सव में तीन सौ से अधिक फीचर फिल्में और लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। महोत्सव का उद्घाटन साहित्यकार एवं शासकीय संजय गांधी महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.अनिल सिंह के मुख्य आतिथ्य में हुआ। अध्यक्षता एड.मनोज सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में शिवशंकर मिश्र सरस, संजय भदौरिया के साथ आयोजक इंजीनियर.आरबी सिंह, डॉ.अनूप मिश्र और विवेक सिंह चौहान उपस्थित रहे। तीन दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में फिल्म डायरेक्टर, एक्टर और प्रोड्यूसर हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के आरंभ में मां वीणा वादिनी संगीत शिक्षण संस्थान के बाल कलाकारों ने गीतों की प्रस्तुति दी। महोत्सव की शुरूआती फ़िल्म रही बारात: फिल्म महोत्सव की शुरूआत धवन द्वारा निर्देशित और अखिलेंद्र मिश्रा द्वारा अभिनीत शॉर्ट फिल्म ‘बारात’ से हुई। महज 18 मिनट की इस फिल्म ने दर्शकों और अतिथियों का दिल जीत लिया। फिल्म में मानव प्रवृत्ति लालच और बाइक चलाते समय हेलमेट को लेकर सीख दी गई है, किस प्रकार इंसान लालच में पडक़र अपनी जान तक गवां सकता है। वहीं अखिलेंद्र मिश्र की शानदार एक्टिंग और फुल्की खाने के अंदाज को दर्शकों ने खूब सराहा। प्रथम दिवस के महोत्सव में अंतिम फिल्म गरिमा राणा की निर्देशित ‘वांटेड ठाकुर’ रही।
पहले दिन कुल 15 फ़िल्मों का प्रदर्शन: फेस्टिवल में पहले दिन कुल 15 फिल्में दिखाईं गईं। इनमें धवन द्वारा निर्देशित फिल्म बारात, श्रीनिधि नौलाखा द्वारा निर्देशित मन झरोखा, विजय कुमार द्वारा निर्देशित ए रेंटेड हाउस, अशोक समीनाथन द्वारा निर्देशित अधियामानुन अलामरमूम, ओडानल द्वारा निर्देशित अपिंग एड्मिन पोर्टर, दिव्येश गांधी द्वारा निर्देशित बैडिट बाजुका, देवायनी अनंत द्वारा निर्देशित बायसिकल डेज, अनुराग पोटे द्वारा निर्देशित फिल्म चल दो न, सागर देवराम मुंडे द्वारा निर्देशित हर कैनवास, लुकस दुवर्ते द्वारा निर्देशित लवली लाइफ, उत्सव मुखर्जी द्वारा निर्देशित नेमलेस नैटिव, अमित विजय द्वारा निर्देशित सलवटे, प्रखर श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित तासे, गरिमा राणा द्वारा निर्देशित फिल्म वांटेड ठाकुर रही।
देर रात तक चला काव्य पाठ: प्रथम दिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, इसके बाद काव्य की महफिल सजी, जिसमें विंध्य क्षेत्र के हास्य एवं वीर रस के कवियों ने ऐसा समा बांधा की देर रात तक श्रोतागण काव्य रस में डुबकी लगाते रहे। प्रमुख कवियों में डॉ.उमेश लखन हास्य एवं गीत, कामता माखन हास्य, ब्रजेश सरल हास्य, अतुल उपाध्याय वीर रस के साथ ही दिनकर पाठक और नीरज निर्मोही ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।