शकील अख़्तर, इंदौर स्टूडियो। ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), दिल्ली में आपने जो कुछ सीखा है, वही आपके आगे के सफ़र और उससे जुड़े संघर्ष में काम आयेगा। मुझे विश्वास है कि आप आने वाली चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकेंगे। मेरी शुभकामनाएं आप सभी के साथ हैं’। यह बात एनएसडी के चेयरमैन परेश रावल ने, नाट्य कला का सफल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों के विदाई समारोह में कही। उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिये मुंबई से छात्रों को सम्बोधित किया। 2 अप्रैल की शाम यह कार्यक्रम एनएसडी परिसर के अभिमंच सभागार में संपन्न हुआ। एनएसडी प्रमुखों ने बढ़ाया हौसला: कार्यक्रम में एनएसडी के डायरेक्टर चित्तरंजन त्रिपाठी, रजिस्ट्रार प्रदीप के. मोहंती और प्रोफ़सर सांतनु बोस मौजूद थे। सभी ने अपने संक्षिप्त उदबोधनों में छात्रों को, उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभकामनाएं दी। सहृदयता से हौसला बढ़ाया। ख़ुशमिज़ाज श्री त्रिपाठी ने छात्रों को उनकी भावनाओं के अनुरूप एक चर्चित फ़िल्मी संवाद सुनाया। उन्होंने कहा – ‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िदंगी’! श्री मोहंती ने कहा, हमें यकीन है कि दीक्षित छात्र, कला की दुनिया में अपना बेहतर स्थान बनाएंगे। यहां से जाकर भी वे ड्रामा स्कूल से जुड़े रहेंगे’। सच्चाई से अपनी बात रखने वाले छात्र: श्री बोस ने कहा, मेरे अनुभव में यह एक ऐसा बैच रहा, जिसके छात्र बड़ी सचाई से अपनी बात कहते और स्वीकार करते रहे। इसी सचाई के साथ आप कला की दुनिया में आगे बढ़ें, यह मेरी कामना है’। कार्यक्रम में छात्रों का उत्साहवर्धन करने के लिये पद्मश्री विदूषी रीता गांगुली ने भी अपनी गर्मजोश उपस्थिति दर्ज कराई। उनके साथ ही प्रोफेसर अब्दुल कादिर, रंगमंडल प्रमुख राजेश सिंह और एनएसडी से जुड़े नाटककार आसिफ अली हैदर, अभिनेता, संगीतकार अजय कुमार भी छात्रों के बीच नज़र आये। आमंत्रित अतिथियों के साथ कला पत्रकारिता से जुड़े मीडिया के साथी भी शामिल हुए। प्रशिक्षित छात्रों की दिखाई गई शो रील: कार्यक्रम में डिज़ाइन और डायरेक्शन के साथ ही, अभिनय में विशेज्ञता हासिल करने वाले छात्रों के नाट्य प्रशिक्षण और उससे जुड़े उनके काम की, शो रील्स दिखाई गईं। इस साल कुल 28 छात्रों ने ड्रामेटिक आर्ट्स में डिप्लोमा हासिल किया है। इनमें से 8 छात्रों ने निर्देशन और बाक़ी 20 ने एक्टिंग में विशेषज्ञता हासिल की है। ये नवोदित निर्देशक और अभिनेता अब स्वतंत्र रूप से अपने करियर को नई दिशा देंगे। चुने गये नाट्य दृश्यों का रंगकर्म: परिकल्पना और निर्देशन से जुड़े छात्रों की शो रील्स में एक्टिंग के साथ ही लाइटिंग, सीन वर्क, कॉस्ट्यूम और डायरेक्शन से जुड़े कामों को शामिल किया गया। इसमें चुनिंदा नाट्य दृश्यों को रंग-प्रस्तुतियों का आधार बनाया गया। इसी तरह अभिनेताओं ने विविध पृष्ठभूमि के नाटकों में अपनी अभिनय दक्षता, संगीत और अन्य कलागत कौशल का प्रदर्शन किया। इनमें कुछ स्कूल द्वारा निर्देशित और कुछ छात्रों द्वारा अपने स्तर पर तैयार अलग-अलग नाटकों के दृश्य, और सोलो परफॉरमेंस शामिल थे। गीत-संगीत से कार्यक्रम का समापन: कार्यक्रम के अंत में स्कूली छात्रों के ‘तूफ़ान बैंड’ ने अपना संगीत कार्यक्रम पेश किया। इस दौरान तीनों वर्षों के छात्रों का जोश देखने के काबिल था। वे स्कूल में बिताये पलों को हमेशा याद रखने की भावनाओं से भरे हुए थे। आपको बता दें नाट्यकला का प्रशिक्षण लेकर इस बार जिस बैच ने एनएसडी से विदा ली है, उन्हें तीन साल की जगह पांच साल में डिप्लोमा हासिल हो सका है। असल में ये छात्र 2019 में चयनित हुये थे। परंतु कोविड महामारी की वजह से 2 साल तक स्कूल में प्रशिक्षण का काम आगे नहीं बढ़ सका। इस वजह से 2019 में दाखिल हुुए छात्रों को 2024 में ड्रामेटिक आर्ट्स का डिप्लोमा हासिल हो सका है।
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